Thursday, February 6, 2025
HomeTop Newsधम्मचक्र प्रवर्तन दिवस: गृह त्याग कर सत्य की खोज में निकल पड़े...

धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस: गृह त्याग कर सत्य की खोज में निकल पड़े थे तथागत बौद्ध

 

buddha

9 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है. इसे गुरु पूर्णिमा और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस भी कहा जाता है. बोधिसत्व राजकुमार सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की आयु में इसी दिन अपना गृह त्याग किया था और सत्य की खोज में निकल पड़े थे. 6 साल की कठिन तपस्या के बाद उनको वैसाख पूर्णिमा के दिन ज्ञान प्राप्त हुआ. 49 दिनों तक निर्वाण सुख में डूबे रहने के बाद सिद्धार्थ गौतम ने यह तय किया कि उन्होंने जो ज्ञान हासिल किया है, उसे लोगों तक पहुंचाना है. लोगों को धम्म सिखाना है.

भगवान बुद्ध महाकारुणिक थे और करुणा से ओत प्रोत होकर उन्होंने निर्णय लिया कि सबसे पहले मुझे अपने पुराने साथियों को उपदेश देना है. इसके बाद वह बोधगया से निकल कर सारनाथ के ऋषिपत्तन मृगदाय वन में पहुंचे जहां उनके पांच पुराने साथी थे, जिन्होंने लगभग छह वर्षों तक उनके साथ कठोर तप किया था और उस दौरान बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम की सेवा करते थे.

हालांकि तथागत बुद्ध उन पांचों को नहीं भूले थे. वैसाख पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्ति के बाद और निर्वाण सुख पूरा करने के बाद 11 दिनों में लगातार पैदल चल कर वह वाराणसी के ऋषिपत्तन मृगदाय वन में पहुंचे. और अपने पुराने पांचों साथियों को धम्म उपदेश दिया. तथागत बुद्ध का उपदेश प्राप्त करने के बाद वो पांचों शिष्य अर्हत हो गए. वहीं ऋषिपत्तन मृगदाय वन में वह बुद्ध की सेवा करने लगे. इसी वन में तथागत बुद्ध ने अपने पांचों शिष्यों के साथ अपना पहला वर्षावास किया.

यहीं पर वाराणसी के बहुत बड़े व्यापारी का पुत्र यशकुलपुत्त भी बुद्ध से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया. यशकुलपुत्त के चार अन्य धनाढ्यों ने जब यह सुना कि हमारा मित्र बुद्ध के शरणागत हो गया है तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि वहां कोई बड़े व्यवसायिक गतिविधि को अंजाम दे रहा है? यदि हम वहां नहीं गए तो हम पीछे रह जाएंगे. तब वो चारो मित्र भी वहां पहुंचें, और बुद्ध का उपदेश सुनने के बाद वे भी प्रव्रजित हो गए यानि बुद्ध के शिष्य बन गए. यहीं पर इनके पचास अन्य मित्र भी आएं और बुद्ध का उपदेश सुनने के बाद भिक्षु बन गए.

इस वर्षावास के समाप्ति पर जब बुद्ध के ये साठों शिष्य अर्हत हो गए तब बुद्ध ने उन्हें बहुजन हिताय बहुजन सुखाय का उपदेश दिया. जिस दिन तथागत बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे धम्म चक्क पवत्तन सुत्त कहते हैं. चूंकि भगवान बुद्ध गुरुओं के भी गुरु थे, इसलिए हमारे देश में इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. पूर्णिमा का दिन भगवान बुद्ध के जीवन में विशेष महत्व रखता है.

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content