गोरखपुर के बेजान बच्चों के मां-बाप का दर्द

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जरा सोचिए, हाथों में अपने बच्चों के बेजान शरीर को ढ़ोकर ले जाते मां-बाप के मन में क्या चल रहा होगा. अपने बच्चों के जन्म से लेकर उनके शरीर के बेजान होने तक न जाने कितनी बार उन्होंने उसे आसमान की ओर उछाला होगा, गोद में उठाया होगा, चूमा होगा लेकिन सरकारी और संवेदनहीन तंत्र ने उन दर्जनों बच्चों की सांसे छीन ली. बच्चों के बिलखते मां-बाप और परिवारजनों को देखना, अंदर तक इतना टीस दे गया कि उसका दर्द जाने में वक्त लगेगा.

लेकिन क्या सत्ताधारियों को भी फर्क पड़ा होगा? क्या उन लोगों को फर्क पड़ा होगा जो अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाने के जिम्मेदार थे? अगर फर्क नहीं पड़ा तो एक बार गोरखपुर के उस अस्पताल से घूम आओ जहां बच्चों के बेजान शरीर लिए उनके घरवाले रो-रोकर पागल हो रहे हैं. नहीं जा सकते तो टीवी पर ही देख लो. याद रखो, ये बच्चे मरे नहीं हैं, इन्हें तुमलोगों ने मारा है.

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