हरियाणा में दलितों को बांटने की साजिश शुरू!

हरियाणा। राजनीतिक दलों को दलित समाज को बांटने और राज करने का नया फार्मूला मिल गया है। हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में आते ही भाजपा की सरकार ने आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला ले लिया। 18 अक्तूबर को अपनी पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आरक्षण में उप-वर्गीकरण पर मुहर लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि हम इसे आज से ही लागू करते हैं। सीएम सैनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्यों को अधिकार दिया था। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार अब अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण देगी।

हरियाणा सरकार के इस फैसले पर तमाम दलित एक्टिविस्ट ने सवाल उठाया है और उसे दलितों को बांटने की साजिश कहा है। इस मुद्दे पर एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद से ही वर्गीकरण का पुरजोर विरोध करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे षड्यंत्र कहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर कहा कि-

हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड़यंत्र है। यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है। वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ‘फूट डालो-राज करो’ की नीति है।

इस पूरे मामले में जिस तरह हरियाणा सरकार ने तेजी दिखाई है, वह भी कई सवाल खड़े करती है। क्योंकि वर्गीकरण के फैसले के दौरान मुख्यमंत्री ने किसी तरह के आंकड़े को पेश करने या फिर दलित समाज की जातियों के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन का सर्वेक्षण करने का जिक्र नहीं किया है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था। सवाल यह है कि बिना अनुसूचित जातियों के आर्थिक और सामाजिक प्रगति का सर्वेक्षण किये पहली ही कैबिनेट मीटिंग में वर्गीकरण की घोषणा कर देना कितना सही है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.