सारनाथ से लुम्बिनी की धम्म यात्रा पर निकले भंते चंदिमा सहित सैकड़ों बौद्ध भिक्खु, हजारों गांवों में करेंगे धम्म प्रचार

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तथागत बुद्ध ने कहा था, चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय। यानी, हे भिक्खुओं। बहुजनों के हित के लिए, बहुजनों के सुख के लिए तथा संसार पर अनुकम्पा करने के लिए चारिका यानी विचरण करो।

तथागत के इसी संदेश को चरितार्थ करते हुए  अंतराष्ट्रीय शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष एवं सारनाथ स्थित धम्मा लर्निंग सेंटर के संस्थापक भंते चंदिमा थेरो ने एक बार फिर से धम्म यात्रा शुरू कर दी है।

सारनाथ से लुम्बिनी की यह यात्रा 29 नवंबर को सारनाथ स्थित धम्मा लर्निंग सेंटर से शुरू हुई। 19 दिनों की यह धम्म यात्रा 17 दिसंबर को तथागत बुद्ध की जन्मभूमि लुम्बिनी पहुंच कर समाप्त होगी। इस बीच यह यात्रा 30 नवंबर को वाराणसी के धौरहरा से सिधौना तक चलेगी। इसके बाद यह यात्रा एक और दो दिसंबर को गाजीपुर, 3 दिसंबर से 6 दिसंबर तक मऊ के अलग-अलग हिस्सों, 7-8 और 9 दिसंबर को गोरखपुर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरेगी।

इसके बाद 10, 11, 12 और 13 दिसंबर को संत कबीर नगर के तमाम गांवों से गुजरते हुए 14 दिसंबर को यह यात्रा सिद्धार्थ नगर पहुंचेगी। 15 दिसंबर को भी यात्रा सिद्धार्थ नगर के अलग-अगल हिस्सों से गुजरते 16 दिसंबर को सिद्धार्थ नगर के कपिलवस्तु पहुंचेगी। इसके बाद 17 दिसंबर को यात्रा तथागत बुद्ध के जन्मस्थान नेपाल के लुम्बिनी पहुंचेगी, जहां इसका समापन होगा।

धम्म चारिका का नेतृत्व कर रहे भंते चंदिमा थेरो ने बताया कि यह यात्रा 350 किलोमीटर लंबी होगी। इस यात्रा में 100 के करीब भंते चल रहे हैं। यह यात्रा हजारों गांवों से गुजरेगी। 19 दिनों की इस यात्रा के बीच 40 स्थानों पर बड़े-बड़े धम्म सभा होगी। बता दें कि साल 2022 में भी भंते चंदिमा के नेतृत्व में सारनाथ से श्रावस्ती तक धम्म चारिका हुई थी।

 इससे पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर धम्मा लर्निंग सेंटर सारनाथ में महाराजा अशोक एवं बोधिसत्व बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर के प्रतिमा का लोकार्पण किया गया। धम्म विजयी सम्राट अशोक के हाथ में जहां धम्म का चारों दिशाओं में सिंहनाद के प्रतीक चतुर्दिक मुख किये सिंह आकृतियों के साथ धम्म चक्क युक्त दंड है वहीं बाबा साहब के हाथ में दुनिया का सर्वोत्तम संविधान प्रदर्शित है।

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