अलवर में पति के सामने ही एक दलित महिला से गैंगरेप, दबंगों ने VIDEO भी किया वायरल

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राजस्थान के अलवर जिले के थानागाजी थाना क्षेत्र में दबंगों द्वारा एक दलित लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दबंगों ने दलित लड़की के साथ न केवल रेप किया बल्कि उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है.

बता दें कि बीते 26 अप्रैल को एक दलित लड़की अपने पति के साथ ससुराल जा रही थी. रास्ते में कुछ दबंगों ने उसके पति को धमका कर महिला के साथ बारी-बारी से गैंगरेप किया और अश्लिल फोटो और वीडियो बना कर धमकी देने लगे कि अगर किसी को इसकी जानकारी दोगे तो इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे.

पीड़िता ने बताया कि थानागाजी थाना क्षेत्र के बामनवास काकड़ के रास्ते अलवर की ओर जा रही बाईपास सड़क पर कलाखोरा गांव के पास गुर्जर समाज के युवकों ने कथित रूप से उन्हें रोक लिया. रोकने के बाद सड़क के पास रेत के गहरे टीलों में ले गए और वहां पर आरोपियों ने पति-पत्नी के साथ जमकर अत्याचार किया.

स्थानीय पुलिस के अनुसार सभी लड़कों ने लड़की और उसके मंगेतर को डरा धमका कर अपने बस मेंcrimeकर लिया. इसके बाद लड़की के साथ हवस की हैवानियत भरा खेल खेला. लड़की की अश्लील वीडियो भी अपने मोबाइल में लिया. बाद में उस वीडियो को वायरल कर दिया.

इस घटना के बाद पीड़ित परिवार गहरे सदमे में है ओर डरा हुआ है. स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर जबरदस्त आक्रोश है. अपराधियों को गिरफ्तारी मांग भी जोर पकड़ने लगी है.

थानागाजी क्षेत्र के थानाधिकारी सरदार सिंह ने बताया कि अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और सभी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है. पुलिस ने छोटेलाल ,जीतू ओर अशोक सहित 5-6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है.

पुलिस के मुताबिक सभी आरोपी शख्स गुर्जर समाज से आता है और क्षेत्र में उसका राजनीतिक प्रभाव भी है. इसलिए शुरुआत में डर की वजह से पीड़िता की ओर से रिपोर्ट दर्ज नही करवाई गई थी.

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पहाड़ के दलितों को इस परंपरा पर फिर से सोचना होगा

युवक की मौत के बाद अस्पताल में विलाप करते परिजन
विलाप करते मृतक जितेन्द्र दास के परिवार के सदस्य (इनसेट में जितेन्द्र दास)

उत्तराखंड के टिहरी में एक 23 साल के दलित युवक को मनुवादी जातिवादी गुंडों ने इसलिए मार डाला क्योंकि वो एक शादी में खाने के लिए ब्रह्मा के मुंह और जांघो से पैदा हुए लोगों के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया. महज 23 साल की उम्र में एक युवक ने जातिवाद के कारण अपनी जान गवां दी. अपने परिवार को देखने वाला वो अकेला था.

क्या खुद को दलितों की रहनुमा बताने वाली बसपा और उसके नेता इस परिवार को न्याय दिलवाएंगे? क्या बाबासाहेब के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा अपने शासन वाले उत्तराखंड राज्य में अपनी सरकार से कह कर इस परिवार को इंसाफ दिलवाएगी? क्या उत्तराखंड में मौजूद सैकड़ों दलित संगठन जातिवाद की भेंट चढ़ने वाले जितेंद्र दास को इंसाफ और न्याय दिलवाने के लिए सड़क पर आएंगे?

क्या ऐसी घटनाओं पर सवर्ण समाज के सजग लोगों को शर्म आएगी? क्या वो अपने समाज के ऐसे दोगले लोगों द्वारा की गई इस अमानवीयता के खिलाफ जितेंद्र को इंसाफ दिलाने सड़क पर उतरेंगे? शायद ऐसा नहीं होगा. लेकिन सवाल यह उठता है कि जितेन्द्र न मारा जाता अगर पहाड़ के लोगों ने समारोहों में एक-दूसरे के यहां खाने की परंपरा न डाली होती. दरअसल पहाड़ के कई क्षेत्रों में दलित और कथित सवर्ण शादी समारोहों में एक-दूसरे के यहां खाना खाने जाते हैं. हालांकि यह भी भेदभाव पूर्ण ही होता है. दोनों एक-दूसरे के यहां जाते तो हैं लेकिन उनके भोजन और बैठने का प्रबंध अलग होता है. जितेन्द्र किसी दूसरे के घर नहीं गया था, बल्कि शादी उसके अपने परिवार में ही थी. शायद इसी लापरवाही में वह जातिवादियों के बगल में बैठ गया. और उसी के परिवार का नमक खा रहे मनुवादियों ने नमक का भी लिहाज नहीं किया और युवक को मार डाला.

लेकिन सवाल यह है कि आखिर समरसता या फिर सद्भावना के नाम पर दलित समाज को ऐसी प्रथाओं और चलन को क्यों ढोना चाहिए, जहां उनका अनादर होता हो या फिर उन्हें सामने वाले से कमतर महसूस होता हो. टिहरी-गढ़वाल के दलितों को अब इस प्रथा के बारे में फिर से सोचना चाहिए, जिसके चलते युवक की जान गई.

समरसता बनाम जातीय आतंकवाद

देश के कई समाचार पत्रों में यह खबर प्रकाशित हुई है

टिहरी जिले के श्रीकोट गांव में जातीय दंभ में डूबे मनुवादियों द्वारा एक दलित युवक की हत्या की खबर इस समाज के एक तबके का अमानवीय चेहरा उजागर करता है. दलित युवक को सिर्फ इसलिए मार डाला गया क्योंकि वह एक शादी समारोह में कथित ऊंची जाति के लोगों के बीच खाना खाने बैठ गया. इस घटना ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि हिन्दू धर्म में एक जाति के व्यक्ति की दूसरी जाति के व्यक्ति के साथ कितनी नफरत है. उत्तराखंड के अधिकतर गांवों में विशेषकर गढ़वाल मंडल में आज भी शादियों के दौरान तथाकथित सवर्ण और तथाकथित अवर्ण (संवैधानिक नाम अनुसूचित जाति) जातियों में एक दूसरे को निमंत्रण देने की परंपरा है. इसके जरिए समाजिक सौहार्द को मजबूत करने की बात कही जाती है.

