आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली झारखंड की हॉकी खिलाड़ी-कोच सुमराई टेटे को ध्यानचंद लाइफटाइम अवार्ड मिलने की घोषणा हो गई है. समुराई टेटे पिछले पांच सालों से इस अवार्ड की दावेदार थीं और इस घोषणा के साथ उनका इंतजार खत्म हो गया है. सुमराई हॉकी की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह अवार्ड मिला है.
समुराई से पहले सन् 2016 में झारखंड के ही सिलवानुस डुंगडुंग को इसी अवार्ड के लिए चुना गया था. डुंगडुंग 1980 ओलंपिक की उस टीम में थे जिसने अंतिम बार भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि उन्हें भी यह अवार्ड काफी देर से दिया गया. सरकार द्वारा इस महान खिलाड़ी की अनदेखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस समय सिलवानुस डुंगडुंग को ध्यानचंद अवार्ड देने की घोषणा हुई थी, उस समय उनकी उम्र 68 साल की थी और मास्को ओलंपिक के 36 साल बीत चुके थे.
जहां तक सुमराई की बात है तो उन्होंने 1996 से 2006 तक लगातार हॉकी खेला. वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी रहीं. इसके बाद वह कोच बन गईं. सुमराई को यकीन था कि एक न एक दिन उन्हें हॉकी में दिए गए योगदान के लिए जरूर सम्मानित किया जाएगा, लेकिन यह उनका भ्रम साबित होने लगा. हर बार यह पुरस्कार किसी और को मिल जाता. लेकिन इस जुझारू खिलाड़ी ने यह ठान लिया था कि जब तक उन्हें पुरस्कार नहीं मिलेगा, वह आवेदन भेजती रहेंगी. इस साल भी उन्होंने नॉमिनेशन के लिए आवेदन भेजा था जिसे आखिरकार मंजूर कर लिया
गया.
गौरतलब है कि सुमराई एक दमदार खिलाड़ी रही हैं और अपने नेतृत्व में कई प्रतियोगिताएं जीती हैं. उन्होंने अपनी प्रतिभा से झारखंड का नाम भी आगे बढ़ाया.