झारखंड। झारखंड मुक्ति मोर्चा की गांडेय विधानसभा सीट से विधायक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन लगातार सक्रिय हैं। जनता में पैठ बनाने के लिए वो विधानसभा उपचुनाव के दौरान किये गए वादों को पूरा करने में जुट गई है। कल्पना सोरेन ने 30 सितम्बर को बेंगाबाद महिला डिग्री कॉलेज व बेंगाबाद-लुप्पी मुख्य मार्ग का शिलान्यास किया। इसकी सूचना सोशल मीडिया पर देते हुए कल्पना सोरेन ने लिखा- “बेंगाबाद में महिला डिग्री कॉलेज का शिलान्यास हो गया है। समय कम था, वादे को पूरा करना कठिन। आज आप के भरोसे, मेरी मेहनत व प्रशासन के सहयोग से यह काम पूरा हुआ।”
कल्पना सोरेन ने शिलान्यास कार्यक्रम में विकास के अन्य काम भी गिनवाएं। उन्होंने कहा- जबसे वह गांडेय की विधायक बनी हैं। तभी से बेंगाबाद-लुप्पी मुख्य मार्ग सुर्खियों में रहा है। हमने 19.8 किलोमीटर लंबी इस महत्वपूर्ण सड़क की स्वीकृति दिलाई है। इसके निर्माण पर करीब 13 करोड़ रुपए लागत आएगी।
मैंने उप चुनाव के समय प्रचार करते वक्त कहा था कि मैं बेंगाबाद में एक डिग्री कॉलेज बनवाऊंगी। लोग कह रहे थे कि समय कम है, कठिन होगा इस वादे को पूरा करना। आज आपके भरोसे, मेरी मेहनत एवं प्रशासन के सहयोग का परिणाम आपके सामने है।
बेंगाबाद में लगभग 40 करोड़ की लागत से बनने जा रहे महिला… pic.twitter.com/ShMbJdhb4d
— Kalpana Murmu Soren (@JMMKalpanaSoren) October 1, 2024
इस सड़क का निर्माण कार्य बेंगाबाद, घाघरा, गेनरो व लुप्पी सहित तीन भागों में बांट कर पूरा किया जाएगा। वहीं, महुवार में महिला डिग्री कॉलेज के भवन व चहारदीवारी निर्माण पर कुल करीब 42 करोड़ रुपए लागत आएगी. कॉलेज का परिसर लगभग 5 एकड़ में होगा। शिलान्यास कार्यक्रम में मंत्री बेबी देवी, हफीजुल हसन, राज्यसभा सांसद डॉ. सरफराज अहमद, गिरिडीह सदर के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू सहित विभागीय अधिकारी व ग्रामीण मौजूद थे।
कल्पना सोरेन ने अन्य डिग्री कॉलेजों का जिक्र करते हुए कहा कि इसी प्रकार सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में डिग्री कॉलेज के निर्माण के लिए राज्य सरकार ने 59.69 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति दी है। गांडेय विधानसभा क्षेत्र के बेंगाबाद में महिला कॉलेज की स्थापना के लिए कुल 43.86 करोड़ स्वीकृत किए गए है। इसके अलावा जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज के विकास के लिए 31.36 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी है। इसका फैसला गत शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया था।
स्कूल शिक्षकों को भी पेंशन
राज्य के गैर सरकारी सहायता प्राप्त (अल्पसंख्यक सहित) प्रारंभिक विद्यालयों के सेवानिवृत्त या मृत शिक्षकों के परिजनों को पेंशन मिलेगी। इसीप्रकार गैर सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं अन्य कर्मियों, व सरकारी विद्यालयों के सेवानिवृत्त या मृत शिक्षकों व अन्य कर्मियों के समान सातवां वेतनमान मिलेगा। उसी के अनुसार पेंशन भी दी जाएगी।
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।