नई दिल्ली। भारत की केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. इस फैसले के मुताबिक अब जेल में बंद कैदियों को रिहा किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को चुना है. कैबिनेट में भी इसको लेकर मंजूरी मिल गई है. सरकार के फैसले के मुताबिक आगामी 2 अक्टूबर को देश के विभिन्न जेलों से कैदियों को विशेष माफी के तहत रिहा कर दिया जाएगा. यह रिहाई तीन चरणों में होगी.
पहले चरण में कैदियों को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर, 2018 को रिहा किया जाएगा. दूसरे चरण में कैदियों को चम्पारण सत्याग्रह की वर्षगांठ पर 10 अप्रैल, 2019 को रिहा किया जाएगा. वहीं तीसरे चरण में कैदियों को 02 अक्टूबर, 2019 को रिहा किया जाएगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले के तहत जिन कैदियों को रिहा किए जाने का प्रस्ताव है, उसमें उम्रदराज महिला कैदी, बुजुर्ग कैदी, किन्नर कैदी और दिव्यांग कैदी शामिल हैं. फैसले के तहत उन कैदियों को रिहा किया जाना है, जिन्होंने अपनी सजा का 50 फीसदी हिस्सा पूरा कर लिया है. केंद्र सरकार ने वास्तविक सजा की 66 फीसदी अवधि पूरी करने वाले कैदियों को भी रिहा करने का फैसला किया है.
हालांकि इस फैसले के तहत ऐसे कैदियों को विशेष माफी नहीं दी गई है, जो मृत्युदंड की सजा काट रहे हैं. उन कैदियों को भी इस योजना से बाहर रखा जाएगा, जिनकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है. इसके अलावा दहेज मृत्यु, बलात्कार, मानव तस्करी, पोटा, यूएपीए, टाडा, एफआईसीएन, पोस्को एक्ट, धन शोधन, फेमा, एनडीपीएस, भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम आदि के दोषियों को भी इस योजना के लाभ से बाहर रखा जाएगा. इस प्रक्रिया को देखने के लिए एक समिति गठित करने की भी बात कही जा रही है.
जाहिर सी बात है कि जिन लोगों को सरकार की इस योजना का लाभ मिलने वाला है, वो खुश होंगे. अगर सरकार का यह फैसला जेल सुधार और जेल में बंद कैदियों को एक और मौका देने की कवायद है तो यह एक अच्छी पहल है. लेकिन अगर सरकार के इस फैसले के राजनीतिक पहलू को देखें तो उसके कुछ और मायने दिख रहे हैं. संभव है कि जिन लोगों को सरकार की इस योजना का लाभ मिलेगा वो और उनके परिवार वाले सरकार के प्रति नतमस्तक होंगे और 2019 के चुनावों में सरकार को उनका वोट रूपी समर्थन जरूर मिलेगा. ऐसे में सवाल है कि क्या अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की जोड़ी आम जनता का वोट मिलने की उम्मीद खोती जा रही है और आगामी चुनाव में जीत के हथकंडे के रूप में ऐसे फैसले ले रही है?? यह सवाल तब तक कायम रहेगा, जब तक जेलों से रिहा होने वाले लोगों के आंकड़े सामने नहीं आ जाते.
करन कुमार
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