लेकिन इस परंपरा का सबसे दुखद पहलू यह है कि शादी समारोह के दौरान दोनों जातियों का भोजन अलग–अलग बनता है. यदि सवर्णों के यहां शादी है तो दलित पक्ष के लोगों को राशन अलग दे दिया जाता है और वो अलग खाना बनाते हैं और खाते हैं. ठीक यही हाल दलितों के यहां शादी होने पर होता है. वहां सवर्ण पहुंचते तो हैं लेकिन अलग खाते पकाते हैं. ऐसे में सामाजिक सौहार्द बनाने की कोशिश एक दिखावा मात्र बनकर रह जाती है, क्योंकि ऐसे में दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ घुल-मिल नहीं पाते हैं. टिहरी जिले में घटी घटना इसको इंगित भी करती है.

मृतक जितेन्द्र दास की गलती बस इतनी भर थी कि वह खाने के लिए वहां जा बैठा जहां कथित सवर्णों का झुंड खाने बैठा था. बस यही बात उनसे हजम नहीं हुई और वो जितेन्द्र के साथ मारपीट करने लगे, जिसके बाद अंततः उसने दम तोड़ दिया. दुखद पहलू यह है कि आज दलित समाज का व्यक्ति कभी उनके बीच बैठ जाता है तो तथाकथित सवर्णों का जातीय अहंकार कुलाचें मारने लगता है और ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. ऐसा भी नहीं है कि उत्तराखंड में इस तरह की घटना पहली बार हुई है. पहले भी ऐसी घटनाएं सुनने को आती रहती हैं. ऐसी घटना होने के बाद शुरू होता है समझौते का खेल, जैसा इस घटना के बाद भी दिखने लग गया है और फिर क्रूरता के इस खेल को सामान्य घटना बनाकर रफा दफा कर दिया जाता है और फिर निर्लज्जता से कह दिया जाता है कि SC ST Atrocity एक्ट का दुरुपयोग होता है.

कुछ लोग एक जाति द्वारा दूसरी जाति को निमंत्रण देने और अलग अलग खाना बनाने को ही समरसता कहते हैं जबकि बहुजन बुद्धिजीवि इसको मानसिक गुलाम बनाए रखने का षड्यंत्र कहते हैं. हकीकत में यह देश का सबसे बड़ा आतंकवाद है. इस आतंकवाद की जद में देश की एक चौथाई आबादी है. तथाकथित प्रगतिशील तो ऐसे अवसरों पर अपना मुंह ऐसे बंद कर लेते हैं मानो उनके नजरों के सामने तो कुछ हुआ ही नहीं. दलित समाज से एक ही निवेदन है कि समरसता नहीं समता के लिए संघर्ष करो, अपनी मानसिक कुंठा को समाप्त कर आगे बढ़ना ही आपकी जीत का कारण बनेगा.

  • लेखक संजय कुमार उत्तराखंड में शिक्षक हैं। उनके फेसबुक वॉल से साभार।

जानिए, कैसे बीजेपी का खेल बना-बिगाड़ सकती हैं आज की 51 सीटें

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के 5वें चरण में यूं तो 51 सीटों पर ही मुकाबला है लेकिन दिल्ली की कुर्सी की जंग के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण चरण है. बीजेपी के लिए यह चरण तो काफी अहम है. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने इन 51 सीटों में से 40 पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेेस को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में बीजेपी के लिए यहां काफी कुछ दांव पर लगा है.

पांचवें चरण में यूपी की 14, पश्चिम बंगाल की 7, बिहार की 5, झारखंड की 4 और जम्मू-कश्मीर की दो सीट पर वोट डाले जा रहे हैं. इसके अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश की भी सीटों पर मतदान हो रहा है. राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों ही जगह विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई थी, ऐसे यहां बीजेपी के लिए आर या पार की लड़ाई है. इन सीटों में ज्यादातर पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है. पीएम मोदी के जबरदस्त प्रचार ने इन सीटों पर मुकाबला रोचक बना दिया है.

पांचवें चरण में राजस्थान की 25 में से 12 सीटों और मध्य प्रदेश की 29 में से 7 सीटों पर चुनाव हो रहा है. 2014 में जहां राजस्थान में बीजेपी ने सारी सीटें जीती थीं तो वहीं मध्य प्रदेश में मात्र 2 सीटों पर चूक गई थी. पांचवें चरण के चुनाव के साथ राजस्थान की सभी सीटों पर मतदान हो जाएगा, जबकि मध्य प्रदेश में एक राउंड और होगा.

इसके अलावा पूर्वी यूपी की कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर पांचवें, छठें और सातवें चरण की लड़ाई यह तय करेगी कि एसपी-बीएसपी गठबंधन बीजेपी की जीत का पहिया रोकती है या फिर पीएम नरेंद्र मोदी का हिंदुत्व प्लस विकास का दांव भारी पड़ता है. इस चरण में सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी में भी मतदान हो रहा है. एसपी-बीएसपी ने इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को समर्थन दिया है. आइए एक नजर डालते हैं, अलग-अलग राज्यों के चुनावी समीकरण पर-

पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश में अवध क्षेत्र में मतदान हो रहे हैं जहां बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई की बड़ी तस्वीर सामने है. 14 सीटों में बीजेपी ने 2014 में 12 सीटें जीती थीं. सिर्फ रायबरेली और अमेठी में ही बीजेपी चूक गई थी. वहीं 2009 में कांग्रेस ने 14 सीटों में से 7 सीटें जीती थीं.

इस बार कांग्रेस न सिर्फ दो सीटों पर बल्कि धौरहरा, बारांबकी, फैजाबाद और सीतापुर में भी बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है. अमेठी में राहुल गांधी और स्मृति इरानी एक बार फिर आमने-सामने हैं तो रायबरेली में सोनिया के सहयोगी रह चुके दिनेश सिंह उनके खिलाफ बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं.

