सृजन घोटाले में नीतीश व सुशील मोदी इस्तीफा दें: लालू

भागलपुर। बिहार के भागलपुर जिले में 750 करोड़ रुपया का एनजीओ घोटाला सामने आया है. इसके तहत शहरी विकास के लिए भेजी गई यह राशि गैर-सरकारी संगठन के खातों में पहुंचाई गई. अब तक इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस मामले की प्राथमिक जांच से उजागर हुआ है कि मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए सरकारी बैंकों में पैसा जमा हुआ जोकि गैर-सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में ट्रांसफर हो गया.

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व सुशील मोदी अपने पद से इस्तीफा दें. इनके रहते सही तरीके से जांच नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट से भी आग्रह करेंगे कि सृजन घोटाला मामले की मॉनिटरिंग करे. इस मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन होना चाहिए. श्री प्रसाद शुक्रवार को राजकीय अतिथिशाला में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने सारी नीतियों को ताख पर रख कर राशि लुटवाने का काम किया है. इस घोटाले में बड़े-बड़े भाजपा नेता भी फंसेंगे.

सृजन संस्था की शुरुआत महज दो महिलाओं के साथ मनोरमा देवी ने की थी. धीरे-धीरे महिलाओं की संख्या बढ़ कर करीब छह हजार हो गयी. गरीब, पिछड़ी, महादलित महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उन्हें आत्मनिर्भर करने के उद्देश्य से इस संस्था की शुरुआत की गयी थी. महिलाओं का तकरीबन 600 स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से सृजन ने जोड़ा.

पति के निधन बाद भागलपुर आ गयी थी मनोरमा: वर्ष 1991 में मनोरमा देवी के पति अवधेश कुमार का असामयिक निधन हो गया था. उनके पति रांची में लाह अनुसंधान संस्थान में वरीय वैज्ञानिक के रूप में पदस्थापित थे.

उनके नहीं रहने पर छह बच्चों की परवरिश का जिम्मा मनोरमा पर आ गया. वर्ष 1993-94 में उन्होंने सबौर में किराये के एक कमरे में सुनीता और सरिता नामक दो महिलाओं के सहयोग से एक सिलाई मशीन रखकर कपड़ा सिलने का काम शुरू किया. इसके बाद रजंदीपुर पैक्स ने 10 हजार रुपये कर्ज दिया. इससे कारोबार को बल मिला और कपड़े तैयार कर बाजर में बेचा जाने लगा. आमदनी बढ़ने लगी, तो सिलाई-कढ़ाई का काम आगे बढ़ता गया. एक से बढ़ कर कई सिलाई मशीनों पर काम होने लगा. इसके साथ-साथ महिलाओं की संख्या भी बढ़ने लगी.

वर्ष 1996 में मिला था रजिस्ट्रेशन: वर्ष 1996 में सृजन महिला का समिति के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ. इसमें मनोरमा देवी सचिव के रूप काम कर रही थी. महिलाओं को समिति से जुड़ता देख सहकारिता बैंक ने 40 हजार रुपये कर्ज दिया. काम से प्रभावित होकर सबौर स्थित ट्रायसम भवन में समिति को अपनी गतिविधियों के आयोजन की अनुमति मिली. बाद में 35 साल की लीज पर यह भवन समिति को मिल गया.

मनोरमा की मौत के बाद प्रिया बनी सचिव : मनोरमा देवी की मौत 69 वर्ष की उम्र में 14 फरवरी 2017 को हो गयी. इसके बाद उनकी बहू और अमित कुमार की पत्नी ने सचिव पद पर योगदान दिया. प्रिया कुमार शहर में बेस्ट मदर प्रतियोगिता का भी हाल में आयोजन किया था. मनोरमा देवी के बड़े पुत्र डॉ प्रणव कुमार ऑस्ट्रेलिया में चिकित्सक हैं.

छोटे पुत्र अमित कुमार भागलपुर के तिलकामांझी स्थित तुलसीनगर कॉलोनी में कुछ वर्ष पूर्व तक लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी का अध्ययन केंद्र डॉ ए कुमार इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में चलाया करते थे. इसके बाद अध्ययन केंद्र बंद कर उसमें इथिकल हैकिंग का कंप्यूटर कोर्स शुरू किया.

बाद के दिनों में डॉ ए कुमार इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन के बाद कुमार क्लासेस नाम से इंस्टीट्यूट चलाने लगे. इसी दौरान एक प्रयास नामक संस्था की कुमार ने शुरुआत की. इसके अंतर्गत रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाने लगा. दूसरी ओर कुमार क्लासेस की बिल्डिंग में ही इ-बिहार झारखंड नाम से न्यूज पोर्टल भी संचालित किया जाता था. अमित कुमार एक पत्रिका लीडर्स स्पीक का प्रकाशन भी कर रहे थे, जिसके वे चीफ एडिटर थे.

RBI ने जा़री किया 50 के नए नोट का सैंपल

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही 50 रुपए का नोट जारी करेगा. नए नोट पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर होंगे. यह नोट महात्मा गांधी वाली नई सीरीज के अंतर्गत जारी किया जाएगा. वहीं बाजार में पहले से मौजूद 50 रुपए के पुराने नोट भी मान्य होंगे. यह जानकारी आरबीआई ने एक नोटिफिकेशन के जरिए दी है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से बीते साल 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद आरबीआई ने 500 और 2000 रुपए का नया नोट जारी किया था. नोटबंदी के बाद आरबीआई ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य कर दिया था.

