भारत में दलितों की स्थिति देश के कई हिस्सों में आज भी बदतर है। आज भी वो मूल अधिकारों और जीवन जीने की जरूरी चीजों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दलितों की एक बड़ी आबादी तक आज तक न तो शिक्षा पहुंच पाई है और न ही सरकारी संसाधन। दलितों में भी दलित कही जाने वाली एक जाति होती है- मुसहर। इनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति इतनी खराब है कि बमुश्किल मुसहर समाज का कोई व्यक्ति ऐसा मिलेगा जिसका जीवन बेहतर हो। गरीबी में सनी इस समाज की बड़ी आबादी तक आज तक सरकारी मदद के नाम पर मुट्ठी भर अनाज के अलावा बाकी चीजें कम ही पहुंची है। प्रधानमंत्री आवासीय योजना, मुख्यमंत्री नल-जल योजना और ऐसे ही तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद आज तक न इनके सर पर पक्की छत पहुंची है, और न ही दरवाजे पर नल।
दलित दस्तक के रिपोर्टर गुड्डू कश्यप ने बिहार के सारण जिले के नगरा प्रखंड के एक मुसहर बस्ती की जमीनी हकीकत की पड़ताल की। और जो नतीजें सामने आएं हैं, वो चौंकाने वाले थे। देखिए यह रिपोर्ट-
गुड्डू कश्यप स्वतंत्र पत्रकार हैं। मानवाधिकार आंदोलन से जुड़े गुड्डू कश्यप समानता के पक्षधर हैं और वंचित समाज से जुड़े मुद्दों पर काम करते हैं।
Welcome