नई दिल्ली। प्रदूषण सिर्फ सांस और फेफड़े की बीमारी ही नहीं बढ़ा रहा है बल्कि यह कई स्तरों पर लोगों की जिंदगी को तबाह करने लगा है. बढ़ता प्रदूषण पुरुषों को नपुंसक और औरतों को बांझ बना रहा है. इस भयंकर प्रदूषण की वजह से पुरुषों में लगातार स्पर्म की संख्या कम हो रही है. स्थिति कितनी भयंकर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में 5000 पुरुष अपने फर्टिलिटी का इलाज कराने डॉक्टर के पास पहुंचे हैं.
शोध के मुताबिक 10 साल पहले दिल्ली में पुरुषों में 60 से 80 मिलियन तक स्पर्म काउंट होता था जो अब घट कर 20 से 35 मिलियन तक रह गया है. सामान्य तौर पर पुरुषों में 50 मिलियन स्पर्म काउंट होना चाहिए. इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. अरविंद वैद के मुताबिक प्रदूषण के संपर्क में आने से शरीर तनाव महसूस करता है. इससे स्पर्म पर भी सीधा असर पड़ता है. वैद के मुताबिक दिल्ली में हर महीने 500 मरीज फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या के लिए आ रहे हैं.
गौरतलब है कि स्पर्म मोर्टेलिटी रेट औसतन 40-50 प्रतिशत माना जाता है. दिल्ली में यह 20 प्रतिशत पाया गया. उनमें स्पर्म की गतिशीलता में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी पाई जा रही है. स्पर्म के आकार और गतिशीलता पर असर पड़ने से पुरुषों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस अचानक बढ़ जाता है और डीएनए भी डैमेज होने लगता है, जिसससे उनकी फर्टिलिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है.