50 रुपए के नए नोट के पिछले हिस्से पर रथ के साथ हम्पी की आकृति होगी, जो कि देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाएगी. आपको जानकारी के लिए बता दें कि कर्नाटक स्थित हम्पी यूनेस्को की ओर से घोषित वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. असल में यह मंदिरों और स्मारकों का शहर है.

वहीं नोट के अगले हिस्से पर महात्मा गांधी का चित्र, इलेक्ट्रोटाइप (50) वाटरमार्क, सिक्योरिटी थ्रेड जिसपर भारत और आरबीआई लिखा होगा, बाईं ओर अशोक स्तंभ और नंबर पैनल में बढ़ते हुए क्रम के साथ अन्य फीचर भी होंगे. वहीं नोट के बाईं ओर प्रिंटिंग यानी छपाई का साल लिखा हुआ होगा. साथ ही नोट पर स्वच्छ भारत अभियान का स्लोगन, इसका लोगो और लैंग्वेज पैनल भी मौजूद होगा.

ICC के रैकिंग में टॉप पर रहे कोहली

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भारतीय कप्तान विराट कोहली ताजा वनडे रैकिंग में बल्लेबाजों की सूची में शीर्ष पर कायम हैं. शुक्रवार को जा़री रैंकिंग में कोहली 873 की रेटिंग के साथ टॉप पर हैं. रविवार से शुरू होने वाली 5 वनडे मैचों की सीरीज के दौरान उनके पास दूसरे नंबर पर काबिज डेविड वॉर्नर पर बढ़त बनाने का अच्छा मौका रहेगा. इन दोनों के बीच अभी 12 अंक का अंतर है.अन्य भारतीय बल्लेबाजों में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (12वें), शिखर धवन (13वें) और उप-कप्तान रोहित शर्मा (14वें) शीर्ष 15 में शामिल हैं. हालांकि कोई भी भारतीय गेंदबाज शीर्ष 10 में शामिल नहीं है. तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार (13वें) शीर्ष 15 में शामिल एकमात्र भारतीय गेंदबाज हैं.

आईसीसी वनडे टीम रैंकिंग में भारत अभी नंबर 3 पर है और उसे इस पोजिशन पर बने रहने के लिए आगामी सीरीज 4-1 से जीतनी होगी. भारत के अभी 114 अंक हैं और अगर वह 3-2 से भी सीरीज जीतता है, तो उसके 113 अंक हो जाएंगे और वह दशमलव में गणना करने पर इंग्लैंड से पीछे खिसक जाएगा जो अभी चौथे नंबर पर है.इस बीच श्रीलंका की निगाहें आगामी सीरीज के दौरान आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 में सीधे क्वालिफाई करने पर टिकी रहेंगी. उसे 50 ओवर के शीर्ष टूर्नामेंट में अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए कम से कम दो मैच जीतने होंगे. सीधे क्वालिफिकेशन की आखिरी तारीख 30 सितंबर है. श्रीलंका अभी 88 अंक लेकर 8वें स्थान पर है. उसके वेस्टइंडीज से 10 अंक अधिक हैं. कैरेबियाई टीम के लिए मेजबान इंग्लैंड के अलावा 7 अन्य शीर्ष रैकिंग वाली टीमों में जगह बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा.

आईसीसी वनडे टीम रैंकिंग में अंतिम 4 स्थानों पर रहने वाली टीमों को क्वालिफाइंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेना होगा, जिसमें आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग चैंपियनशिप की शीर्ष चार टीमें और आईसीसी वर्ल्ड क्रिकेट लीग की चोटी की 2 टीमें भी भाग लेंगी. इस क्वालिफाइंग प्रतियोगिता में शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 में खेलेंगी. दो मैच जीतने से श्रीलंका के 90 अंक हो जाएंगे और ऐसे में अगर वेस्टइंडीज आयरलैंड के खिलाफ 13 सितंबर को होने वाला एकमात्र वनडे और इंग्लैंड के खिलाफ 19 से 29 सितंबर तक होने वाली सीरीज के सभी 5 मैच भी जीत लेता है, तब भी उसके अंकों की संख्या 88 पर ही पहुंच पाएगी.

आशीष कुलकर्णी ने छोड़ी कांग्रेस, लगाए बड़े आरोप

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नई दिल्ली। कांग्रेस के कोऑर्डिनेशन सेंटर के सदस्य और राहुल गांधी के करीबी सहयोगी रहे आशीष कुलकर्णी ने पार्टी छोड़ दी है. पार्टी से अपने इस्तीफे के साथ ही उन्होंने प्रियंका गांधी को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की अफवाहों पर भी सवाल खड़े किए. राहुल के करीबी सहयोगी रहे आशीष ने उन्हें भेजे अपने इस्तीफे में कहा कि प्रियंका के प्रमोशन की अफवाहें पार्टी के ही ऐसे दिग्गज चेहरे फैला रहे हैं, जो 2014 की करारी हार के कारण नहीं बता पा रहे. आशीष ने कहा कि अब ऐसे लोग हार का सारा दोष राहुल गांधी पर मढ़ना चाहते हैं. यही नहीं उन्होंने कांग्रेस पार्टी में वंशवाद बढ़ने के भी आरोप लगाए.

