विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों की वजह से देश में निजी क्षेत्र के निवेश पर असर पड़ सकता है. इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. विश्व बैंक ने ‘दक्षिण एशिया इकोनॉमिक फोकस’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है. विश्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर प्रभावित हुई है. बैंक ने कहा है कि जीएसटी 2018 की शुरुआत तक इकोनॉमी को परेशान कर सकता है. हालांकि इसके साथ ही इकोनॉमी में सुधार की शुरुआत भी इस दौरान हो जाएगी.
विश्व बैंक ने कहा है कि जीएसटी के बाद मैन्युफैक्चरिंग और सेवाएं काफी बड़े स्तर पर प्रभावित हुई हैं और इनमें काफी बड़े स्तर पर संकुचन हुआ है. बैंक के मुताबिक इकोनॉमी ग्रोथ से जुड़ी गतिविधियां एक क्वाटर्र में स्थिर हो सकती हैं. इससे सालाना जीडीपी विकास दर 2018 में 7.3 फीसदी तक पहुंच सकती है. विश्व बैंक से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाया है. आईएमएफ ने 2017 में वृद्धि दर का अनुमान 6.7 फीसदी लगाया है. यह अनुमान कोष के पिछले अनुमान से 0.5 फीसदी कम है.
विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि अगर सरकार की तरफ से ऐसी नीतियां लाई जाती हैं, जिससे कि सार्वजनिक खर्च में संतुलन बन सके, तो प्राइवेट इन्वेस्टमेंट बढ़ सकता है. इससे 2018 तक ग्रोथ 7.3 फीसदी तक पहुंच सकता है.

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