दलित संगठन एक बार फिर सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. दलित संगठनों ने 25 अगस्त को एक बैठक का आह्वान किया है, जिसमें वे एससी-एसटी संशोधन एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर फैसला लेंगे. मंगलवार को दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान की बहाली को चुनौती दी है.
अखिल भारतीय अंबेडकर महासभा के चेयरमैन अशोक भारती ने कहा कि उन्होंने याचिका की कापी के लिए आवेदन किया है. साथ ही वे सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एक कैविएट दायर करने की भी योजना बना रहे हैं, ताकि सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत इनका भी पक्ष सुन सके. भारती ने कहा कि आगामी 25 अगस्त को 25-30 दलित संगठनों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.
भारती का कहना है कि संसद में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक बिल पास कराने के बाद उनकी मांग पूरी हो गई थी, जिसके चलते 9 अगस्त का बंद रद्द कर दिया गया था. भारती का आरोप है कि सरकार ‘छद्म’ तरीके से यह सब करवा रही है. उनका कहना है कि सरकार एक तरफ तो खुद को दलित समर्थक पेश करना चाहती है, लेकिन दूसरी तरफ डबल गेम खेल रही है. उन्होंने बताया कि वे दोनों याचिकाकर्ताओं की ‘असलियत’ का पता लगा रहे हैं. भारती का कहना है कि वे अपनी लड़ाई सड़क, संसद और कोर्ट में लड़ने के लिए तैयार हैं.
गौरतलब है कि मानसून सत्र में एसटी संशोधन कानून 2018 को लोकसभा और राज्यसभा ने पास कर दिया था और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में निर्देश दिया था कि इस एक्ट के तहत दर्ज शिकायतों पर किसी को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. इस बदलाव के विरोध में दलित संगठनों ने 20 मार्च 2018 को देशव्यापी प्रदर्शन किया था.
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