आशीष कुलकर्णी  ने कहा कि कांग्रेस अब कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों के साथ खड़ी दिखती है. उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रकरण में कांग्रेस एक तरह से अल्ट्रा लेफ्ट के साथ सहानुभूति दिखाती नजर आई. आशीष ने लिखा कि पार्टी ने जमीनी हकीकत से दूरी बना ली है और मौजूदा स्थितियों को समझने और कार्यकर्ताओं से जुड़ने में असफल साबित हो रही है.इन अफवाहों को ‘घृणित’ करार देते हुए कुलकर्णी ने अपने इस्तीफे में लिखा कि पुराने नेताओं की ओर से ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं ताकि ऐसी धारणा बने कि पार्टी में राहुल के नेतृत्व पर अविश्वास का माहौल है.

2009 के बाद से ही कांग्रेस के वॉर रूम से जुड़े रहे आशीष ने पार्टी की मौजूदा स्थिति पर कई सवाल खड़े किए हैं. राहुल गांधी को संबोधित 3 पेज के अपने पत्र में आशीष ने लिखा, ‘हम पार्टी में प्रबंधन को मजबूत नहीं कर सके हैं. महाराष्ट्र, असम, गोवा, अरुणाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पार्टी की निर्णयहीनता के चलते हार का सामना करना पड़ा है. यही स्थिति हिमाचल और गुजरात में भी दोहराई जा सकती है.

महिला सांसद ने बुर्के को बताया सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

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सिडनी। ऑस्ट्रेलिया की सीनेटर पाउलिन हैंसन संसद में बुर्का पहनकर आईं. पाउलिन हैंसन ऑस्ट्रेलिया में बुर्का के खिलाफ मुहिम चला रही हैं. इसी मुहिम के तहत वो बुर्का पहनकर संसद पहुंची और कहा, इस पर बैन लगाना जरूरी है. हालांकि उनके इस कैंपेन को कई मुस्लिम सांसदों ने आलोचना की है.

मुस्लिम विरोधी, प्रवासी विरोधी ‘वन नेशन माइनर पार्टी’ की नेता पाउलिन हैंसन ने गुरुवार को दस मिनट से ज्यादा समय के लिए सिर से लेकर टखने तक काले रंग का बुर्का पहना.

उन्होंने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वह चाहती हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर ऐसे लिबास पहनने पर रोक लगाई जाए. अटॉर्नी जनरल जॉर्ज ब्रैंडिस ने कहा कि उनकी सरकार बुर्का पर प्रतिबंध नहीं लगाएगी जिसे लेकर उनकी तारीफ की गई और उन्होंने हैंसन की आलोचना करते हुए इसे ऑस्ट्रेलिया में मुस्लिम अल्पसंख्यकों का अपमान करने वाला ‘स्टंट’ बताया.

बाद में पाउलिन ने कहा, ‘मैं बुर्का उतारकर काफी खुश हूं क्योंकि पार्लियामेंट में इसे पहनकर नहीं आना चाहिए था.’ पाउलिन ने सिर से लेकर टखने तक काले रंग का बुर्का पहना था.

JNU के छात्रों से मारपीट और छात्रा से रेप करने की कोशिश

नई दिल्ली। देश की सबसे प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों पर लाठियों से हमला करने का मामला सामने आया है. यह घटना थाना सूरजकुंड क्षेत्र की है जहां दोस्तों के साथ घूमने आए छात्र के साथ ऐसा हुआ. इनके साथ एक छात्रा भी थी जिसके साथ रेप और छेड़छाड़ की कोशिश की गई.

दिल्ली पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज कर सूरजकुंड थाने को भेजी है. छात्रा ने फरीदाबाद पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उससे और उसके दोस्तों से जबरदस्ती लिखवाया गया कि वो कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहते और मामला दर्ज नहीं किया गया. सूरजकुंड के एसएचओ ने आरोप को गलत बताया. सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर पता चला कि छात्रों ने बिना किसी दबाव के बयान दिया. जेएनयू की छात्रा ने पुलिस को बताया कि 14 अगस्त को जेएनयू के छह छात्र और वह असोला वन्यजीव अभयारण्य के अंदर बनी एक झील के पास गए थे. रात को 8:30 बजे वो लौट रहे थे. छात्रा अपने दो दोस्तों के साथ बाइक पर मेन रोड पर जा रही थी और चार दोस्त पीछे पैदल आ रहे थे. तभी रास्ते में कुछ युवकों ने बाइक रुकवा ली. छात्रों में एक अल्पसंख्यक भी था. रास्ते में मिले युवक धार्मिक भावनाओं को भड़काने लगे और उसे परेशान करने लगे. छात्रों के विरोध करने पर भी वो नहीं माने और लड़की से अश्लील हरकत करने लगे और रेप का प्रयास किया. तभी 8-9 लोगों ने उनपर लाठियों से हमला किया. आरोपियों ने उनकी आईडी मांगी और मोबाइल भी तोड़ दिया. जेएनयू के स्टूडेंट इसकी शिकायत दर्ज कराने सूरजकुंड गए तो पुलिस ने उनसे जबरदस्ती लिखवा लिया की वो कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते. छात्रा ने दिल्ली पुलिस को शिकायत दी और वसंत कुंज थाने ने जीरो एफआईआर कर थाना सूरजकुंड पुलिस को भेजी. थाना सूरजकुंड प्रभारी इंस्पेक्टर पंकज ने कहा कि विद्यार्थी मानव रचना यूनिवर्सिटी के सामने मौजूद खूनी झील पर गए थे. वहां पर बहुत सी चेतावनियां भी लिखी थीं लेकिन वो देर रात तक वहां रहे और जब वो वापस लौटे तो ये घटना हुई. कंट्रोल रूम को जब जानकारी मिली तो पुलिस वहां पहुंची.

