टर्किश एयरलाइंस में मेरे बग़ल में Yian Lee और Jewel Gomes बैठे हैं। Yian ताइवान में पत्रकार हैं और Jewel बांग्लादेश में पत्रकारिता कर रहे हैं। हम तीनों GIJN कांफ्रेंस के लिए स्वीडन जा रहे हैं। इस फ्लाइट में अलग- अलग देशों के तक़रीबन दो दर्जन से ज़्यादा जर्नलिस्ट हैं जो कांफ्रेंस के लिए जा रहे हैं। हर रंग, रूप और भाषा के लोग। We can say this is like a small world of journalist. हमारी बातचीत शुरू है। हम एक-दूसरे के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी पत्रकारिता के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं।
Yian और Jewel इस बात को जानकर हैरान थे की भारत के विपक्षी दलों ने लिस्ट जारी कर कुछ पत्रकारों को इसलिए बैन किया है क्योंकि वो सत्ता के पिछलग्गू बने हुए हैं। लेकिन दोनों ये भी कह रहे हैं कि मीडिया कहीं भी फ्री नहीं है। बावजूद इसके दुनिया भर के जर्नलिस्ट ईमानदारी से अपने हिस्से का काम कर रहे हैं। खोजी पत्रकारिता सहित अन्य विधा की पत्रकारिता को और बेहतर तरीक़े से कैसे किया जा सकता है, इस पर बात करने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं।
19-22 सितंबर, 2023 तक स्वीडन के Gothenburg में Global Investigative Journalism Conference में 50 से ज़्यादा विषयों पर बात होनी है। 200 देशों के दो हज़ार से ज़्यादा पत्रकार इसमें शामिल हो रहे हैं। इसमें दुनिया भर के अपने विषयों के दिग्गज पत्रकार अपनी बात रखेंगे। सिखाएँगे। गोथेनबर्ग शहर दिखने लगा। मेरी फ्लाइट यूरोप के स्वीडन के धरती पर लैंड होने जा रही है। तापमान 18 डिग्री है।
(18 सितंबर, 2023 को भारत से स्वीडन जाते हुए टर्किश एयरलाइंस के विमान में)
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।