नई दिल्ली। पाल्लेकेले में टीम इंडिया की 100 रनों से बड़ी साझेदारी के बाद सिर्फ़ अपना चौथा वनडे खेल रहे श्रीलंका के ऑफ़ स्पिनर अकिला धनंजय ने अपने तीन ओवरों में मैच का रुख़ बदल दिया. भारत का पहला विकेट 109 के स्कोर पर गिरा और फिर 131 के स्कोर पर 16वें से 22वें ओवर के बीच भारत ने अपने 7 विकेट गंवा दिए.
एक सिरे पर खड़े पूर्व कप्तान एमएस धोनी का साथ निभाने आये भुवनेश्वर के साथ अगले 100 रनों का सफ़र टीम इंडिया के लिए लंबा हो सकता था. लेकिन धोनी ने एक बार फिर क्रिकेट मैदान पर अपना करिश्मा दिखाया, ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी के ज़रिये नहीं, बल्कि समझदारी के साथ पार्टनरशिप निभाते हुए मैच में बल्ले से कमाल करने वाले भुवनेश्वर कुमार (80 गेंद, नाबाद 53 रन, 4 चौके, 1 छक्का) कहते हैं, “थोड़ा हैरान करने वाली बात ज़रूर थी. अच्छी पार्टनरशिप हो रही थी और अचानक 3-4 विकेट गिर गए. मैं बैटिंग करने गया तो एमएस ने कहा कि अपना नेचुरल गेम खेलो. जैसा टेस्ट में खेलते हो वैसा ही खेला. मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं था. 7 विकेट गिर चुके थे और हमारे पास खोने को कुछ नहीं था.
ख़ास बात ये है कि इस पूरी पारी में धोनी ने क़रीब 25 ओवर पिच पर रहते हुए सिर्फ़ एक चौका लगाया और मैच को मुक्कमल अंजाम पर पहुंचा दिया. वनडे में पहली बार अर्द्धशतक लगाने वाले भुवी कहते हैं कि दूसरे सिरे पर माही के होते हुए उनपर कोई दबाव नहीं था. भुवी ने कहा, ‘उनके दूसरे सिरे पर होने से अफ़रातफ़री और दबाव तो नहीं होता. मुझे पता था कि उनके होते हुए आख़िर में 7-8 के रेट से रन बनाना भी मुश्किल नहीं..इसलिए मैं ज़रा भी फ़िक्रमंद नहीं था.’ दरअसल लक्ष्य का पीछा करने में माही का कोई सानी नहीं. लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी पाल्लेकेले में 39 वीं बार नॉटआउट रहे.
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