नागपुर। सत्यशोधक ओबीसी परिषद के नेतृत्व में अन्य पिछड़ा वर्ग के 5 हजार लोगों ने मनुस्मृति दहन दिवस ( 25 दिसंबर) पर धम्म दीक्षा ली. इस दिन दीक्षाभूमि पर देशभर से दलित, ओबीसी और मुस्लिम समाज के लोग एकत्रित हुए. पहले संविधान चौक से दीक्षा भूमि तक धम्म रैली निकाली गई. उसके बाद 5 हजार ओबीसी दलित ने बौद्ध धर्म को अपनाया.
महाराष्ट्र की सत्यशोधक ओबीसी परिषद पिछले पांच साल से इस योजना को बना रही थी. अंततः 25 दिसंबर को दीक्षाभूमि पर इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया. परिषद ने इस कार्यक्रम का आयोजन अम्बेडकर के धर्मांतरण दिवस पर नागपुर में करने के बारे में सोचा था लेकिन इस दिन दीक्षाभूमि पर होने वाली भीड़ को देखते हुए इसे स्थगित करना पड़ा.
परिषद के एक कार्यकर्ता धानाजी गौरव ने कहा कि हमने तीन कारणों से इस दिन को चुना. इस दिन सावित्री बाई फुले ने पहला महिला स्कूल खोला था, आज के दिन क्रिसमस होता है और आज ही के दिन 1927 में बाबासाहेब ने मनुस्मृति को जलाया था. इस दिन को हम लोग मनुस्मृति दहन दिवस के रूप में मनाते है. उन्होंने कहा की इस मुक्ति दिवस में महिलाओं के समूह भी शामिल है.
धानाजी गौरव ने बताया कि परिषद ने 2011 से ओबीसी लोगों को भर्ती करने का अभियान शुरू किया. परिषद ने ओबीसी को “नागवंशी” के रूप में बताया और उनके इतिहास को जानने पर बल दिया. “नागवंशी” मध्ययुगीन काल में बौद्ध थे. उन्होंने कहा कि अब उनकी सच्ची घर वापसी हो रही है, वह अपने घर आ रहे हैं.
गौरव ने कहा की महाराष्ट्र से सबसे अधिक लोगों ने धर्मांतरण किया. उन्होंने कहा कि पूरे भारत के राज्य से 10-12 संयोजक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे. परिषद को उम्मीद है कि पूरे देश में धर्मांतरण की गतिविधियों को बढ़ाया जाएगा. और जिन्होंने 25 दिसंबर को धर्मांतरण किया है उन्हें धार्मिक शिक्षा की क्लास दी जाएगी.

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