Saturday, January 11, 2025
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एससी बनकर नौकरी हासिल करने का भांडाफोड़

प्रतिकात्मक

नई दिल्ली। वंचित तबके को अक्सर सवर्ण तबके से यह ताना सुनना पड़ता है कि रिजर्वेशन के जरिए सारी सरकारी नौकरियां उन्होंने ले रखी है. लेकिन इस बीच एक चौंकाने वाली खबर आई है. अनुसूचित जाति आयोग के पास कई ऐसी शिकायतें आ रही हैं जहां सामान्य जाति के लोगों ने अनुसूचित जाति का नकली सर्टिफिकेट बनाकर आरक्षित तबके की हकमारी करते हुए उनके हिस्से की नौकरी ले ली है. इस तरह की शिकायतें यूपी और पंजाब से ज्यादा आ रही हैं, खासकर शिक्षा विभाग में. टाइम्स ऑफ इंडिया के हिन्दी संस्करण नवभारत टाइम्स ने इस बारे में एक खबर प्रकाशित की है. और यह खबर पूनम पांडे नाम की संवाददाता सामने ले आई हैं.

यूपी के बुलंदशहर के एक सरकारी स्कूल में भी इस तरह की शिकायत आने के बाद एससी कमिशन ने जांच के आदेश दिए हैं. कमिशन के पास शिकायत आई है कि यूपी में बुलंदशहर के सिकंदराबाद ब्लॉक के एक सरकारी स्कूल में गुंजन नाम की एक टीचर के रेकॉर्ड में गड़बड़ी है. एचआरडी मिनिस्ट्री के तहत आने वाले नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल ऐंड प्लानिंग (न्यूपा) के रेकॉर्ड के मुताबिक यह टीचर अनुसूचित जाति (एससी) कैटिगरी के तहत कार्यरत हैं. जबकि आरटीआई के जवाब में बुलंदशहर के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीएसए) ने बताया है कि यह टीचर सामान्य कैटिगरी के तहत नौकरी पर तैनात हैं.

अखबार के मुताबिक एक दूसरी आरटीआई के जवाब में यह भी पता चला है कि इनके पिता खुद सामान्य कैटिगरी के तहत नौकरी कर रहे हैं. जब एनबीटी ने बुलंदशहर के बीएसए से इस संबंध में उनका पक्ष जानना चाहा तो कई कोशिशों के बाद भी उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया. एससी कमिशन के चेयरमैन रामशंकर कठेरिया ने इस मामले में बुलंदशहर के डीएम को जांच के आदेश दे दिए हैं. कठेरिया के मुताबिक-

यह कोई पहला मामला नहीं है जहां सामान्य जाति के लोग दलितों के लिए आरक्षित सीट पर झूठे सर्टिफिकेट बनवाकर कब्जा किए हुए हैं. कुछ दिनों पहले मथुरा से भी इस तरह की शिकायत आई थी जिस मामले में भी जांच चल रही है.

जाहिर है कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब इस तरह की खबर सामने आई है. अलग-अलग समय पर देश के तमाम हिस्सों से ये खबरें आती रहती है. एक तरफ तो सामान्य तबका जहां वंचित तबके पर कोटे से नौकरी हासिल करने का आरोप लगाता है तो वहीं खुद उसके हक में सेंधमारी करता है. यह खबर उन तमाम अधिकारियों पर भी सवाल खड़े करती है, जिनके पास से गुजर कर जाति प्रमाण पत्र बनता है.

इसे भी पढ़ें-क्यों न सभी जातियों को संख्या के आधार पर आरक्षण प्रदान कर दिया जाए?

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