लखनऊ में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का मुकाबला गठबंधन की प्रत्याशी पूनम सिन्हा से है. वहीं रिजर्व सीट मोहनलालगंज में बीजेपी के मौजूदा सांसद कौशल किशोर के सामने गठबंधन से सीएल वर्मा और कांग्रेस से आरके चौधरी हैं. फैजाबाद में बीजेपी सांसद लल्लू सिंह, गठबंधन के प्रत्याशी आनंद सेन और कांग्रेस के निर्मल खत्री के बीच मुकाबला है. इसके अलावा नेपाल सीमा के पास स्थित धौरहरा सीट पर कांग्रेस के जितिन प्रसाद और बीजेपी की रेखा वर्मा के बीच दिलचस्प मुकाबला है.

इस चरण में एमपी और राजस्थान में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी दोनों हिंदी पट्टी के राज्यों में हार गई थी और कांग्रेस ने यहां सरकार बनाई थी लेकिन बीजेपी राष्ट्रीय चुनाव अच्छा प्रदर्शन करने के लिए भारी दांव लगा रही है. दूसरी ओर, चार महीने पहले ही बनी सरकार के बावजूद कांग्रेस को यहां चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

राजस्थान में पूर्वी हिस्से में सभी 12 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं जिसे डेप्युटी सीएम सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है. यहां गुर्जरों की आबादी बहुल हैं जो सचिन पायलट को सीएम न बनाए जाने के चलते कांग्रेस नेतृत्व से नाराज हैं. हालांकि सचिन चाहते हैं कि वे एकजुट रहें ताकि उनके वोटों का बंटवारा न हो.

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बसपा सुप्रीमो का बड़ा बयान, कहा- अगर पीएम बनने का मौका मिला तो यूपी की इस सीट से लड़ूंगी चुनाव

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव का रण जारी है. इस बीच बीएसपी प्रमुख मायावती ने बड़ा बयान दिया है. बसपा अध्यक्ष मायावती ने रविवार को इशारों-इशारों में कहा कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिलेगा तो वह अंबेडकर नगर से चुनाव लड़ सकती है. मायावती ने अंबेडकर नगर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव बाद यदि जरूरत पड़ी तो वह अंबेडकर नगर सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का खुलकर जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि “अगर सब ठीक रहा तो मुझे यहां से चुनाव लड़ना पड़ेगा. क्योंकि दिल्ली की राजनीति का रास्ता अंबेडकर नगर से होकर जाता है”. मायावती सभास्थल पर लगाए गए अपने उस कटआउट को देखकर बहुत खुश थीं, जिसमें वह संसद भवन के बाहर खड़ी हैं और उसपर प्रधानमंत्री लिखा हुआ था.

अंबेडकर नगर बसपा प्रत्याशी रितेश पांडेय के समर्थन में वोट मांगने पहुंचीं मायावती ने आगे कहा, “इस चुनाव में नमो-नमो वालों की छुट्टी होने वाली है और जय भीम वाले आने वाले हैं”. गौरतलब है कि चुनाव से पहले मायावती ने ऐलान किया था कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने हालांकि यह भी कहा था कि चुनाव बाद नतीजों व परिस्थितियों को देखते हुए यदि जरूरत पड़ी तो उप्र में अपने किसी भी उम्मीदवार की सीट से वह चुनाव लड़ेंगी. आपको बता दें कि मायावती की बीएसपी और समाजवादी पार्टी इस बार यूपी में साथ चुनाव लड़ रही हैं. मायावती लगातार बीजेपी और कांग्रेस पर हमलावर हैं. हालांकि एक दिन पहले ही उन्होंने रायबरेली और अमेठी में होने वाले मतदान में गठबंधन के कार्यकर्ताओं से कांग्रेस को समर्थन देने की अपील की थी.

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स्मृति ईरानी का राहुल गांधी पर बूथ कैप्चरिंग करवाने का आरोप

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में आज सात राज्यों की कुल 51 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. दोपहर 1 बजे तक कुल 30% वोटिंग हुई है. मध्यप्रदेश में करीब 31% और राजस्थान में 32% वोट पड़े हैं. झारखंड में भी 35% से ज्यादा मतदान हुआ है. आज जिन सीटों पर वोटिंग हो रही है उन पर करीब 8 करोड़ 75 लाख मतदाता हैं. 674 उम्मीदवार हैं. जिन 51 सीटों पर मतदान है, 2014 में भाजपा ने उनमें से 39 पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं. इस बीच अमेठी में भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाया है.

ईरानी ने कहा कि मैंने प्रशासन और चुनाव आयोग को अलर्ट करते हुए ट्वीट किया है. उम्मीद है कि वे कार्रवाई करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि देश के लोगों को तय करना है कि राहुल गांधी की इस तरह की राजनीति को दंडित किया जाए या नहीं. इस ट्वीट के साथ स्मृति ने एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें एक बुजुर्ग महिला कह रही है कि वह भाजपा को वोट देना चाहती थी, लेकिन जबर्दस्ती हाथ पकड़कर उससे कांग्रेस को वोट दिलवा दिया गया.

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62 भाजपाईयों पर दलित उत्पीडन का आरोप

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प्रतीकात्मक चित्र

आजमगढ़। तरवां थाना क्षेत्र के हैबतपुर डुभाव गांव में तीन मई की रात चुनाव प्रचार के दौरान हुई दो गुटों के बीच मारपीट की घटना मुकदमा दर्ज होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. एक पक्ष ने तहरीर देकर सात दलितों को आरोपित किया है. जबकि दूसरी तरफ से दलितों ने 62 भाजपा समर्थकों पर दलित उत्पीड़न और मारपीट की रिपोर्ट दर्ज कराई है. पुलिस केस दर्ज कर मामला की जांच कर रही है.

हैबतपुर डुभार गांव निवासी अभिषेक सिंह पुत्र योगेश्वर की तरफ से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में गांव के अजय पुत्र प्यारे सहित सात लोगों को नामजद किया गया है. अभिषेक का आरोप है कि रंजिश के चलते तीन मई की रात मनबढ़ों ने मारपीटकर अभिषेक उसके भाई समेत चार लोगों को घायल कर दिया. साथ ही उसकी बाइक तोड़कर क्षतिग्रस्त कर दी. इसी मामले में अजय कुमार ने भी तहरीर देकर केस दर्ज कराया है. उसने गांव के शिवम सिंह पुत्र कामेश्वर, अभिषेक सहित 12 लोगों को नामजद और 50 अज्ञात लोगों को आरोपित किया है. अजय कुमार का आरोप है कि आरोपी तीन मई की रात साढ़े आठ बजे चुनाव प्रचार कर रहे थे. इस दौरान हर-हर मोदी कहते हुए हमला बोल दिया. जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए मारपीटकर घायल कर दिया. साथ ही जान से मारने की धमकी दी है. एसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों की तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है. सीओ लालगंज अजय यादव को पूरे मामले की जांच सौंपी गई है.

