दिलीप मंडल ने मचाई मनुवादियों के बीच खलबली, Twitter पर हुए ट्रेंड

भारत के मनुवादियों को बहुजन समाज के पत्रकार दिलीप मंडल की बातें कितनी चुभती है, यह आज मनुवादियों ने खुद जाहिर कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर भारत में दिलीप मंडल को लेकर बवाल मच गया है। ट्विटर पर दिलीप मंडल भिखारी है, ट्रेंड कर रहा है। 23 हजार से ज्यादा लोगों ने दिलीप मंडल भिखारी है को रि-ट्विट किया है। जिसके बाद यह ट्रेंड करने लगा। मजेदार बात यह है कि खुद दिलीप मंडल ने भी इस मुहिम में हिस्सा लेते हुए इस ट्रेंड को रि-ट्विट किया है।

 उन्होंने लिखा है- क्रिया और प्रतिक्रिया! जाति जनगणना की बात करते ही दोस्त लोग नाराज़ हो गए।

इसके साथ ही दिलीप मंडल ने अपने एक ट्विट का स्क्रीनशार्ट शेयर किया है। जो आरक्षण को लेकर है। इस ट्विट में दिलीप मंडल ने लिखा था- अरे भिखमंगों। शर्म करो। 30 % मांग रहे हो। 15% तो आबादी नहीं है तुम लोगों की। जाति जनगणना हुई तो हो सकता है आबादी 10% ही निकले। इसी लिए तो जाति जनगणना से डरते हो। दक्षिणा ले लेकर आदत हो गई है माँगने वाली।

हैड टैग- EWS_आरक्षण_30_प्रतिशत_करो।

दिलीप मंडल ने यह ट्विट 30 अगस्त को किया था, जिसे अब तक करीब 12 हजार लोग लाइक कर चुके हैं, जबकि साढ़े तीन हजार से ज्यादा इसे रि-ट्विट कर चुके हैं और साढ़े चार सौ से ज्यादा कोट ट्विट कर चुके हैं।

तो वहीं दिलीप मंडल ने जब खुद दिलीप मंडल भिखारी है को ट्विट किया तो उनके फॉलोवर भी दिलीप मंडल के समर्थन में आ गए। कई लोगों ने दिलीप मंडल को अपना हीरो तक कहा है।

जहां तक दिलीप मंडल के विरोधियों का सवाल है तो उन्होंने दिलीप मंडल को लेकर अपने-अपने भीतर की भड़ास जमकर निकाली है। किसी ने दिलीप मंडल को आरक्षणवंशी कहा है तो किसी का गुस्सा इस बात को लेकर है कि दिलीप मंडल अक्सर ब्राह्मणों और ऊंची जातियों के खिलाफ बहाने ढूंढ़ ढूंढ़ कर ट्विट करते रहते हैं, जिसे वो बर्दास्त नहीं करेंगे। कई लोगों ने दिलीप मंडल पर जानबूझकर विद्वेष फैलाने का भी आरोप लगाया है।

फिलहाल वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे हिन्दी मैगजीन के पूर्व मैनेजिंग एडिटर दिलीप मंडल के खिलाफ जिस तरह ट्विटर पर अपर कॉस्ट के लोगों ने मुहिम चला रखी है, उससे साफ है कि जिस तरह दिलीप मंडल जातिवाद, मनुवाद और पाखंडवाद की धज्जियां उड़ाते हैं, और सरकारी खामियों को उजागर करते हैं, वह मनुवादियों को हजम नहीं हो रहा है। और जैसा कि मनुवादियों की पुरानी परंपरा है कि जब तर्क से न जीत सको तो गालियां देना शुरू कर दो, वह उसी पर अमल करने में जुटे हैं।

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