हम पाकिस्तानी नहीं हिन्दुस्तानी मुसलमान हैंः फारूक अब्दुल्ला

नई दिल्ली। अपनी नई सियासी राह को तलाशने के लिए शरद यादव गुरूवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में साझी विरासत बचाओ के नाम पर एक सम्मेलन कर विपक्ष को एक जुट करने की कवायद में लगे हैं. शरद यादव के इस सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा गुलाम नवी आजाद के साथ 17 बड़े विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के नेता शामिल हुए.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी देश के हालात पर चिंता जताई, लेकिन किसी का नाम नहीं लिया. उन्होंने कहा कि भारत, चीन और पाकिस्तान का सामना किया जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज भीतर से खतरा है, बाहर से नहीं. अब्दुल्ला ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के अंदर कोई चोर बैठा हुआ है, जो हमारा बेड़ा गर्क कर रहा है.

केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि पहले हमारी लड़ाई अंग्रेजो से थी लेकिन अब अपनों से है. खुद को हिन्दुस्तानी मुसलमान कहते हुए उन्हें फक्र होता है. लेकिन जो लोग जोड़ने की बात करते हैं वही बांटने में लगे हैं. पहले एक पाकिस्तान बना चुके है लेकिन अब पाकिस्तानी बनाने में लगे हैं. उनसे कहा जाता है कि वह वफादार नहीं है लेकिन पलटवार करते हुए वह कहते हैं कि आप दिलदार नहीं हैं. हम लोगों के पास 1947 में पाकिस्तान जाने का विकल्प था. लेकिन आज हमें पाकिस्तानी कहा जा रहा है. हम पाकिस्तानी या अंग्रेजी मुसलमान नहीं हैं, हम हिन्दुस्तानी मुसलमान हैं. फारूक अब्दुला ने कहा कि देश में ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा है जैसे कश्मीर के मुसलमान पाकिस्तानी हैं.

स्पेन में ISIS का बड़ा आतंकी हमला, 13 की मौत और 100 से ज्यादा घायल

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बार्सिलोना। स्पेन के बार्सिलोना और कैम्ब्रिल्स में गुरुवार को आतंकी हमला हुआ. बार्सिलोना के सिटी सेंटर में आतंकियों की एक वैन ने कई लोगों को कुचल दिया. इसमें 13 लोगों की मौत हो गई है, और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. वहीं, दूसरा हमला बार्सिलोना से 100 किलोमीटर दूर कैम्ब्रिल्स में हुआ. यहां कार ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर भागने की कोशिश की. इस घटना में 1 पुलिसकर्मी सहित 7 लोग घायल हो गए. हालांकि पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 4 आतंकियों को मार गिराया है. वहीं, एक संदिग्ध आतंकी को घायल कर गिरफ्तार कर लिया गया है.

कैटोलोनिया प्रांत की पुलिस ने एक बयान में कहा कि बार्सिलोना के लॉस रामब्लास इलाके में एक व्यक्ति ने वाहन से टक्कर मारी. इसमें कई लोग घायल हो गए. घटना वाले इलाके की घेराबंदी कर दी गई, मौके पर कई एंबुलेंस और पुलिस वाहन मौजूद हैं. लास रामब्लास बार्सिलोना का बहुत मशहूर एवं व्यस्त इलाका है. आमतौर पर यहां पर्यटकों की खासी भीड़ होती है और रात तक मनोरंजन कार्यक्रम चलते रहते हैं. स्पेन अब तक इस तरह के चरमपंथी हमले से बचा रहा है जो हाल के समय में फ्रांस, बेल्जियम और जर्मनी में हुए हैं.

आईएस ने ली जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएस ने हमले की जिम्मेदारी ली है. पुलिस ने ट्विटर पर इस घटना को ‘भयावह’ बताया. क्षेत्रीय गृह मंत्री जोआक्विम फोर्न ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. उन्होंने बताया कि हमले में घायल हुए लोगों में से 10 की स्थिति गंभीर है.

दलित महिला ने मजदूरी से किया इनकार तो सवर्णों ने काट डाली नाक

सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक दलित महिला की नाक काटने का मामला सामने आया है. महिला का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने बंधुआ मजदूर बनने से साफ इनकार कर दिया था.

महिला का आरोप है कि उसे और उसके पति को जबरन बंधुआ मजदूरी करने के लिए कहा जा रहा था. इनकार करने पर उसकी नाक काट दी गई. मामले का संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश महिला आयोग ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. इस मामले में दलित और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की शिकायत को महिला आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े ने गंभीर मानते हुए पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं तथा कहा कि आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाये और उन्हें कडी से कड़ी सजा दी जाए.