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बीजेपी को हमारी चाल समझ में नहीं आ रही – अखिलेश यादव

https://www.dalitdastak.com/बीजेपी-को-हमारी-चाल-समझ-मे/उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की चाल समझ में नहीं आ रही है. ‘आजतक’ के साथ सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने कहा कि बात सिर्फ दलित, यादव मुस्लिम की नहीं है, महिलाएं हमें बड़ी संख्या में वोट दे रही हैं क्योंकि डिंपल हमारे साथ हैं.

अखिलेश यादव ने कहा कि जिस समय पूनम सिन्हा का टिकट फाइनल हुआ, उस समय शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था. शत्रुघ्न सिन्हा से मेरी बातचीत हुई, मैंने ऑफर नहीं किया था, लेकिन उन्होंने कहा था कि मैं नहीं लड़ सकता हूं क्योंकि मैंने पटना की जनता से वादा किया हुआ है. वे कह चुके थे कि उनकी पार्टी बदल सकती है चुनाव क्षेत्र नहीं बदलेगा. उन्होनें कहा कि मैं अपनी वाइफ को लड़ा सकता हूं.

इसी क्रम में जब अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के लिए सॉफ्ट नहीं हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को दो सीटें दी गई हैं. आदरणीय मायावती जी और हम लोगों ने मिलकर ये फैसला लिया था कि हम उनको गठबंधन में शामिल करेंगे और अमेठी व रायबरेली की सीटें उनके लिए छोड़ेंगे. ये हम दोनों का संयुक्त फैसला था. हमने माना कि ये परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीटें हैं. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस में कोई अंतर नहीं है. इनकी नीतियों की वजह से ही देश की ये हालत है. जिस समय हमारी बातचीत हुई और सीटें तय कीं उस समय हमने ये दो सीटें छोड़ने का फैसला किया, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं कांग्रेस के प्रति सॉफ्ट हूं.

एक सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि आप मेरे पुराने भाषण उठाकर देख लीजिए मैंने हमेशा कहा है कि कांग्रेस देश की हर समस्या के लिए जिम्मेदार है. जब गठबंधन की बात हुई तब सपा और बसपा ने ही मिलकर कांग्रेस को दो सीटें दीं. जिस व्यक्ति ने मेरे और नेता जी पर पीआईएल की थी, वो कांग्रेस का आदमी है. जब लखनऊ में नॉमिनेशन होने वाला था वही व्यक्ति आया था. मुझे लगता है कि बीजेपी और कांग्रेस ने पीआईएल करने वाले समझौता कर रखा है.

अखिलेश यादव ने कहा कि मेरी कोशिश है कि बीजेपी को कैसे रोक सकूं. इसीलिए बहुजन समाजपार्टी के साथ हमने गठबंधन किया. कांग्रेस चूंकि खुशी मना रही थी तीन राज्यों में जीत का. उन्हें किसी पार्टी की परवाह नहीं थी. इसीलिए वो गठबंधन में भी नहीं है. हम कह सकते हैं की बीजेपी और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है. मेरे पुराने भाषण उठाकर देख लीजिए, जितनी भी बुराइयां देश में हैं उनके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है.

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सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जवान तेज बहादुर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनावी मैदान में उतरने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने नामांकन रद्द होने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द कर दिया गया था. तेज बहादुर यादव ने पहले निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल किया था. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. समाजवादी पार्टी ने पहले शालिनी यादव को टिकट दिया था. तेज बहादुर का पर्चा रद्द होने के बाद अब समाजवादी पार्टी की ओर से शालिनी यादव ही पीएम मोदी के मुकाबले में हैं. वहीं कांग्रेस ने अजय राय को दोबारा टिकट देकर पीएम मोदी के खिलाफ उतारा है.

बता दें, यादव के एक वीडियो ने विवाद खड़ा कर दिया था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जवानों को घटिया खाना दिया जा रहा है. इसके बाद उन्हें सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त कर दिया गया था. जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने तेज बहादुर यादव द्वारा पेश नामांकन पत्र के दो सेटों में ‘कमियां’ पाते हुए उनसे एक दिन बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने को कहा था. गौरतलब है कि यादव ने 24 अप्रैल को निर्दलीय और 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया था. उन्होंने बीएसएफ़ से बर्खास्तगी को लेकर दोनों नामांकनों में अलग अलग दावे किए थे. इस पर जिला निर्वाचन कार्यालय ने यादव को नोटिस जारी करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र जमा करने का निर्देश दिया था. यादव से कहा गया था कि वह बीएसएफ से इस बात का अनापत्ति प्रमाणपत्र पेश करें जिसमें उनकी बर्खास्तगी के कारण दिये हों.

जिला मजिस्ट्रेट सुरेन्द्र सिंह ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 और धारा 33 का हवाला देते हुए कहा कि यादव का नामांकन इसलिये स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वह निर्धारित समय में “आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत नहीं कर सके.” अधिनियम की धारा 9 राष्ट्र के प्रति निष्ठा नहीं रखने या भ्रष्टाचार के लिये पिछले पांच वर्षों के भीतर केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी से बर्खास्त व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकती है. धारा 33 में उम्मीदवार को चुनाव आयोग से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है कि उसे पिछले पांच सालों में इन आरोपों के चलते बर्खास्त नहीं किया गया है. कलेक्ट्रेट कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने दावा किया कि यादव और उनकी टीम को “पर्याप्त समय” दिया गया था, लेकिन वह दस्तावेज पेश नहीं कर पाए.

