नई दिल्ली। सफाई कर्मचारी देश के भीतर खुद अस्वच्छ प्रक्रिया से गुजर कर देश को साफ सुथरा रखता है, नाली, सीवर, सेफ्टीटैंक, गटर मैनहोल साफ रखता है. सफाई कर्मी को न यूनिफार्म है, न ईएसआई सुविधा, न नयूनतम वेतन, न सम्मानजनक व्यवहार.
लेकिन अब सीवरसफाई कर्मचारी के लिए अच्छी खबर है. भारत में भी अब सीवर सफाईकर्मी के लिए ड्रेस-किट होगी. जिसे वो पहन कर सीवर में आसानी से उतर सकेंगे. यह ड्रेस इस सफाईकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करेगी और उनको एलर्जी से भी बचाएगी.
ये भी पढ़ेंः गटर में डूबती जिंदगी…
जलांधर में सीवरमैन यूनियन के नेता विनोद कुमार मुद्दी और चंदन ग्रेवाल ने मिलकर मेयर सुनील ज्योति को इस ड्रैस का दिया. बीते शुक्रवार को इस ड्रेस का ट्रायल भी सफलतापूर्वक हो गया. जिसके बाद मेयर ने इस ड्रैस को खरीदने के लिए हामी भर दी है.
चंदन ग्रेवाल और मद्दी ने मेयर को बताया कि वह ड्रैस उन्होंने आस्ट्रेलिया में रहने वाले दीप चांडालिया से मंगवाई है. इसकी कीमत 25 हजार रूपए है. जिसमें ड्रेस के साथ ऑक्सीजन सिलैंडर और वॉकी-टॉकी भी है. उन्होंने बताया कि इस ड्रैस को पहन कर अगर सफाईकर्मी सीवर में उतरते हैं तो उनको गैस चढ़ने की समस्या नहीं होगी. स्किन की एलर्जी से भी उनका बचाव होगा और वर्दी में गंदा पानी भी अंदर नहीं जाएगा. इसके अलावा सफाईकर्मी ऑक्सीजन भी ले सकेंगे. वाटरप्रूफ वॉकी-टॉकी की मदद से अंदर वाला कर्मचारी बाहर वाले कर्मचारी से बात कर सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः LNJP अस्पताल के सीवर की सफाई के दौरान एक की मौत, 3 गंभीर
मेयर ने कहा की सीवर सफाईकर्मियों के लिए यह ड्रैस जरूरी है और इसे खरीदा जाएगा. पांच लाख रूपए निगम खर्च करेगा. जलांधर में हुए सफल परिक्षण के बाद दिल्ली सहित तमाम महानगरों और शहरों में इस ड्रेस का ट्रायल किया जाएगा. इस ड्रेस को सफाई कर्मचारियों के लिए बहुत ही सुविधाजनक माना जा रहा है.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।