नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा एवं खासकर मोदी और अमित शाह की जोड़ी के लिए अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा है. दोनों गुजरात में ताबरतोड़ रैलियां कर रहे हैं. मुकाबला कितना कड़ा है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि अमित शाह और मोदी को एक-एक सीट पर मेहनत करनी पर रही है. इधर चुनाव आयोग ने भी इन दोनों की मुसीबत बढ़ा दी है.
चुनाव आयोग ने एक बड़ा आदेश देते हुए चुनाव प्रचार के दौरान जीएसटी के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी है. आयोग ने कहा है कि 178 वस्तुओं पर लगने वाले कर में कटौती के फैसले का प्रचार-प्रसार न किया जाए, क्योंकि इससे वोटर प्रभावित हो सकते हैं. आयोग का यह फैसला भाजपा के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि बीजेपी अपने इस फैसले को चुनाव में भुनाने में लगी हुई थी.
गुजरात चुनाव में नोटबंदी और जीएसटी बड़ा मुद्दा हैं. राहुल गांधी भी हर चुनावी रैली में इन दोनों मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधते हैं. गुजरात के व्यापारियों ने भी जीएसटी का काफी विरोध किया था. व्यपारियों के विरोध से भाजपा में तब खलबली मच गई, जब उन्होंने कमल का फूल हमारी भूल लिखी रसीद ग्राहकों को देना शुरू कर दिया. इसी विरोध को दबाने के लिए भाजपा ने गुजरात चुनाव से ठीक पहले जीएसटी के टैक्स में कटौती की थी और इसी के भरोसे वह गुजरात चुनाव फतह करना चाहती थी. लेकिन आयोग के फैसले ने भाजपा को झटका तो दे ही दिया है.