हालांकि यादव ने दावा किया था कि उन्होंने चुनाव अधिकारियों को आवश्यक दस्तावेज सौंपे थे. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, “मैंने बीएसएफ में रहते हुए उसी बारे में आवाज बुलंद की, जिसे मैंने गलत पाया. मैंने न्याय की उस आवाज को बुलंद करने बनारस आने का फैसला किया था. अगर मेरे नामांकन में कोई समस्या थी तो एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दाखिल करने (मेरे कागजात) के समय उन्होंने मुझे इस बारे में क्यों नहीं बताया. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर खुद को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए “तानाशाही कदम” का सहारा लेने का आरोप लगाया.

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कथित ऊंची जाति के साथ खाने पर दलित युवक की पीटकर हत्या

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देहरादून। उत्तराखंड के हॉस्पिटल में 23 साल के दलित युवक ने दम तोड़ दिया. युवक को घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया था. आरोप है कि दलित युवक अपनी चचेरी बहन की शादी में गलती से उच्च जाति के लोगों के साथ बैठकर खाना खाने लगा था, जिसके बाद उच्च जाति के लोगों ने उसे पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था.

दलित युवक का नाम जितेंद्र दास है. उसके परिजनों का आरोप है कि 26 अप्रैल को जितेंद्र नैनबाग तहसील की एक शादी समारोह में गलती से उच्च जाति के लोगों के साथ खाना खाने लगा था. जितेंद्र की बहन पूजा ने बताया कि उसकी चचेरी बहन की शादी थी. जितेंद्र गलती से उस काउंटर पर से खाना ले लिया, जिससे उच्च जाति के लोग खा रहे थे. खाना लेने के बाद वह उच्च जाति के लोगों के बीच कुर्सी में बैठ गया.

‘खाएगा तो मरेगा…’ पूजा का आरोप है कि उच्च जाति के एक व्यक्ति ने कहा नीच जाति का हमारे साथ नहीं खा सकता. खाएगा तो मरेगा. उसके बाद उन लोगों ने उसे जमकर पीटा. जितेंद्र को गंभीर हालत में सीएचसी ले जाया गया यहां से उसे श्री महंत इंद्रेश हॉस्टिल में 28 अप्रैल को भर्ती कराया गया. उसकी हालत गंभीर थी और उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा था, आखिर रविवार को उसने दम तोड़ दिया.

पूजा ने बताया कि जितेंद्र उनके परिवार का एकलौता कमाने वाला सदस्य था. अब उनके परिवार का क्या होगा? उसने आरोप लगाया कि उच्च जाति के लोग उन लोगों को केस वापस लेने की धमकी दी रहे हैं. आरोप लगाया कि पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. आरोपियों पर एससी-एसटी ऐक्ट भी नहीं लगाया गया है.

7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नरेंद्र नगर के सीओ उत्तम सिंह ने बताया कि जितेंद्र के परिजनों की तरफ से एफआईआर 28 अप्रैल को दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ आईपीसी और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया था. देहरादून एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी करने का प्रयास कर रही है.

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राबड़ी देवी का अपमान करने वाले आजतक के पत्रकार को बहुजनों ने धो डाला

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सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसा तूफान मचा है, जिसमें बहुजन समाज के तमाम नेताओं से लेकर आम लोगों ने एक बड़बोले पत्रकार को उसकी औकात दिखा दी है. पत्रकार का नाम निशांत चतुर्वेदी है और वो आजतक चैनल में एडिटर के पद पर नौकरी करता है.

मामला एक मई को शुरू हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बिहार के मुजफ्फरपुर दौरे के बाद बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक ट्विट किया.

राबड़ी देवी ने मोदी पर चुटकी लेते हुए लिखा-

मोदी कल लीची के शहर मुज़फ़्फ़रपुर आए थे लोगों ने उनके आम खाने के तरीक़े के बाद पूछा कि लीची कैसे खाते है?

काटकर, चूसकर या वाश-बेसिन पर खड़ा होकर? पीएम ने जवाब ही नहीं दिया क्योंकि पूछने वाला कोई हीरो-हिरोइन नहीं था? जवाब नहीं सूझा क्योंकि सवाल पूर्व निर्धारित और नियोजित नहीं था.

राबड़ी देवी के इसी ट्विट को अगले ही दिन दो मई को रि-ट्विट करते हुए आजतक के पत्रकार निशांत चतुर्वेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री का मजाक उड़ाते हुए लिखा-

अच्छा जी राबड़ी देवी जी भी ट्वीट करती है 

कोई इनसे बोले कि ये बस तीन बार ट्विटर बोलकर बता दें 

बस फिर क्या था, हंगामा शुरू हो गया. बहुजन समाज के लोगों ने इसे स्त्री विरोधी और जातीय दंभ से भरी टिप्पणी ठहराते हुए सोशल मीडिया पर निशांत चतुर्वेदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. ट्विटर से लेकर फेसबुक पर लोग निशांत चतुर्वेदी को टैग कर उसे लानत भेजने लगे.

राबड़ी देवी ने खुद निशांत चतुर्वेदी पर पलटवार करते हुए ट्विट किया-

बेटा तेरे जैसे पतलकारों को बहुत पसीना पोंछवाया है. वोट की ताक़त से लोकतांत्रिक तरीक़े से 8 साल देश के दूसरे सबसे बड़े सूबे (बिहार-झारखंड) की मुख्यमंत्री रही हूँ.

तो तेजस्वी यादव इस मामले को बढ़ाते हुए इंडिया टूडे के मालिक अरुण पुरी और आजतक के प्रमुख संपादक सुप्रिय प्रसाद तक ले गए. तेजस्वी ने पत्रकार के इस कमेंट को एक महिला पर की गई जातिवादी टिप्पणी के लिए अरुण पुरी और सुप्रिय प्रसाद से सवाल पूछ लिया और पत्रकार द्वारा मांफी की मांग की.

Dear @aroonpurie ji, Do you really endorse the classist, racist, xenophobe and casteist remark by your editor? Don’t you think he must apologise for it?

@supriyapd Do you really have such unfairly prejudiced people working in your organisation @aajtak ?

बात जब आगे बढ़ी तो बहुजन समाज के लोग निशांत चतुर्वेदी के पुराने ट्विट को भी खंगालने लगे और इसी साल 8 जनवरी को आरक्षण से संबंधित पोस्ट को ढूंढ़ लाएं जिसमें निशांत चतुर्वेदी ने लिखा था-

दुनिया का भारत शायद इकलौता देश होगा जहां कुछ खास लोग आरक्षण को लेकर इतने उत्साहित हो रहे हैं. आपमें से कितने लोग आरक्षण के कोटे से पास हुए डॉक्टरों से इलाज कराने की हिम्मत रखते हैं.