पीड़ित महिला दलित परिवार से आती है. पुलिस ने बताया कि बीते सोमवार को ऊंची जाति के आरोपी बाप-बेटे ने घर में मजदूरी का काम कराने के लिए पीड़ित महिला और उसके पति को वहां आने को कहा लेकिन दोनों ने इससे इनकार कर दिया. आरोप है कि इसी बात से आरोपियों को गुस्सा आ गया.

आरोपी बाप-बेटे ने दलित दंपति को जातिसूचक गाली देते हुए उनकी जमकर पिटाई की. इसके बाद पीड़िता जब अपने पति को अस्पताल लेकर जा रही थी, उसी समय एक आरोपी ने उसकी नाक काट दी. इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़िता ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े को आपबीती सुनाई.

सुरखी पुलिस थाना प्रभारी आर एस बागरी ने बताया कि सोमवार को नरेन्द्र सिंह (32) और उसके पिता साहब सिंह ने राघवेन्द्र धानक (40) एवं उसकी पत्नी जानकी को अपने घर पर आने और मजदूरी का काम करने को कहा था. थाना प्रभारी बागरी ने बताया कि महिला की शिकायत पर हमने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 एवं 324 सहित एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर  दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

 

शरद यादव के मंच से भाजपा के खिलाफ एकुजट हुए 17 दल

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शरद यादव द्वारा आय़ोजित ‘साझी विरासत बचाओ सम्मेलन’ में एकजुट विपक्ष ने केंद्र के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित इस सम्मेलन में विपक्षी दलों के तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे. शरद यादव को समर्थन देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, सपा के रामगोपाल यादव, सीपीआई के सीताराम येचुरी, बसपा के वीर सिंह, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला सहित 17 दलों के दिग्गज नेता मौजूद थे.

बिहार के घटनाक्रम के बाद हालांकि इस सम्मेलन को शरद यादव बनाम नीतीश कुमार बना दिया गया था, लेकिन असल में यह केंद्र की राजग सरकार के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता थी, जो रंग भी लाई. सारे दिग्गज नेताओं ने भाजपा और मोदी पर जमकर हमला किया.

राहुल ने संघ पर वार करते हुए कहा कि इन लोगों ने तिरंगे को सलाम करना भी सत्ता में आने के बाद सीखा है. राहुल ने कहा कि संघ के लोग जानते हैं कि ये चुनाव नहीं जीत सकते हैं इसलिए हर जगह अपने लोगों को डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम लोगों को इनके खिलाफ एक साथ होकर लड़ना है. पिछले 2 साल में 1 लाख 30 करोड़ रुपए 10-15 करोड़पतियों का माफ कर दिया है. तमिलनाडु के किसान जंतर-मंतर पर नंगे होकर प्रदर्शन कर रहे हैं, किसान पूरे देश में मर रहे हैं.राहुल ने कहा कि मोदी जी मेक इन इंडिया की बात करते हैं लेकिन हर जगह मेक इन चाइन ही दिखता है. राहुल बोले कि जब गुजरात में इन्होंने मेरे ऊपर पत्थर फेंके तो मैंने उनसे बात करनी चाही. लेकिन जब मैं रुका तब पत्थर फेंकने वाले लोग भाग गए.

इस मौके पर शरद यादव ने कहा, बहुत बंटवारे हुए, ऐसा बंटवारा नहीं देखा. उन्होंने कहा कि लोगों को लग रहा था कि मैं खिसक न जाऊं, मंत्री से संत्री न बन जाऊं. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब हिंदुस्तान और विश्व की जनता एक साथ खड़ी हो जाती है तो कोई हिटलर भी नहीं जीत सकता.

विपक्षी दलों ने एक मंच पर आकर यह ऐलान कर दिया है कि भाजपा और राजग के लिए 2019 का चुनाव आसान नहीं होने जा रहा है. लेकिन यह भी देखना होगा कि राज्य औऱ केंद्र में सत्ता से बाहर रहे इन दलों की एकजुटता कम तक कायम रहती है और पूरे देश को भगवा रंग में रंगने की जिद पाले बैठे नेता और दल भाजपा के लिए कितनी चुनौती पेश कर पाते है.

पीएम मोदी की नई मेट्रो रेल नीति जनविरोधी- मायावती

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुधवार को घोषित नई मेट्रो रेल नीति को लेकर उन पर निशाना साधा है. मायावती ने इस मेट्रो रेल नीति जनविरोधी ठहराते हुए पीएम मोदी की तीखी आलोचना की. मायावती ने कहा कि इस नीति से उत्तर प्रदेश में खासकर कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद आदि में मेट्रो रेल की स्थापना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव हो गयी है. और लखनऊ में मेट्रो के संपूर्ण विस्तार पर भी संकट के बादल छा गए हैं. असल में नई मेट्रो रेल नीति में केंद्र सहयोग नहीं करेगी, साथ ही अब मेट्रो निर्माण में निजी क्षेत्र की भागेदारी को ज़रूरी कर दिया गया है. पूर्व राज्यसभा सांसद ने आशंका जताई कि केंद्र सरकार के इस कदम से मेट्रो का विकास रुक जाएगा क्योंकि पूंजीपति वर्ग कम मुनाफे वाली परियोजनाओं में हाथ नहीं डालता है. मीडिया को जा़री प्रेस विज्ञप्ति में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किसानों की कर्ज़माफी व सभी लघु एवं सीमान्त किसानों के फसली ऋण माफ नहीं करके केवल एक लाख रुपये तक के हीं फसल ऋण माफ करने को ‘हर कदम किसानों के साथ विश्वासघात’ की संज्ञा दी. कुमारी मायावती ने कहा कि ऐसा करना भाजपा के शीर्ष नेताओं की चुनावी घोषणाओं व उस समय जा़री पार्टी के मेनीफेस्टो का ही उपहास है. मायावती ने इसे भाजपा सरकार की एक और जबर्दस्त चुनावी वादाखिलाफी कहा.

