Monday, April 28, 2025
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हिन्दुवादी संगठनों को छूट, चंद्रशेखर रावण को क्यों नहीं

एक फिल्म के विरोध को लेकर करणी सेना को आतंक मचाने की खुली छूट के बाद भाजपा शासित केंद्र और राज्य सरकारों पर सवाल उठने लगे हैं। सड़कों पर तलवार लहराते एक जाति विशेष के कुछ लोगों की तस्वीरें सामने आने के बाद बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि आखिर भाजपा की सरकार उनके आतंक की अनदेखी क्यों कर रही है और सरकार के साथ उस संगठन का क्या संबंध है.

असल में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से केंद्र और भाजपा शासित राज्य सरकार ने कुछ ख़ास तरह के गुटों और उनकी गतिविधियों को संरक्षण दिया है, जबकि दूसरे संगठनों के विरोध को कुचलने पर अमादा है. अपने विरोधी विचारधारा के लोगों के साथ भाजपा का रवैया जितना कठोर बना हुआ है, सहयोगी विचारधारा वालों को उतनी ही छूट हासिल है. करणी सेना के लोगों ने सिनेमाघरों पर हमले किए, गाड़ियों में आग लगाई, तोड़-फोड़ किया. संजय लीला भंसाली और दीपिका पादुकोण को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए गए, लेकिन उनमें से किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. किसी पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ.

इसके उलट चंद्रशेखर रावण, जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार और हार्दिक पटेल जैसे युवाओं को कभी न कभी जेल की हवा खानी पड़ी है. चंद्रशेखर रावण पर तो रासुका तक लगा कर उनके करियर को बर्बाद करने की कोशिश की गई है. चंद्रशेखर आज़ाद रावण की भीम आर्मी ने दलितों के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ ज़रूर आवाज़ उठाई थी, आज वे कोर्ट से ज़मानत मिलने के बावजूद रासुका के कारण जेल में पड़े हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने यही कदम उन सवर्णों के ख़िलाफ़ नहीं उठाया, जिनकी वजह से चंद्रेशेखर रावण उर्फ शेखर कुमार को भीम आर्मी जैसे संगठन का गठन करना पड़ा. तमाम बातों के बीच सबसे निराशाजनक बात यह है कि देश के बुद्धिजीवियों के लगातार सवाल उठाए जाने के बाद भाजपा सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.

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