तो इसी बीच एक आपत्तिजनक पोस्ट बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ भी मिला, जिसे तेजस्वी यादव और पत्रकार दिलीप मंडल ने रि-ट्विट कर दिया. जिस पर पहले से ही खार खाए बैठे दलित-बहुजन युवाओं ने सोशल मीडिया पर निशांत चतुर्वेदी पर हमला बोल दिया.

इस पूरे मामले को कई बार रि-ट्विट करने वाले पत्रकार दिलीप मंडल ने तो निशांत चतुर्वेदी को चुनौती दे डाली. दिलीप मंडल ने लिखा-

मैं उसी इंडिया टुडे ग्रुप में मैनेजिंग एडिटर यानी टॉप लीडरशिप पोजिशन में रहा, जहाँ निशांत चतुर्वेदी आज मीडियम लेबल पर नौकरी करता है… मैं निशांत चतुर्वेदी को खुली चुनौती देता हूँ कि पाँच लोगों की ज्यूरी के सामने लाइव होकर एक पेज हिन्दी या इंग्लिश बिना ग़लती किए लिख दे तो मैं उसे एक लाख रुपए का पुरस्कार दूँगा.

बहुत देखी है सवर्णों की मेरिट!

निशांत पर हमला बोलते हुए दिलीप मंडल ने आगे लिखा है-

ये मेरे अंडर काम कर चुका है. जानता हूँ उसकी मेरिट. एक लाख रुपए दाँव पर यूँ ही नहीं लगा दिए मैंने. सवर्णों की मेरिट है उनके आपसी कनेक्शन और जाति से मिला आत्मविश्वास.

राबड़ी देवी पर ट्विट कर फंसे निशांत चतुर्वेदी को आखिरकार मामले में खुद को घिरता देख तेजस्वी यादव को ट्विट कर खेद जताना पड़ा तो वहीं मायावती पर आपत्तिजनक ट्विट को डिलीट करना पड़ा.

इस पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा-

आज तक चैनल के संपादक निशांत चतुर्वेदी ने बहन मायावती के खिलाफ जातिवादी नफ़रत से लिखी गई अश्लील ट्विट डिलीट की. सोशल मीडिया अब सवर्ण मर्दों की बपौती नहीं है कि जो मन में आया उल्टी करके चले गए.

सही भी है, जातिवादी और महिलाओं को निम्न दृष्टि से देखने वाले पत्रकार के एक ट्विट को बहुजन समाज ने जिस तरह से मुद्दा बना डाला और उसे मांफी मांगने पर मजबूर कर दिया, उसने यह साबित कर दिया है कि बहुजन समाज अब अपने अपमान को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं.

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राहुल गांधी के प्रेस कांफ्रेंस की जरूरी बातें, राहुल बोलें कांग्रेस ने मोदी को ध्वस्त कर दिया

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के 5वें चरण के चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि मोदी हार रहे हैं. शनिवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आधे से ज्यादा खत्म हो चुका है. स्पष्ट है कि मोदी जी चुनाव हार रहे हैं. किसान, भ्रष्टाचार, रोजगार, संस्थाओं पर अतिक्रमण मुख्य मुद्दे हैं, इसलिए भाजपा चुनाव हार रही है.

मीडिया से बातचीत में कांग्रेस अध्यक्ष ने कई बड़े मुद्दों को भी उठाया साथ ही पत्रकारों के सवालों का जवाब भी दिया. राहुल गांधी ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी रोजगार पर, भ्रष्टाचार पर बात नहीं करते. मोदीजी, मुझसे पांच मिनट किसी मुद्दे पर बहस कर लें. मुझे 5-10 मिनट दे दीजिए. जहां, चाहे वहां बुला लें, केवल अनिल अंबानी के घर नहीं जाउंगा.

कांग्रेस के पार्टी के मेनीफेस्टों का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “देश में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, उसके बारे में नरेंद्र मोदीजी कुछ नहीं बोलते हैं. कांग्रेस के घोषणापत्र में पूरा का पूरा एक चैप्टर रोजगार पर केंद्रित है. मैं हर साल दो करोड़ नौकरी के झूठे वादे नहीं करुंगा. हमने एक साल के अंदर 22 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है. 10 लाख युवाओं को पंचायतों में रोजगार दे देंगे.”

नोटबंदी को लेकर सरकार को एक बार फिर से कठघरे में खड़ा करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स से उन्होंने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. एक व्यापारी ने मुझे कहा था कि मेरी आंखों से खून निकल रहा है. तो वहीं सेना और सर्जिकल स्ट्राइक पर भी मोदी को जमकर घेरा. कांग्रेस अध्यक्ष ने सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय लेने के मोदी के बयानों पर कहा- “सर्जिकल स्ट्राइक कांग्रेस या भाजपा ने नहीं किए हैं, भारतीय सेना ने किया है. 70 साल से सेना अपना काम करती आई है. सेना ने कांग्रेस के शासन में भी अपना काम किया है, पूरा डॉक्यूमेंट है, हमारे पास सेना के अधिकारी का. सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती है, तो यह उनकी कामयाबी है. इसमें नरेंद्र मोदी का क्या योगदान?”

राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि मसूद अजहर को पाकिस्तान किसकी सरकार ने भेजा. आतंकवादियों के साथ ‘नेगोसिएशन’ कर उसे पाकिस्तान भेज दिया. भाजपा आतंकवादियों के साथ समझौता करती है.

इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने चुनाव आयोग को भी नहीं बख्शा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग दो तरह के नियमों पर काम कर रहा है. उसके लिए जहां सत्ता पक्ष भाजपा के लिए अलग नियम हैं जबकि  विपक्षी पार्टियों और नेताओं के लिए अलग नियम है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग पर भी भाजपा का दबाव है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम उनके साथ चार-पांच चुनाव लड़ चुके हैं. जैसे ही उन्हें लगता है कि वह चुनाव हार रहे हैं, वह ध्यान भटकाने के लिए कुछ नया करने लगते हैं. राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से माफी से जुड़ा सवाल आने पर राहुल गांधी ने कहा कि मैंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर बयान दिया था, मेरी गलती थी. मैंने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है, मोदीजी से नहीं. ‘चौकीदार चोर है’ नारा है और यही सच्चाई है. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि राफेल सौदे में मोदीजी ने 30 हजार करोड़ रुपये अनिल अंबानी को दे दिया. कांग्रेस के पास भाजपा के और कई घोटालों के सबूत मौजूद हैं. राहुल गांधी ने कहा कि 2014 से कहा जा रहा था कि नरेंद्र मोदी कम से कम 10-15 साल तक रहेंगे. कांग्रेस ने उन्हें ध्वस्त कर दिया है. 15-20 दिनों में मोदीजी जाने वाले हैं. अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यह देश की जनता तय करेगी. प्रेस कांफ्रेंस के आखिर में उस समय हंसी छूट गई जब राहुल गांधी ने पत्रकारों को कहा कि पीएम मोदी से भी कहिए कि वे भी एक प्रेस कांफ्रेंस करें. यह अच्छा नहीं लगता कि पांच साल में एक प्रधानमंत्री एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं करता.

लोकसभा चुनावः बीजेपी प्रत्याशी ने मायावती को बताया ‘यूपी की गुंडी’

यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी बृजभूषण शरण सिंह ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को ‘गुंडी’ कहा है. उन्होंने कहा कि मायावती ने उन्हें गुंडा और आंतकवादी बताया था, अब वह उन्हें गुंडी कह रहे हैं. इतना ही नहीं बीजेपी प्रत्याशी ने यहां तक कहा कि चुनाव के बाद मायावती को जेल जाने से कोई नहीं रोक सकता.

गोंडा में आयोजित रैली में आईं बीएसपी चीफ मायावती ने पार्टी कार्यालय में हुई तोड़फोड़ का जिम्मेदार बीजेपी प्रत्याशी को बताया था. मायावती ने रैली में कहा था कि बीजेपी प्रत्याशी गुंडा और आंतकवादी हैं. मायावती के इस बयान पर बृजभूषण शहरण सिंह ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है, ‘मायावती ने मुझे गुंडा कहा. मैं कहना चाहूंगा कि वह उत्तर प्रदेश की गुंडी हैं. मायावती ने मुझे चुनाव के बाद जेल भेजने की धमकी दी थी. मैं कहता हूं कि अब वह जेल जाएंगी.’

गोंडा और बलरामपुर सीट से सांसद बनने के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने वर्ष 2009 में कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में दस्तक दी. उस समय उन्होंने बड़ा उलटफेर करते हुए बीजेपी छोड़ एसपी में शामिल होकर चुनाव लड़ा और संसद पहुंच गए. 2014 से पहले वे अपने पुराने घर बीजेपी में वापस लौट आए और मोदी मैजिक में चुनाव जीत गए. 2019 में वह इस क्षेत्र से हैट्रिक बनाने के लिए जूझ रहे हैं.

कांग्रेस के लिए इस क्षेत्र में खोने को कुछ भी नहीं है. श्रावस्ती के पूर्व सांसद विनय पांडे को पार्टी ने टिकट देकर सत्तारुढ़ दल के लिए चुनौती जरूर कड़ी कर दी है. विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने सिर्फ पयागपुर में प्रत्याशी खड़ा किया था, उसे भी सिर्फ चार अंकों में ही वोट मिले थे.

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यदि केंद्र में हमारी सरकार बनी तो छह हजार रुपये की जगह नौकरी देंगे- मायावती

सिद्धार्थनगर। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि चौकीदारी का नाटक भाजपा को इस बार बचा नहीं पाएगा और लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस देश से गरीबी नहीं हटा पायी. मायावती ने यहां एक चुनावी रैली में कहा, ‘चौकीदारी की नयी नाटकबाजी भी इन्हें अब नहीं बचा पायेगी. जुमलेबाजी काम नहीं आने वाली. चौकीदार मिलकर अपनी कितनी भी ताकत लगा ले, भाजपा सत्ता में नही आने वाली.’

कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए मायावती बोलीं, ‘आज़ादी के बाद ज़्यादातर सत्ता कांग्रेस पार्टी के हाथों में रही. कांग्रेस लम्बे अरसे तक सरकार में रहने के बाद भी गरीबी बेरोजगारी दूर नहीं कर सकी. किसान भी दुखी हैं. दलितों और आदिवासियों को जो अधिकार दिए हैं, वो भी आपको नहीं मिल पाया.’

उन्होंने कहा कि ‘नमो नमो’ जाने वाले हैं और ‘जय भीम’ आने वाले हैं. मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के रहते हुए हमारा विकास नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की हुकूमत ने आपका वोट तो लिया लेकिन आपका ध्यान नहीं दिया. मायावती ने कहा कि भाजपा भी सामन्तवादी और पूँजीवादी नीतियों की वजह से जरूर सत्ता से बाहर चली जायेगी.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसी भी समाज का खास विकास नहीं किया. पूरे देश को आरक्षण का बहुत ही कम लाभ मिल पा रहा है. इस सरकार में गरीब लोगों की भी हालत ठीक नहीं है. मायावती ने कहा कि नोटबंदी को बिना तैयारी के लागू करने से व्यापारी लोग काफी दुखी हैं. इस सरकार में हर स्तर पर भ्रष्टाचार बढा है. इससे रक्षा के भी संसाधन बचे नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘यदि केन्द्र में हमारी सरकार बनती हैं तो आप सभी को छह हजार रूपये देने की जगह सरकारी या अस्थायी नौकरी देने का काम किया जाएगा.’ मायावती डुमरियागंज से सपा—बसपा गठबंधन प्रत्याशी आफताब आलम के समर्थन में रैली कर रही थीं.