‘बिसाही डायन‘ के आरोप में महिला को जिंदा जलाया

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पलामू। झारखंड के पलामू जिले में बिसाही डायन के अंधविश्वास के नाम पर मानवता को शर्मसार करने वाली एक बार फिर से घटना को अंजाम दिया गया. जिले के पांकी थाना क्षेत्र में लोगों ने एक महिला पर डायन होने का आरोप लगाते हुए पहले तो जमकर पीटा. जब वह पिटाई से अधमरी हो गई तो उसे खींचकर जंगल में ले गए. इसके बाद उसे जिंदा जलाकर मार डाला.

घटना के बाद पुलिस महिला का शव बरामद कर लिया. इस मामले में 10-12 लोगों को नामजद किया गया है. पुलिस ने मुख्य आरोपी सह ठेकही गांव की निवासी सेवंती देवी सहित दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

जानकारी के अनुसार ठेकही-अंदाग के सुदेश्वर नामक ग्रामीण के बच्चे की 13 अगस्त की रात में संभवत सर्पदंश से मौत हो गई थी. लेकिन सुदेश्वर के परिजनों ने गांव की कांति देवी को इसके लिए दोषी माना. उन्होंने महिला को घर से बाहर निकाला डायन करार देकर बुरी तरह पीटा. पिटाई से महिला बेहोश हो गई. बाद में आरोपियों ने महिला को जंगल में ले जाकर जला दिया.

घटना की सूचना पर पुलिस वहां बुधवार को पहुंची और शव को अपने कब्जे में लिया. वारदात को लेकर पांकी थाना में लगभग दर्जन भर लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. पुलिस ने मुख्य आरोपी सेवंती देवी और इलाके के एक ओझा को गिरफ्तार किया है. अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है.

असम, बिहार और बंगाल में बाढ़ से 1 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित, 120 लोगों की मौत

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नई दिल्ली। भारत में बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बाढ़ के कारण असम, बिहार और पश्चिम बंगाल की हालत दयनीय हो गई है. बिहार में 14 जिलों में 74.44 लाख आबादी प्रभावित है. बाढ़ के चलते असम 11 लोगों की और बिहार में 72 लोगों की मौत हो गई हैं.

बाढ़ की हालात को देखते हुए असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलेंगे. राज्य के मुख्यमंत्री पीएम को बाढ़ की वर्तमान स्थिति का ब्यौरा देंगे. अभी तक असम के 24 जिलों में 33.45 लाख लोग प्रभावित हैं और 11 लोगों की मौत हो चुकी हैं. राज्य की हालत ये है कि 3 हजार गांवो की 1.43 लाख हेक्टर फसल खराब होने की खबरें हैं बिहार और यूपी में बाढ़ ने कहर ढा रखा है. जिसकी वजह से अब तक बिहार में 72 लोगों की मौत हो गई है और वहीं, उत्तर प्रदेश में 33 लोगों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ बाढ़ प्रभावित बेतिया एवं वाल्मीकिनगर का हवाई सर्वेक्षण करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण वे अपनी यात्रा नहीं कर सकें. वहीं पश्चिम बंगाल में अभी तक 32 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 14 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. बाढ़ की वजह से यातायात, बिजली, ट्रेनों की आवाजाही ठप पड़ी हैं.

रोहित वेमुला केस को दफ़नाया जा रहा है!

दोनों ने हॉस्टल के कमरे में ख़ुदकुशी की. दोनों मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हुआ- पहले जनवरी 2016 में, फिर दूसरा अक्टूबर 2016 में. शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पी अप्पा राव हैं, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल छात्रा संध्या रानी के मामले में गुंटूर मेडिकल कॉलेज के गायनेकॉलोजी प्रोफ़ेसर वीएए लक्ष्मी हैं. गुंटूर पुलिस ने एक महीने के अंदर पांच अन्य लोगों के साथ लक्ष्मी को गिरफ़्तार कर लिया, जिन पर लक्ष्मी की मदद करने का आरोप है. विरोधाभास देखिए कि साइबराबाद पुलिस रोहित वेमुला की मौत के 11 महीने बाद भी अप्पा राव और पांच अन्य नामज़दो लोगों को गिरफ़्तार नहीं सकी. ये तब है, जब रोहित के साथी डोनथा प्रशांत की ओर से दर्ज कराई गई एफ़आईआर कहीं ज़्यादा गंभीर है. इसकी वजह है. ये मामला आईपीसी की धारा 306 के तहत केवल आत्महत्या के लिए उकसाने भर का नहीं बल्कि प्रीवेंशन ऑफ़ एट्रॉसिटीज़ (पीओए) एक्ट में भी आता है. ये उन मामलों में लागू होता है जब पीड़ित दलित या आदिवासी हों. इसके तहत आत्महत्या के लिए उकसाने पर 10 साल की सज़ा उम्रक़ैद में बदल जाती है.

