नई दिल्ली। जेएनएन. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है. इसी क्रम में शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू व लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव से दिल्ली स्थित आंध्र प्रदेश भवन में मुलाकात की. इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने बसपा सुप्रीमो मायावती से भी मुलाकात की थी.
अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के दौरान तीनों नेताओं में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. मुलाकात के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि देश की जनता और संविधान को बचाने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र में बैठी भाजपा सरकार से संविधान को खतरा है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू के साथ एक अच्छी मुलाकात हुई. मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई. वर्तमान भाजपा सरकार से देश के संविधान को खतरा है. वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी महागठबंधन का हिस्सा बनने का प्रयास कर रही है.
आम आदमी पार्टी इस बार हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, दिल्ली-एनसीआर की करीब 100 लोकसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ना चाहती है. इन सीटों के चयन से पहले पार्टी अन्य क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल करना चाहती है.
राजग सरकार के पूर्व सहयोगी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विपक्षी दलों से अपील करते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक और आदर्श संबंधी प्रतिबद्धताएं जरूर होंगी, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ना होगा.
नई दिल्ली में शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में नायडू ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि लोग छला हुआ महसूस कर रहे हैं. इसलिए देशहित में विपक्षी दलों को साथ आने के लिए कोई रास्ता निकालना होगा. इससे पूर्व नायडू ने बसपा सुप्रीमो मायावती से भी मुलाकात की थी. नायडू ने आंध्र के वित्त मंत्री वाई रामकृष्णुडू और तेदेपा के कुछ सांसदों के साथ मायावती से बातचीत की थी.
बताया जा रहा है कि मुलाकात के दौरान, महागठबंधन से अलग राह पकड़ चुकीं मायावती को मनाने की कोशिश की गई. इस दौरान मायावती ने कांग्रेस के विरुद्ध नाराजगी को जताते हुए कहा कि कांग्रेस, भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने के बजाय उनकी पार्टी को ही खत्म करने में तुली हुई है. नायडू ने उम्मीद जताई कि चुनाव के बाद कुछ बड़े दल आगे आ सकते हैं. मौजूदा समय में उन पर केंद्र सरकार का दबाव है.
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