जन जागरूकता कहें, प्रशासनिक सफलता कहें या फिर शानदार नेतृत्व, कोरोना संक्रमण से निपटने के मामले में झारखंड देश के 27 राज्यों से आगे निकल चुका है। मई के दूसरे सप्ताह में जारी आंकड़े के मुताबिक झारखंड की साप्ताहिक संक्रमण दर घटकर 7.01 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही संक्रमण को कम करने के मामले में झारखंड देश भर में तीसरे स्थान पर है।
झारखंड के आगे तेलंगाना दूसरे नंबर जबकि उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। हालांकि उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे मिलने वाले शवों के अंबार ने कई सवाल भी खड़े किए हैं, जिसके बाद यूपी सरकार पर आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाने लगा है। दरअसल कोरोना को रोकने के मामले में झारखंड की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि राज्य में संक्रमण दर तीन सप्ताह में घटकर 16 से 7 प्रतिशत हो गई है।
इसी बीच आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का दावा है कि झारखंड में कोरोना का पीक गुजर गया है और एक जून तक लोगों को राहत मिलने लगेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सब सरकार द्वारा कोरोना रोकथाम के लिए उठाए गए प्रभावी कदम और लोगों के संयम की वजह से संभव हो पाया है। आईआईटी के वैज्ञानिक और पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कंप्यूटिंग मॉडल सूत्र तैयार किया है। इसमें गणितीय विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया गया है। इसी तरह का दावा अन्य वैज्ञानिकों ने भी किया है। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड में कोरोना का पीक अप्रैल अंतिम सप्ताह तक था।
दरअसल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोरोना की आहट के साथ ही प्रदेश में 8 अप्रैल से ही तमाम तरह की पाबंदियां लगा दी थी। इसका फायदा यह हुआ कि राज्य में रिकवरी रेट 90 % से ज़्यादा हो गयी है। पिछले कुछ दिनों से संक्रमण दर भी 4 % के आस पास बनी हुई है। कोरोना को काबू में करने की खबरों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के स्वास्थ्यकर्मियों और प्रदेश की जनता को धन्यवाद दिया है।
ऐसे खबरों को पढ़ ये मत समझियेगा की ख़तरा टल गया है। पिछले एक वर्ष में हमने देखा की जब जब हमने इस महामारी को हल्के में लिया है, तब तब इसने दुगनी शक्ति से वापस आ कर तबाही मचायी है।इसलिए खुश होने के बजाये हमें अब और सतर्क रहना है।
आप सभी झारखंडियों के सहयोग से हम इस महामारी को 1/5 pic.twitter.com/z0afrDDiTv
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) May 19, 2021
जब झारखंड का मीडिया इस खबर को प्रचारित कर रहा था तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी प्रशंसा से खुश नहीं हो गए, बल्कि उन्होंने एक जिम्मेदार और गंभीर नेतृत्वकर्ता की तरह व्यवहार किया। 19 मई को उन्होंने ट्विटर पर लिखा-
” ऐसे खबरों को पढ़ ये मत समझियेगा की ख़तरा टल गया है। पिछले एक वर्ष में हमने देखा की जब-जब हमने इस महामारी को हल्के में लिया है, तब तब इसने दुगनी शक्ति से वापस आ कर तबाही मचायी है। इसलिए खुश होने की बजाये हमें अब और सतर्क रहना है।”
निश्चित तौर पर हेमंत सोरेन कोरोना की रोकथाम को लेकर लगातार सक्रिय रहे हैं। पिछले साल भी उन्होंने अपनी सक्रियता से प्रदेशवासियों का दिल जीता था। और इस साल भी जिस तरह उन्होंने कोरोना को काबू में किया है, एक बेहतर जनसेवक और प्रशासक के रूप में उनकी छवि मजबूत होती जा रही है।

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