भारत के करोड़ों अंबेडकर प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी आई है। लंबे समय से प्रतीक्षा हो रही थी कि डॉ. आंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल राष्ट्रीय अवकाश घोषित हो। यह प्रतीक्षा अब पूरी हुई और इस वर्ष जब दुनिया भर में मौजूद आंबेडकरी समाज के लोग बाबासाहब आंबेडकर की 130वीं जयंती मना रहे हैं, केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की है। इस संबंध में आधिकारिक रूप से सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन भी आ गया है।
कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की ओर से जारी किए गए इस नोटिफिकेशन में इस विषय में स्पष्ट जानकारी दी गई है। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 14 अप्रैल को केंद्र सरकार के सभी विभागों, कार्यालयों एवं औद्योगिक संस्थानों में राष्ट्रीय अवकाश रहेगा। मंत्रालय द्वारा इस प्रकार का अवकाश घोषित करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट’ का आधार लिया गया है।
गौरतलब है कि इसी तरह बाबा साहब आंबेडकर को भारत रत्न देने में बहुत देर हुई, उसी तरह उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने में भी बहुत देर हुई है। भारत में हमेशा से दलित बहुजन समाज के नायक नायिकाओं के साथ यही अन्याय होता आया है। सवर्ण हिंदू समाज के जिन तथाकथित महापुरुषों का समाज निर्माण में एवं वंचितो और महिलाओं के जीवन की खुशहाली में कोई योगदान नहीं है उनके जन्म और मृत्यु दिवस पर भी छुट्टियां दी जाती हैं। इसके विपरीत बाबासाहब आंबेडकर और ज्योति राव फूले सहित रामास्वामी पेरियार जैसे बहुजन क्रांतिकारियों के जन्म दिवस या मृत्यु दिवस को सरकार द्वारा अनदेखा किया जाता रहा है। हालांकि अब बहुजन समाज के बीच बढ़ रही जागरुकता के कारण दबाव में तमाम राजनीतिक दल और उनके नेता बहुजन नायकों को याद करने लगे हैं। 14 अप्रैल के दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करना भी उसी दबाव की जीत है।

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ये सरकार का प्रतीकात्मक राजनीति मात्र हैं इन्हें अम्बेडकर के विचारो से कोई संबंध नहीं।