मगर विडंबना ये है कि पीओए के ये प्रावधान ही इस राजनीतिक मामले को लटकाने का बहाना साबित हुए. साल भर बाद होने वाली रिव्यू मीटिंग में पिछले हफ़्ते साइबराबाद पुलिस कमिश्नर संदीप शांडिल्य ने दावा किया कि जब तक आधिकारिक तौर पर ये साबित नहीं हो जाता कि रोहित दलित था, तब तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हो पाएगी. पुलिस कमिश्नर की ओर से इस स्पष्टीकरण की मांग ताज्जुब पैदा करती है क्योंकि रोहित के पास अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र था, जिसकी वैधता पर उसके जीवन में कभी सवाल नहीं उठे. रोहित ख़ुदकुशी केस की जांच में अगर उसकी जाति की पहचान का सवाल अभी तक बना हुआ है तो इसकी वजह उसके राजनीतिक विरोधियों यानी भगवा ब्रिगेड का चलाया अभियान है, ज़ाहिर है कि एफ़आईआर में जिन लोगों के नाम हैं, उन्हें बचाने की कोशिश हो रही है.

हालांकि रोहित को उसकी अंबेडकरवादी राजनीति के चलते ही आत्महत्या के लिए मज़बूर किया गया, फिर ये अभियान चलाया गया कि रोहित ख़ुद दलित नहीं थे. हिंदुत्ववादी ताक़तों ने पहले तो इस बात का फ़ायदा लेने की कोशिश की कि रोहित के तलाक़शुदा पिता दलित नहीं थे. फिर उन्होंने रोहित के भाई के जन्म प्रमाणपत्र के आवेदन में ख़ामी को भुनाने की कोशिश की. नतीजा ये हुआ कि केस लटक गया, जिसमें अप्पा राव के अलावा केंद्रीय मंत्री बंदारू दत्तात्रेय, दो स्थानीय बीजेपी नेता और दो एबीवीपी नेता आरोपी थे. इसमें केंद्र ही नहीं तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्य के भी सत्ता पक्ष के साथ क़ानून का अनुपालन करने वाली मशीनरी के लोग शामिल थे. हालांकि रोहित को गुंटूर में उनकी दलित और पेशे से दर्ज़ी मां राधिका वेमुला ने अकेले पाल-पोसकर बड़ा किया था, लेकिन विरोधियों ने उसके पिता और सिक्योरिटी गार्ड मणि कुमार वेमुला को तलाश लिया, जिनका अपने बच्चों से लंबे समय से कोई संपर्क नहीं था.

चूंकि मणि कुमार अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से थे तो कहा गया है कि रोहित दलित नहीं हैं. रोहित के पिता गुंटूर से 100 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर गुराज़ाला गांव में रहते हैं. ये बहुत कुछ हिंदू पितृसत्तात्मक धारणा के मुताबिक था कि रोहित की जाति उसके पिता की जाति होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के 2012 के निर्देश के मुताबिक़ अंतर्जातीय विवाह के मामले में बच्चों की जाति का केवल पिता की जाति से मतलब नहीं होता. इस फ़ैसले में कहा गया था, “ऐसी शादियों में बच्चे पर निर्भर है कि वह साबित करे कि उसका पालन-पोषण उसकी मां ने किया है जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से है.” ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के दो प्रावधानों में बच्चा दलित या आदिवासी माना जा सकता है. पहली बात कि उसने अपना जीवन सुख सुविधाओं में शुरू न किया हो, बल्कि वह भी अपनी मां के समुदाय के दूसरे लोगों की तरह ही अभाव, अपमान और बाधाओं का सामना कर रहा है. दूसरी बात ये कि वह हमेशा उसी समुदाय का सदस्य रहा हो, जिस समुदाय की उसकी मां हों. न केवल समुदाय में बल्कि समुदाय के बाहर के लोग भी उसे मां के समुदाय का सदस्य मानें. जिस व्यक्ति और चार अन्य दलित छात्रों को यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़े और जिसने अपनी आत्महत्या से पहले लिखे पत्र में लिखा था, “मुझे मेरी पहचान और नज़दीकी संभावना तक सीमित कर दिया गया है.” रोहित वेमुला निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट के दोनों प्रावधान पूरे करते थे, जिसके मुताबिक़ वे ग़ैरदलित पिता के बेटे होने बावजूद दलित हो सकते थे. इसलिए कोई ताज्जुब नहीं कि जब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गुंटूर ज़िले के ज़िलाधिकारी कांतिलाल डांडे से रोहित की जाति की पहचान को लेकर छानबीन करने को कहा तो उन्होंने अप्रैल में लिखित तौर पर बताया था कि उपलब्ध राजस्व रिकॉर्ड्स से ज़ाहिर होता है कि रोहित दलित थे.

