उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में 17 फरवरी को दो दलित नाबालिग लड़कियों की मौत के बाद बाद उनके परिवार ने अब सीबीआई जांच की मांग की है। पुलिस कह रही है कि बालिकाओं के शवों पर चोट या संघर्ष के निशान नहीं हैं इसलिए यौन उत्पीड़न या बलात्कार की कोई संभावना नहीं है। लेकिन पुलिस के इस कथन से बालिकाओं का परिवार सहमत नहीं है और उन्होंने बालिकाओं को दफनाने की पुलिस की सलाह को ठुकरा दिया है। परिवारजन चाहते हैं कि घटना की हर दृष्टिकोण से उचित जांच होने के बाद ही अंतिम क्रिया की जाएगी।
गौरतलब है कि उन्नाव में बुधवार 16 फरवरी की देर रात एक खेत में तीन नाबालिग दलित लड़कियां बेहोशी की हालत में मिलीं। इनमें से दो को अस्पताल ले जाते ही मृत घोषित कर दिया गया, जबकि तीसरी बालिका गंभीर हालत में कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती है। घटना के तुरंत बाद यूपी पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और सबूत छिपाने का मामला दर्ज कर छह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। लड़कियों के परिजनों ने कहा कि वे यूपी पुलिस द्वारा की गई जांच से संतुष्ट नहीं हैं। एक बालिका की माँ ने कहा है कि “हमें यकीन है कि लड़कियों की हत्या कर दी गई इस क्षेत्र में यह आम बात है।” सैकड़ों ग्रामीणों ने कहा कि वे पीड़ितों को दफनाने की अनुमति नहीं देंगे और जब पुलिस ने जेसीबी मशीनों के साथ कब्र खोदना शुरू किया तब गाँववालों ने इसका विरोध किया।
इस घटना ने प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व के खिलाफ गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अब इस घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि उतरप्रदेश सरकार न केवल दलित समाज को कुचल रही है बल्कि महिलाओं के सम्मान और मानवाधिकारों को भी कुचल रही है। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने मांग की कि जिंदा लड़की को बेहतर इलाज के लिए एम्स पहुंचाया जाए।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।