हरियाणा में कड़े मुकाबले में हारी कांग्रेस, बसपा-इनेलो गठबंधन भी फेल

हरियाणा चुनाव में बाजी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाती दिख रही है। कड़े मुकाबले में भाजपा लगातार तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने जा रही है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक शाम साढ़े पांच बजे तक भाजपा 49 सीटों पर जीत की ओर है। जबकि कांग्रेस पार्टी 36 सीटों जीतती दिख रही है। जिस बसपा और इनेलो गठबंधन से उम्मीद जताई जा रही थी कि वो प्रदेश में चुनाव को त्रिकोणीय बना देगा, वह कोई कारनामा नहीं कर पाई है। इनेलो को सिर्फ 2 सीटें मिलती दिख रही है, जबकि बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं जीत पाया है। चुनाव में तीन स्वतंत्र उम्मीदवार जीत की ओर हैं।

हरियाणा के चुनावी नतीजों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात वोट प्रतिशत का है। दोनों दलों के बीच एक प्रतिशत से भी कम वोटिंग का अंतर है। भाजपा को जहां 39.90 प्रतिशत वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस पार्टी को 39.09 प्रतिशत वोट मिले हैं। इससे साफ है कि कांग्रेस पार्टी एक प्रतिशत से भी कम वोटों के अंतर से पिछड़ गई है।

अन्य दलों की बात करें तो इनेलो तीसरे नंबर पर रही। उसको 4.15 प्रतिशत वोट मिले और उसके दो उम्मीदवार जीत की ओर हैं। जबकि इनेलो की सहयोगी रही बहुजन समाज पार्टी को 1.82 प्रतिशत वोट मिला है और वह कोई भी सीट नहीं जीत सकी है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को 1.79 प्रतिशत और जजपा को एक प्रतिशत से भी कम वोट मिला है। प्रदेश में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।

साफ है कि जिस भाजपा को खुद हरियाणा में अपने जीत की उम्मीद नहीं थी और माना जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी आराम से चुनाव जीत जाएगी, वहां चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया है। कांग्रेस के इस हार की सबसे बड़ी वजह उसकी अंदरूनी कलह मानी जा रही है। कांग्रेस ने जिस तरह चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को दरकिनार कर बड़े नेताओं के चहेतों को टिकट दिया, उससे कांग्रेस पिछड़ गई है। दूसरी ओर हरियाणा की दिग्गज नेता और दलित समाज से आने वाली कुमारी सैलजा की जिस तरह टिकट बंटवारे में अनदेखी की गई और विरोध में वह दिल्ली आकर बैठ गईं, उसने भी कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका दिया है।

 

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