माननीय बहनजी .
सादर जयभीम
ई वी एम मशीन से बहुजन के वोटों को हैक किया गया है कि नही, यह एक जाँच का विषय है जिस पर सरकार तैयार नहीं होगी क्योकि कथित तौर पर जिसने हैक किया है उसी की केंद्र में सरकार है. लेकिन बहुजन समाज जरूर हैक हो गया है. मान्यवर साहब ने सामाजिक मूवमेंट के द्वारा बहुजन समाज को जोड़ने का कार्य किया था जिसमे काफी हद तक कामयावी मिली थी लेकिन राजनीतिक मूवमेंट के कारण सामाजिक मूवमेंट कमजोर होता चला गया. 2 जून, 1995 की घटना ने इसे और कमजोर करने का काम किया. वह एक अप्रत्याशित घटना थी जिसके कारण भाजपा से राजनीतिक समझौता करना पड़ा था.
उसके बाद तो सामाजिक मूवमेंट लगातर कमजोर होता चला गया. मान्यवर साहब ने बामसेफ के द्वारा दलितों, अल्पसंख्यकों और अन्य पिछड़े वर्गों को जोड़ने का जो कार्य किया था, वह समाप्त हो गया. इसके पीछे का कारण बामसेफ के लोगों द्वारा मान्यवर साहब को छोड़ कर चले जाना रहा है. उन्होंने दलितों के साथ-साथ शाक्य, सैनी, मौर्य, कुशवाहा, बिंद, निषाद, राजभर, नाऊ, कहार, केवट, पाल, प्रजापति, कुर्मी, पटेल और परिवर्तित मुस्लिम समाज को जगाने का कार्य किया था. इनमें नेतृत्व का निर्माण किया. लेकिन विशुद्ध रूप से राजनीति के कारण और सामाजिक मूवमेंट पर ध्यान न देने के कारण इन पर अन्य पार्टियों ने डोरा डालना शुरु कर दिया, जिसके कारण बहुजन समाज के बहुत से पुराने सामाजिक मूवमेंट के कार्यकर्ता बहुजन समाज पार्टी को छोड़ कर चले गए. क्योंकि जब राजनीति ही करनी रह गयी तो ये लोग भी दूसरे के बहकावे में आ गए और लालच या स्वार्थवश दूसरे पार्टियों में चले गए.
दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी में भी जिनको दलितों की जिम्मेदारी दी वे भी अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाए. बसपा के को-आर्डिनेटर आपसे डरते हैं और नीचे के पदाधिकारी को-कॉर्डिनेटर से डरते हैं. पहले बहुजन समाज पार्टी को चलाने के लिए चन्दा लिया जाता था लेकिन अब ऐसा नही है. कोई सदस्यता अभियान नहीं चलाया जाता है, इसलिये कोई पदाधिकारी किसी के पास नहीं जाता है. वह जानता है कि पार्टी चलाने और चुनाव लड़ने की व्यवस्था बहनजी तो करेगी ही. इससे दलित समाज के साथ-साथ बहुजन समाज के साथ भी बहुजन समाज पार्टी की पकड़ काफी कमजोर हुई है.
मेरे विचार से जिस प्रकार आप पुरानी व्यवस्था से चुनाव कराने की बात कह रही हैं उसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी को अपने पुराने रूप में आना चाहिए. आपने अपना विशाल ह्रदय किया लेकिन भारत के जातिवादी लोग आज भी आपको उस रूप में नहीं स्वीकार कर रहें हैं जैसा कि आप चाहती हैं. एक तरफ देश का प्रधानमंत्री खुले आम मुसलमानों को सत्ता में भागीदारी न देकर प्रचंड बहुमत हासिल करते हैं, और वही दूसरी तरफ आपने सर्व समाज को भागीदारी देकर अपना अस्तित्व संकट में डाल लिया है. आज भी समाज को आपसे बड़ी उम्मीद है. आपका आर आर एस जैसा कोई गैर-राजनीतिक संगठन नहीं है जो मिशन का प्रचार-प्रसार करे और बहुजन समाज को जोड़ने का कार्य करे. मेरा विश्वास है कि आप इस पर जरूर विचार करेंगी.
बी आर गौतम
इलाहाबाद
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