नई दिल्ली। दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में कांग्रेस का 84वां अधिवेशन चल रहा है. इसमें पार्टी अगले पांच साल की दशा-दिशा तय करने में जुटी है. इस दौरान आर्थिक और विदेशी मामलों सहित चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए जाएंगे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने किसानों को मुख्य रूप से अपने एजेंडे में शामिल किया है. साथ ही रोजगार, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी कांग्रेस ने प्रमुखता से अपने एजेंडे का हिस्सा बनाया है. इस संबंध में पार्टी ने बुकलेट जारी की हैं, जो पार्टी कार्यकर्ताओं को बांटी जाएंगी. इसमें कांग्रेस ने मोदी सरकार की तमाम योजानओं को नए नारे देकर घेरने की कोशिश की है. बुकलेट की खास बातें यूं है.
1. रोजगार … अच्छे दिन, नौकरी बिन
रोजगार के मामले को राहुल गांधी ने सबसे बड़ा मुद्दा बनाया है. कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन हो रहा है, तो उसमें भी रोजगार की समस्या को उठाया जा रहा है. बुकलेट में एक नारा भी दिया गया कि अच्छे दिन, नौकरी बिन.
2. अर्थव्यवस्था … मेक इन इंडिया प्रोग्राम का शेर दहाड़ने में नाकामयाब रहा
अर्थव्यवस्था से जुड़े सवालों पर मोदी सरकार की योजनाओं को भी कठघरे में खड़ा किया गया है. उज्जवला योजना जैसे फ्लैगशिप प्रोग्राम की सच्चाई बताने का दावा किया है. इसके अलावा मेक इन इंडिया प्रोग्राम का शेर दहाड़ने में नाकामयाब रहा, ऐसे भी आरोप बुकलेट में हैं. आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले असर को भी रेखांकित किया गया है. एनपीए को भी इसमें शामिल किया है.
3. किसान
पूरे देश में किसान कर्ज माफी और फसल के सही दामों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. कांग्रेस ने भी मोदी सरकार और बीजेपी की राज्य सरकारों के खिलाफ उपजे किसानों के गुस्से को अपने एजेंडे में शामिल किया है कार्यकर्ताओं से ये मुद्दे उठाने का आह्वान किया है.
4. मोदी सरकार के दौरान लूट
विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे उदाहरणों के साथ इन घटनाओं को कांग्रेस ने मोदी सरकार की लूट का नाम दिया है. साथ ही ये बताया गया है कि कैसे देश का पैसा लूटने वाले इन बड़े कारोबारियों को विदेश जाने दिया गया.
5. राष्ट्रीय सुरक्षा
सरकार में आने से पहले बीजेपी पाकिस्तान और कश्मीर पर सख्त रुख की पैरोकारी करती थी. कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं कि मौजूदा सरकार पाकिस्तान की मदद कर रही है. बुकलेट में कहा गया है कि चीनी सेना पाकिस्तान में बैठे आतंकी मसूद अजहर की मदद करती है और भारत सरकार चीन से लगातार कारोबार बढ़ा रही है और आयात कर रही है. कश्मीर के हालत का भी जिक्र है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।