बेंगलुरु। कर्नाटक चुनाव की गहमा गहमी के बीच मंगलवार 8 मई को अचानक चुनाव आयोग से लेकर तमाम राजनीतिक दल एक फ्लैट से हजारों वोटर कार्ड बरामद होने के बाद सकते में आ गए. राजधानी बेंगलुरु में चुनाव आयोग ने एक फ्लैट से 9746 वोटर आईडी कार्ड बरामद किए. मामला ज्यादा गंभीर इसलिए भी है क्योंकि बरामद कार्ड फर्जी नहीं बल्कि असली कार्ड है. इस मामले में चुनाव आयोग ने एफआईआर दर्ज करवा दी है.
दूसरी ओर मामला सामने आने के बाद राजनीतिक दलों में एक-दूसरे को दोष देने की होड़ मच गई है. कांग्रेस और भाजपा ने जहां एक-दूसरे पर निशाना साधा है तो वहीं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा आज चुनाव आयोग से मुलाकात और प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
वोटर कार्ड बेंगलुरु के जलाहाल्ली इलाके में बरामद हुआ. यह इलाका राज राजेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है. इस मामले को लेकर बेंगलुरु में चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने मंगलवार रात को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. उनके अनुसार, राज राजेश्वरी में करीब 4 लाख 35 हजार 439 वोटर हैं, यह वहां की आबादी का 75.43 फीसदी है. पिछली बार रिवीजन के दौरान 28 हजार 825 नाम जोड़े गए थे. इसके बाद अपडेशन के दौरान 19,012 नाम और जोड़े गए थे. इस दौरान 8817 लोगों का नाम हटाया भी गया था.
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया है. मंगलवार (8 मई) को देर शाम कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि बीजेपी इस तरह कांग्रेस पर इल्जाम लगाकर अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहती है. सुरजेवाला ने कहा कि यह वोटर आईडी कार्ड ना तो पुलिस ने बरामद किए हैं ना ही चुनाव आयोग ने बल्कि इन्हें बीजेपी कार्यकर्ता ने बरामद किया है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि जिस फ्लैट से वोटर आईडी कार्ड बरामद हुए हैं वो फ्लैट मंजुला नंजामुरी का है, जो कि बीजेपी की नेता हैं. जबकि घर में रहने वाला किरायेदार उन्हीं का बेटा राकेश है.
सुरजेवाला ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि 2015 में राकेश ने बीजेपी के टिकट पर निगम चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गए थे. सुरजेवाला के इस बयान के बाद भाजपा कठघरे में है. गौरतलब है कि कर्नाटक में 12 मई को मतदान होना है. राज्य में 15 मई को नतीजे घोषित होंगे. हाल ही में आए कई ओपेनियन पोल में त्रिशंकु विधानसभा होने की आशंका दिखाई दी.
इसे भी पढ़े- कर्नाटकः लगातार दूसरे ओपीनियन पोल में भी भाजपा को झटका, कांग्रेस आगे
- दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करें https://yt.orcsnet.com/#dalit-dastak
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।