गांधी नगर। 15 साल पहले साल 2002 में गोधरा में ट्रेन जलाने के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की मौत की सजा को बदलकर उम्रकैद में कर दिया है. साथ ही मारे गए परिवार के लोगों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने तत्कालीन गुजरात सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है. कोर्ट के मुताबिक तत्कालीन सरकार दंगों के दौरान कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में विफल रही थी. इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि गुजरात सरकार के साथ साथ रेलवे भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने में फेल रही.
दरअसल मामले की जांच कर रही एसआईटी की विशेष अदालत ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था. जिसमें 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि 20 को उम्रकैद की सजा दी गई थी. इस फैसले के बाद मौत की सजा पाने वाले आरोपियों ने एसआईटी के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिस पर आज फैसला सुना दिया गया.
आपको बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच से आग की लपटें उठने लगीं. इस घटना में आग से झुलसकर 59 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से ज्यादातर वो लोग थे जो अयोध्या में हुए एक कार्यक्रम से लौट रहे थे. बाद में इस घटना को एक बड़ा राजनीतिक रुप दे दिया गया. जिसने गुजरात के माथे पर कभी न मिटने वाला दाग लगा दिया.
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