रायपुर। संपूर्ण क्रांति आंदोलन चलाने वाले स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता जयप्रकाश नारायण की आज जयंती है. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के छोटे से गांव सिताबदियारा में हुआ था.वे जेपी और लोक नायक के नाम से मशहूर थे. उनके पिता हर्सुल दयास श्रीवास्तव और मां फूल रानी देवी थीं. उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था. इसलिए वे पढ़ाई के लिए पटना चले गए थे. जेपी आंदोलन ने भूतपूर्व इंदिरा गांधी की सत्ता हिला दी और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ गया. दरअसल ये 1970 का वक्त था. जब देश महंगाई से लेकर कई बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा था. लोग तानाशाह इंदिरा गांधी से परेशान थे. जिसके बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन चलाया.
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए उन्होंने संपूर्ण क्रांति नाम का आंदोलन चलाया. इसमें 7 क्रांति शामिल थी, जिसमें राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक क्रांति शामिल थी. जयप्रकाश नारायण की एक हुंकार पर युवा उठ खड़े हुए. जेपी घर-घर में क्रांति के पर्याय बन गए. यहां तक कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, लालमुनि चौबे, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील मोदी ये सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे.
जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी के कई फैसलों को अलोकतांत्रिक बताते हुए पत्र लिखा था. इससे राजनीतिक जगत में सनसनी मच गई. इन्होंने लोकपाल बनाने और लोकायुक्त नियुक्त करने की भी मांग की थी. अप्रैल 1974 में जयप्रकाश नारायण ने जुलूस निकाला, जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया. इस आंदोलन से इंदिरा गांधी को विरोध का इतना सामना करना पड़ा कि उनके हाथ से सत्ता निकल गई. 1975 में कोर्ट में इंदिरा गांधी पर चुनावों में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया और जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की. जिसके बाद इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकालकी घोषणा कर दी और जेपी समेत हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया.
आपातकाल में जब वे जेल में बंद थे, तभी जयप्रकाश नारायण की जबियत अक्टूबर 1976 को खराब हुई. जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया. जांच में पता चला कि उनकी किडनी खराब है. वे डायलिसिस पर रहे. करीब ढाई-तीन साल के बाद 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हार्ट डिजीज और डायबिटीज से उनका निधन हो गया.
जयप्रकाश नारायण को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. समाजसेवा के लिए उन्हें मैगसेसे पुरस्कार भी मिला था. पटना में हवाई अड्डे का नाम और दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ का नाम जेपी के नाम पर पड़ा.

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