शरद यादव द्वारा आय़ोजित ‘साझी विरासत बचाओ सम्मेलन’ में एकजुट विपक्ष ने केंद्र के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित इस सम्मेलन में विपक्षी दलों के तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे. शरद यादव को समर्थन देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, सपा के रामगोपाल यादव, सीपीआई के सीताराम येचुरी, बसपा के वीर सिंह, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला सहित 17 दलों के दिग्गज नेता मौजूद थे.
बिहार के घटनाक्रम के बाद हालांकि इस सम्मेलन को शरद यादव बनाम नीतीश कुमार बना दिया गया था, लेकिन असल में यह केंद्र की राजग सरकार के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता थी, जो रंग भी लाई. सारे दिग्गज नेताओं ने भाजपा और मोदी पर जमकर हमला किया.
राहुल ने संघ पर वार करते हुए कहा कि इन लोगों ने तिरंगे को सलाम करना भी सत्ता में आने के बाद सीखा है. राहुल ने कहा कि संघ के लोग जानते हैं कि ये चुनाव नहीं जीत सकते हैं इसलिए हर जगह अपने लोगों को डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम लोगों को इनके खिलाफ एक साथ होकर लड़ना है. पिछले 2 साल में 1 लाख 30 करोड़ रुपए 10-15 करोड़पतियों का माफ कर दिया है. तमिलनाडु के किसान जंतर-मंतर पर नंगे होकर प्रदर्शन कर रहे हैं, किसान पूरे देश में मर रहे हैं.राहुल ने कहा कि मोदी जी मेक इन इंडिया की बात करते हैं लेकिन हर जगह मेक इन चाइन ही दिखता है. राहुल बोले कि जब गुजरात में इन्होंने मेरे ऊपर पत्थर फेंके तो मैंने उनसे बात करनी चाही. लेकिन जब मैं रुका तब पत्थर फेंकने वाले लोग भाग गए.
इस मौके पर शरद यादव ने कहा, बहुत बंटवारे हुए, ऐसा बंटवारा नहीं देखा. उन्होंने कहा कि लोगों को लग रहा था कि मैं खिसक न जाऊं, मंत्री से संत्री न बन जाऊं. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब हिंदुस्तान और विश्व की जनता एक साथ खड़ी हो जाती है तो कोई हिटलर भी नहीं जीत सकता.
विपक्षी दलों ने एक मंच पर आकर यह ऐलान कर दिया है कि भाजपा और राजग के लिए 2019 का चुनाव आसान नहीं होने जा रहा है. लेकिन यह भी देखना होगा कि राज्य औऱ केंद्र में सत्ता से बाहर रहे इन दलों की एकजुटता कम तक कायम रहती है और पूरे देश को भगवा रंग में रंगने की जिद पाले बैठे नेता और दल भाजपा के लिए कितनी चुनौती पेश कर पाते है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।