डांडे ने आधिकारिक तौर पर कहा कि रोहित की मां दलित हैं, जिन्हें उनके बचपन में एक अन्य पिछड़ा परिवार ने अपना लिया था और तलाक़ के बाद वे गुंटूर की अपनी दलित बस्ती में बच्चों के साथ रहने आ गईं थीं. इन तथ्यों की रौशनी में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने साइबराबाद पुलिस कमिश्नर को जून में लिखा था, “अदालत के सामने जितनी जल्दी हो सके जांच पूरी करके रिपोर्ट फ़ाइल कीजिए.” लेकिन पुलिस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की जल्द कार्रवाई की अपील की अनदेखी की, जिसके अध्यक्ष तब कांग्रेसी सांसद पीएल पुनिया थे. हालांकि इस मामले में कार्रवाई न कर पाने के लिए जो ताज़ा बहाना दिया गया है वह गुंटूर के ज़िलाधिकारी का यू-टर्न है. रोहित वेमुला की जाति पहचान के मामले को फिर से खोलने के बारे में डांडे ने आयोग को बताया कि जिलास्तरीय समिति को इस मामले में कुछ नई जानकारी मिली है और ऐसे में इस मामले में छानबीन करने में और भी वक़्त लगेगा.

हिंदुत्ववादी कैंप इस मामले को जिस जानकारी के आधार पर तबाह करना चाह रहा है, वह रोहित के छोटे भाई राजा वेमुला के 2014 में जन्म प्रमाण पत्र के लिए दिए गए आवेदन पत्र में मौजूद विसंगति है. केंद्रीय सामाजिक न्याय के मंत्री थावर चंद गहलोत ने एक इंटरव्यू में कहा कि राजा के अन्य पिछड़ा वर्ग वाले आवेदन पर उनकी मां राधिका के हस्ताक्षर थे. मगर गहलोत उस अहम तथ्य को नज़रअंदाज़ कर गए, जो गुंटूर के ज़िलाधिकारी ने अप्रैल में भेजी अपनी मूल रिपोर्ट में कहा था, जिसके मुताबिक़ राजा ने 2007 में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया था, ऐसे में उसके जन्म प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए राजा की जाति की पहचान का मसला अप्रसांगिक ही था. राई को पहाड़ बनाने की ये कोशिश तब भी ख़त्म नहीं हुई जबकि रोहित के दादा वेंकटेश्वरालु वेमुला ने राजा के आवेदन को लेकर हुई ग़लती के कारणों पर स्पष्टीकरण भी दिया था. गहलोत के बयान का खंडन करते हुए वेंकटेश्वरालु ने गुंटूर ज़िलाधिकारी को जून में लिखा कि जन्म प्रमाणपत्र गुराज़ाला से लेना था, जहां राधिका तलाक़ से पहले रह रहीं थीं और राधिका से ख़ाली कागज़ पर हस्ताक्षर लिए गए थे और उन्होंने आवेदन लिखने के लिए एक अधिकारी को वह कागज़ सौंपा था.

इस मामले के कुछ आरोपियों को अंतरिम राहत देने के बाद हैदराबाद हाईकोर्ट ने पिछले आठ महीनों में उनकी याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की है. नतीजा ये हुआ कि शिकायतकर्ताओं को प्रभावशाली आरोपियों पर कार्रवाई न होने को चुनौती देने का मौक़ा नहीं मिला है. इस बीच रोहित की ख़ुदक़ुशी की न्यायिक जांच कर रहे जस्टिस रूपनवाल आयोग ने उनकी दलित पहचान को ख़ारिज़ कर दिया. अगर जन्म प्रमाणपत्र के लिए हाथ से लिखे आवेदन में एक छोटी सी चूक क़ानूनी जाति प्रमाणपत्र को अमान्य कर रही हो तो यह न्याय का मखौल ही तो है. प्रीवेंशन ऑफ़ एट्रॉसिटीज़ (पीओए) एक्ट के प्रावधानों का इस्तेमाल पहले ही रोहित की मौत को उसकी जाति की जांच में बदलने में हो रहा है.

अपने उत्पीड़कों के उलट रोहित ने अपनी मौत के बाद भी ख़ुद को कटघरे में रख रखा है. अगर क़ानूनी तौर पर रोहित को अन्य पिछड़ा वर्ग का ही मान लें तो उनको आत्महत्या के लिए उकसाने वाले छह आरोपियों पर सामान्य अपराधिक क़ानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. ज़रा इस केस को रोहित के ही ज़िले की अन्य पिछड़ा वर्ग की मेडिकल छात्रा संध्या रानी की आत्महत्या से जोड़कर देखें, किस तेज़ी के साथ दो महीने पहले ही छह आरोपियों पर कार्रवाई हो चुकी है. एक जैसे दो मामलों के अलग-अलग नतीजे, इससे ज़्यादा इस पर क्या कहा जा सकता है?

यह लेख मनोज मिट्टा का है.  (ये लेखक के निजी विचार हैं. मनोज मिट्टा ‘द फ़िक्शन ऑफ़ फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग: मोदी एंड गोधरा’ के लेखक और ‘व्हेन ए ट्री शुक डेल्ही: द 1984 कार्नेज एंड इट्स आफ़्टरमाथ’ के सह लेखक हैं.)

साभारः बीबीसी हिंदी