हेमंत सोरेन ने वह कर दिखाया है, जो किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री नहीं कर सका। जब लॉकडाउन के कारण तमाम राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर परेशान होकर अपनी सरकारों से घर वापस बुलाने की गुहार लगा रहे हैं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपने प्रदेश के मजदूरों को वापस बुलाने का सबसे पहले इंतजाम किया। कुछ मुख्यमंत्रियों ने उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों के उन बच्चों को बुलाने में तो रुचि ली जो बाहर पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन मजदूरों के बारे में सभी चुप्पी साधे थे। लेकिन हेमंत सोरेन को मजदूरों की भी फिक्र थी।
एक मई की आधी रात को 1200 मजदूरों को लेकर पहली ट्रेन रांची से सटे हटिया स्टेशन पर पहुंची। ये मजदूर तेलंगाना के लिंगमपल्ली से चली स्पेशन ट्रेन से हटिया पहुंचे थे। रात सवा ग्यारह बजे ट्रेन जब हटिया स्टेशन पर रुकी तो मजदूरों की आंखों में खुशी और सुकून के आंसू थे। मजदूरों की चेहरे की चमक में पिछले 40 दिनों की सारी मुश्किलें छिप गईं। स्टेशन पर इन मजदूरों का मेहमानों की तरह स्वागत हुआ, राज्य सरकार के अधिकारियों ने इन्हें गुलाब के फूल दिए और इनके लिए खाने की व्यवस्था की।
इन सभी मजदूरों को सैनिटाइज बसों से इनके गांव भेजा जा रहा है। इससे पहले स्टेशन पर सभी का चेक अप भी हुआ। रांची के डिप्टी कमिश्नर महिमापत राय के मुताबिक, इनके जिलों में पहुंचने पर एक बार फिर इनका चेक अप होगा। इसके बाद इन्हें होम क्वारनटीन किया जाएगा।
इन यात्रियों की व्यवस्था को देखने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी हटिया स्टेशन पहुंचे थे। हेमंत सोरेन की खुशी उनके ट्विटर हैंडल पर दिखी, उत्साहित मुख्यमंत्री ने लिखा- स्वागत है साथियों। यहां तक की स्वागत में बैनर तक लगाए गए। और मजदूरों के घर आने पर उन्हें जोहार कहा गया।
यह सच है कि लॉक डाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे मजदूर कमजोर वर्ग के लोग हैं। और वंचित समाज से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति की मुसीबत उस समाज का मुख्यमंत्री ही समझ सकता है। हेमंत सोरेन का कहना है कि वो अन्य मजदूरों को भी जल्दी ही उनके घर भेजेंगे। हेमंत सोरेन को सलाम है।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।