लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 50 प्रतिशत का बना रहेगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीबीएयू की पिछड़ा जन कल्याण समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट के इस फैसले से अनुसूचित जाति के छात्रों को राहत मिली है. हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को भी आदेश दिया कि भविष्य में ऐसी कोई भी नीति न बनाए जिससे छात्रों को हानि हो. अमित बोस, अभिषेक बोस और निलय गुप्ता याचिकाकर्ता समिति के वकील रहे.
गौरतलब है कि बीबीएयू प्रशासन पिछले कई दिनों से विश्वविद्यालय से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में कटौती करने का प्रयास कर रहा था. जिसका दलित छात्र विरोध कर रहे थे. छात्रों के विरोध करने पर प्रशासन ने उन्हें झूठे आरोप में फंसा कर निष्काषित कर दिया था. इसके अतरिक्त विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ मार-पीट भी की जा रही थी. इतना अत्याचार होने के बाद बीबीएयू की पिछड़ा जन कल्याण समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरक्षण के संबंध याचिका लगाई थी.
बीबीएयू के एक छात्र ने कहा कि बीबीएयू में आरक्षण का मामला किसी समुदाय की हार या जीत का मामला नहीं है. यह अनुसूचित जातियों व जनजातियों के प्रतिनिधित्व से जुड़ा हुआ मामला है. चूंकि विश्वविद्यालय के एक्ट और आर्डिनेंस में एक समुदाय विशेष को आगे बढ़ाने की बात लिखी हुई है, ठीक उसी क्रम में 50 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जातियों को मिला. लेकिन अभी हमारी लड़ाई ख़त्म नहीं हुई है. हम अपने पिछड़े भाइयों को उनका हक जो की मनुवादियों ने 50 प्रतिशत आरक्षण लेकर कब्ज़ा किया हुआ है, उसमें से हम ओबीसी भाइयों के 27 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में अपनी आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने ओबीसी छात्रों के बार में कहा कि जनसंख्या के अनुपात में जिसने आपके हक पर कब्ज़ा किया है उन मनुवादियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करिये. अनुसूचित जातियां सदैव आपके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी थी और खड़ी रहेंगी. ओबीसी भाइयों को सनद रहे की किसने मंडल कमीशन का विरोध किया, और किसके आरक्षण में से आपको 27 प्रतिशत आरक्षण मिला वही लोग आपको आगे करके हमेशा से ओबीसी और अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को आपस में लड़वाते आए हैं.
दलित छात्रों ने अपने ओबीसी भाइयों के साथ सद्भाव और एकता का परिचय देते हुए 50%+27% आरक्षण की बात करते हुए एक दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया और नारा दिया कि ” 50 हमें मिल गया अब 27 की बारी है. ” बीबीएयू के छात्र गौतम बुद्ध केंद्रीय पुस्तकालय पर एकत्रित होकर दलित और पिछड़ा को साथ लेकर चलने की बात करते हुए माननीय न्यायालय से आये हुई निर्णय का सम्मान करने के साथ ही साथ आपसी एकता पर बल दिए.

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