नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षिक मामलों को देखने वाली स्थाई समिति (स्टैंडिंग कमेटी)की कांउन्सिल हॉल में बुधवार को बैठक हुई. इस बैठक में स्नाकोत्तर पाठ्यक्रमों में यूजीसी के निर्देशों को स्वीकार करते हुए चयन आधारित क्रेडिट पद्धति (सीबीसीएस)के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करके इसे स्टैंडिंग कमेटी के बाद एकेडेमिक कांउन्सिल में पास करने के बाद ही लागू किया जा सकता है. आज की बैठक में विभिन्न विभागों में स्नाकोत्तर स्तर पर पढ़ाए जाने लगभग 9 विषयों को पास किया गया.
स्टैंडिंग कमेटी ऑन एकेडेमिक मेटर की मीटिंग में बुधवार को स्नातकोत्तर (एमए)के जिन विषयों पर चर्चा की गई, उनमें विषयों में अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, आधुनिक भारतीय भाषा और साहित्यिक अध्ययन, लायब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस, बुद्धिस्ट स्ट्रडिज हिस्ट्री, एलएलबी, एलएलएम आदि विषयों पर चर्चा करने के बाद ही पाठ्यक्रम को पास किया गया.
दरअसल सबसे ज्यादा बहस राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम को लेकर हुई. इसमें लेखक कांचा इलैया की तीन किताबें लगी हुईं थीं. लेकिन पिछले दिनों इन पर गम्भीर आरोप लगने की वजह से इनकी पुस्तकों को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया. इन पुस्तकों में व्हाय आई एम नॉट ए हिन्दू, पोस्ट हिन्दू इंडिया को रीडिंग मैटीरियल (संदर्भ ग्रन्थ सूची) से हटा दिया गया है.
वहीं, बैठक में कई नए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों पर विचार किया गया.जिन पाठ्यक्रमों को स्वीकृति प्रदान की गई. अंग्रेजी विभाग का एक अपनी तरह का नवीनतम पाठ्यक्रम ‘विकलांगता अध्ययन एवं इसका साहित्यिक निरूपण’ (डिसेब्लड स्टडीज एंड लिटरेरी रिप्रजेंटेशन) को स्वीकृति प्रदान की गई.
प्रो.सुमन ने कहा कि इस पाठ्यक्रम में लुई ब्रेल और हेलेन केलर जैसे विकलांगता के आधार स्तम्भों के विचारों को भी शामिल किया जाना चाहिए. स्वतंत्रता उपरांत विकलांग व्यक्रियों, विशेषत: दृष्टिबाधित व्यक्तियों की उपलब्धियों को भी इसमें शामिल किया जाए.
पाठ्यक्रम को और उपयोगी एवं व्यवसायों उन्मुखी बनाने के लिए इसमें परियोजना कार्य (प्रोजेक्ट वर्क) भी सम्मिलित किया जाना चाहिए. आने वाले समय में यह पाठ्यक्रम कैरियर की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होगा, इसलिए छात्रों को इंटर्नशिप भी कराएं, जिसे कमेटी ने स्वीकार कर लिया.
राष्ट्रवाद से सम्बंधित पाठ्यक्रमों पर सुझाव देते हुए प्रो. सुमन ने ऐसे पाठ्यक्रमों में गांधी और अम्बेडकर के विचारों को विशेष स्थान देने की बात की. उन्होंने शिक्षण कार्यों में आधुनिक तकनीक जैसे की ऑडियो-विजुअल लैब की स्थापना पर भी जोर दिया.
स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने राजनीति विज्ञान विभाग के पाठ्यक्रम में दलित बहुजन पॉलिटिकल थॉट में दलित शब्द पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों दलित शब्द के प्रयोग को लेकर कई राज्यों में प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसलिए इस शब्द को पाठ्यक्रम से तुरंत हटाया जाए.
कमेटी चेयरमैन और विभाग शिक्षकों ने अपने पाठ्यक्रम से दलित शब्द हटाने को स्वीकार कर लिया है और कहा कि अब इस शब्द का प्रयोग नहीं किया जाएगा. साथ ही दलित बहुजन क्रिटिक से भी दलित शब्द हटा दिया गया. इसके साथ ही मॉडर्न थिंकर इकाई में अंबेडकर को भी जोड़ लिया गया.
Read it also-छत्तीसगढ़ में आधा दर्जन रैलियां करेंगी बहनजी, देखिए कार्यक्रम

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।