दिल्ली। “शंकराचार्य ने अपने ज्ञान और पांडित्व के बल पर बौद्ध धर्म को बिना एक बूंद रक्त बहाए हिन्दुस्तान के बाहर खदेड़ दिया.” ऐसा हम नहीं, दिल्ली बोर्ड की कक्षा दूसरी की किताब में बताया गया है. बच्चे पर इसे पढ़ने के बाद बौद्ध धर्म के प्रति नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस किताब में आगे लिखा हुआ है, “तत्कालीन समय में बौद्ध धर्म में काफी विकृतियां आ गई थीं. बौद्ध सत्ता के रूप में विदेशियों ने भारतवर्ष में प्रवेश करना आरंभ कर दिया था.” अब आप ही बताइए क्या बौद्ध धर्म की वजह से विदेशियों ने भारत पर कब्जा किया? बौद्ध धर्म तो सत्य, अहिंसा और तथागत बुद्ध के सम्यक विचारों पर आधारित है, फिर बच्चों को गलत ज्ञान क्यों दिया जा रहा है. इस घटना के बाद से दलित व बौद्ध धर्म के लोगों में रोष फैल गया है.
किताब में आगे यह भी लिखा हुआ है “भारतीय बौद्धों ने सत्ता के लोभवश विवेकहीन होकर विदेशियों का सब प्रकार से सहयोग किया.” हमारे शिक्षा विभाग के अधिकारी ही ऐसे हैं तो हमारे बच्चों का भविष्य कहां जाएगा? एक सवाल यह भी उठता है कि विद्यालयों की पुस्तकों में शंकराचार्य के बारे में जानना बच्चों के लिए कितना महत्वपूर्ण है? लेकिन बच्चों को बौद्ध धर्म के बारे में गलत जानकारी देना भारतीय शिक्षा पद्धति के लिए सोचने की बात हैं. बौद्ध धर्म ने भारत का नाम सर्वोच्च किया है, इस तरह का ज्ञान सरकार और शिक्षा विभाग की मानसिकता को भी दिखा रहा है कि वह आने वाले पीढ़ी को किस तरह का ज्ञान देना चाहते हैं.
बौद्ध चिंतक शांतिस्वरूप बौद्ध ने इस पर कहा कि यह शंकराचार्य को स्थापित करने के लिए गलत तथ्यों का सहारा ले रहे हैं. यह ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. हम इसका विरोध करते हैं और दिल्ली शिक्षा विभाग और बुक पब्लिशर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज करेंगें. सभी बौद्ध और दलित संगठनों के साथ मिलकर विरोध करेंगें. किताब को बंद करवाएंगें. शांतिस्वरूप बौद्ध ने आगे कहा कि भारत में विदेशी (अंग्रेज और मुस्लिम) बौद्ध धर्म का ज्ञान लेने आए थे. भारत जगत गुरू था. विदेशी नांलदा और विक्रमशिला से ज्ञान प्राप्त करके गए और पूरे विश्व बौद्ध धर्म का प्रचार किया.
शांति स्वरूप बौद्ध ने कहा कि मोदी सरकार तो पहले ही बोल चुकी है भारत के इतिहास को अपने तरीके से लिखने के लिए लेकिन दिल्ली सरकार से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी. दोनों मिलकर देश का इतिहास बिगाड़ रहे हैं. सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए पालि भाषा को हाशिये पर रख रही हैं. बच्चें अपनी किताबों से ही गलत जानकारी पाएंगें तो शिक्षा व्यवस्था कैसे बेहतर होगी. बच्चों की प्राथमिक स्तर की पुस्तक में इस तरह से त्रुटियां दिल्ली के शिक्षा विभाग की योग्यता को भी दर्शाता है.
इस बारे में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान के अध्यक्ष और बौद्ध चिंतक भंते चंदिमा ने कहा कि यह निंदनीय है हम इसकी भर्त्सना करते हैं. इस तरह का ज्ञान बच्चों के लिए हानिकारक है और भटकाने वाला है. उन्होंने कहा कि बौद्ध राजाओं के समय कभी किसी विदेशी ने भारत पर आक्रमण नहीं किया. विदेशी आए लेकिन ज्ञान लेकर गए. शंकराचार्य ने हिंसक क्रांति की और लोगों के जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाए लेकिन बौद्ध धर्म अहिंसक क्रांति और सम्यक विचारों के आधार प्रसिद्ध हुआ. ब्राह्मणों ने वर्ण व्यवस्था को बनाया और ब्राह्मणवादी संस्कृति का विस्तार कर दिया. बौद्ध धर्म ने भारत की सीमाओं का विस्तार किया था. ब्राह्मणों के हाथ में सत्ता आने के बाद से ही भारत का पतन होना शुरू हुआ. बच्चों को बौद्ध धर्म की गलत जानकारी देना सरकार की ब्राह्मणवादी मानसिकता को सिद्ध कर रहा है. बच्चें जब इस अध्याय को पढ़ते होंगे तो उन्हें जानकारी क्या जानकारी मिलती होगी? हैरानी की बात यह है कि यह किताब इस गलती के साथ ही लगातार पढ़ाई जा रही है.
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