किसान आंदोलन में भी बार-बार बाबासाहब डॉ. आंबेडकर का जिक्र हो रहा है। गाहे-बगाहे किसान नेता बाबासाहब को याद कर रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में भारतीय किसान यूनियन के एक महत्वपूर्ण नेता गुरनाम सिंह चरूनी ने दलितों और सवर्णों की एकजुटता पर जोर दिया है। रविवार 21 मार्च को हरियाणा के कैथल में आयोजित बहुजन महापंचायत में उन्होंने आंदोलन की सफलता के लिए दलितों और सवर्णों की एकता को महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन तभी सफल हो सकता है जबकि सभी जातियों के लोग किसानों के पक्ष में एकजुट होंगे।
कैथल में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जातियों के संयुक्त मोर्चे में उन्होंने यह बयान दिया। इस बहुजन महापंचायत में उन्होंने कहा कि अगर यह आंदोलन सफल नहीं होता है तो सिर्फ किसानों को ही नुकसान नहीं होगा। किसानों के साथ ही केंद्र द्वारा लादे जा रहे कृषि कानूनों का खामियाजा किसानों के अलावा सभी गरीबों को भुगतना होगा। इस प्रकार यह केवल किसानों का नहीं बल्कि पूरे गरीब, दलित एवं बहुजन समाज के भविष्य का भी सवाल है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि दलित, पिछड़ा वर्ग और उच्च जाति के समुदाय एकजुट हो जाएं, अब ऊंची जाति के परिवारों को अपने घरों में बाबासाहब अंबेडकर की फोटो लगाना चाहिए।”
किसान आंदोलन के तीन महीने गुजर जाने के बाद किसान नेताओं का दलितों और बहुजनों की सामाजिक राजनीतिक शक्ति को इस तरह से रेखांकित करना महत्वपूर्ण बात है। भारत के गांवों में दलितों और ओबीसी के बीच ब्राह्मणवादी शक्तियों ने हमेशा से लड़ाइयां पैदा ही हैं। इस पृष्ठभूमि में ओबीसी किसान नेताओं द्वारा दलितों से भाईचारे और घर घर में अंबेडकर की फ़ोटो लगाने की मांग करना एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। यह न केवल दलितों और ओबीसी के लिए हितकारी है बल्कि भारत के महान लोकतंत्र, सांविधानिक मूल्यों और गंगा जमुनी संस्कृति के लिए भी फायदेमंद बात है।

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