भाजपा की हरियाणा सरकार ने आरक्षण में वर्गीकरण लागू कर दिया है। वर्गीकरण के तहत अनुसूचित जाति के आरक्षण को दो हिस्सों में बांटने की बात कही गई है। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विधानसभा में अपने अभिभाषण में 13 नवंबर को यह घोषणा की। इसके बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी विधानसभा में इस बात को दोहराया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है। प्रदेश में अनुसूचित जातियों की स्थिति को पता लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य अनुसूचित जाति आयोग को नौकरियों में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी का पता लगाने का निर्देश दिया है।
इस बारे में प्रदेश सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है। इसके मुताबिक प्रदेश में अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। अब इसको 10-10 प्रतिशत के दो हिस्सों में बांट दिया गया है। 10 प्रतिशत आरक्षण एससी समाज की उन वंचित जातियों को मिलेगा, जो पीछे छूट गई हैं। जबकि बाकी का 10 प्रतिशत आरक्षण अन्य अनुसूचित जातियों को मिलेगा।
राज्य सरकार ने एससी समाज की पीछे रह गई जातियों को DSC यानी डिप्राइव शिड्यूल कॉस्ट यानी वंचित अनुसूचित जाति कहा है, जबकि बाकी को OSC यानी अदर यानी अन्य अनुसूचित जाति कहा गया है। हालांकि इन दो हिस्सों में किस जाति को कहां रखा जाएगा, यह अभी तय नहीं है। और यह एससी कमीशन की रिपोर्ट के बाद तय हो पाएगा। आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर जो यह आशंका जताई जा रही थी कि इससे सीटें खाली रह जाएंगी जो सामान्य वर्ग को दे दिया जाएगा, सरकार ने इसको लेकर भी स्थिति साफ की है। सरकार का कहना है कि दोनों वर्गों को बराबर सीटें दी जाएगी। अगर एक वर्ग में काबिल अभ्यर्थी नहीं मिलते तो दूसरे वर्ग को इसका लाभ मिलेगा। न कि किसी अन्य से यह सीटें भरी जाएंगी।
इसी तरह पदों की संख्या विषम यानी 9 रहने पर 5 सीटें वंचित अनुसूचित जातियों को दी जाएगी, जबकि 4 सीटें अन्य अनुसूचित जाति को मिलेगी। उसी विभाग में दुबारा सीटों की संख्या विषम, यानी 9 होने पर इसका अलटा होगा। यानी 5 सीटें अन्य अनुसूचित जातियों को और 4 सीटें वंचित अनुसूचित जातियों को मिलेगी। राज्य सरकार ने साफ किया है कि पहली खाली पोस्ट में वंचित अनुसूचित जातियों को प्राथमिकता दी जाएगी। आरक्षण का यह क्राइटेरिया प्रदेश सरकार की नौकरियों, स्थानीय निकायों एवं शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए लागू होगा। इस आदेश के बारे में विस्तार से जानकारी हरियाणा के मुख्य सचिव की वेबसाइट पर दी गई है।
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद अब सबकी नजर अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट पर रहेगी। देखना होगा कि अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट में प्रदेश में अनुसूचित जातियों के प्रतिनिधित्व को लेकर क्या सामने आता है। इससे यह पता चल पाएगा कि कौन सी जाति कहां खड़ी है। यह आने वाले दिनों में अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण तो बन ही सकता है।