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#FANI : पुरी-भुवनेश्वर में भारी तबाही, रेल हवाई सेवा ठप, आठ की मौत, पश्चिम बंगाल में भी तांडव

175 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार की प्रचंड हवाओं के साथ चक्रवाती तूफान ‘फोनी’ ने शुक्रवार की सुबह ओड़िशा तट पर दस्तक दी. कई जगहों पर तूफान की गति 225 किमी/घंटे तक रही. इस दौरान भारी बारिश भी हुई. कई पेड़ उखड़ गये, कई घर तबाह हो गये. प्रभावित क्षेत्रों में एहतियातन रेल, सड़क और हवाई यातायात को शनिवार तक पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. तीर्थनगरी पुरी व भुवनेश्वर में काफी तबाही मची है. भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन की छत, दीवारें, होर्डिंग्स हवा में उड़ गये. शुक्रवार की शाम तक आठ लोगों की जान जा चुकी है और 160 लोग घायल हुए हैं. 12 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चक्रवाती तूफान ‘फोनी’ के कारण भुवनेश्वर में एम्स पीजी 2019 परीक्षा को रद्द करने की घोषणा की. यह परीक्षा पांच मई को निर्धारित थी. दरअसल, तूफान के कारण एम्स भुवनेश्वर में एक इमारत की छत का एक हिस्सा टूट गया. सभी छात्र, स्टॉफ और मरीज सुरक्षित हैं. राज्य में संचार एवं विद्युत सेवाएं पूरी तरह ठप हो गयी हैं. एनडीआरएफ की टीमें प्रभावित जिलों में तैनात हैं. मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन दिनों तक तेज हवाओं के साथ बारिश होगी. पुरी से आगे बढ़ने के बाद फोनी की रफ्तार धीमी पड़ी है. हालांकि, ज्यों-ज्यों पश्चिम बंगाल की तरफ बढ़ रहा है. इसका असर बढ़ा है. प बंगाल के दीघा व आसपास के क्षेत्रों में 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं भी चलीं. पश्चिम मेदिनीपुर व झाड़ग्राम जिले में भी तांडव मचाया. पच्चीस से अधिक लोग भी जख्मी हो गये. खड़गपुर शहर में कई मकानों के गिरने की खबर है. फोनी @ 225 किमी/ घंटा 220 से अधिक ट्रेनें कोलकाता-चेन्नई मार्ग पर आज तक के िलए रद्द 12 लाख लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजे गये 160 लोग हुए घायल 03 दशक बाद ऐसा तूफान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम प्रभावित राज्यों को पूरी मदद करेंगे. चक्रवात से जूझ रहे राज्यों के लिए 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जारी कर चुके हैं. एनडीआएफ , कोस्टगार्ड, नौसेना और थल सेना पूरी मुस्तैदी के साथ प्रशासन के साथ जुटी हुई हैं. इस बीच बंग्लादेश ने तूफान से निपटने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. 5.5 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. सेना को अलर्ट पर रखा गया है. भागलपुर में आज बंद रहेंगे सभी स्कूल भागलपुर. जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने फोनी तूफान की आशंका को देखते हुए शनिवार को सभी सरकारी व निजी स्कूल को बंद करने का निर्देश दिया है. जिला दंडाधिकारी के तौर पर उन्होंने धारा 144 के तहत आदेश पारित किया. बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफान फोनी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. इसका असर बिहार के भागलपुर सहित कई जिलों में शुक्रवार को देखा गया. इसी के तहत जिलाधिकारी ने स्कूल बंद रखने का निर्देश दिया है. बिहार में भी फोनी का असर, चार की गयी जान पटना : राजधानी सहित पूरे राज्य में फोनी का असर देखा गया. कहीं अधिक तो कहीं आंशिक असर हुआ. पटना सहित अधिकतर जिलों का मौसम अचानक बदल गया. तेज हवा के साथ बिजली चमकने लगी. बेतिया में तेज हवा के साथ बारिश हुई. इस दौरान दो स्थानों पर ठनका गिरने से एक युवती समेत दो की मौत हो गयी. वहीं सीवान में भी पेड़ गिरने से एक की मौत हो गयी. छपरा में भी एक की मौत हो गयी. आंधी-पानी के साथ हुई बारिश से पटना के तापमान में पांच डिग्री की गिरावट आयी. वहीं आंधी-पानी से राज्य में फसलों को काफी नुकसान हुआ है. असर भुवनेश्वर में पांच मई की एम्स पीजी परीक्षा रद्द कोलकाता एयरपोर्ट से उड़ानें स्थगित भुवनेश्वर स्टेशन व एम्स की छत उड़ीं, दीवार िगरी तीन राज्यों में संचार सेवा बाधित, कई टावर गिरे इवीएम की सुरक्षा कड़ी चुनावी रैलियां रद्द ग्लोबल वार्मिंग का असर : मॉनसून से पहले आये तूफान से सभी हैरान अमूूमन ऐसा तूफान मॉनसून बाद सितंबर से नवंबर में आता है, मई में फोनी के आगमन से सभी हैरान हैं. 1976 के बाद यह पहला ऐसा तूफान है, जिसका निर्माण अप्रैल में शुरू हुआ. ग्लोबल वॉर्मिंग से ऐसी स्थिति पैदा हुई है. आजादी के बाद पूर्वी तट से टकरानेवाला यह चौथा खतरनाक चक्रवात है. अमूमन तूफान या तो ओड़िशा तट पर खत्म हो जाता है या पश्चिम बंगाल के तटों की तरफ बढ़ जाता है. चक्रवात की शुरुआत जितनी धीमी होती है, उसका प्रभाव उतना ही खतरनाक होता है. वजह यह कि धीमा होने से चक्रवात को नमी व ऊर्जा को एकत्रित करने का वक्त मिलता है. लैंडफॉल के बाद यह और भी खतरनाक हो जाता है. हेल्पलाइन नंबर -1938 तैयारी : एनडीआरएफ की 60 टीमें, नौसेना के छह पोत, एयरफाेर्स के दो सी-17 विमान व तटरक्षक बल के छह पोत तैनात.

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नीतीश के करीबी ब्रजेश ठाकुर की करतूत पर CBI का सनसनीखेज खुलासा

नई दिल्ली। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी और एक श्मशान घाट से ‘‘हड्डियों की पोटली” बरामद हुई है. बता दें कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में करीब 34 लड़कियों के साथ रेप का मामला सामने आया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार को भी कई बार फटकार लगा चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान दर्ज पीड़ितों के बयानों में 11 लड़कियों के नाम सामने आये हैं जिनकी ठाकुर और उनके सहयोगियों ने कथित रूप से हत्या की थी. एजेंसी ने कहा कि एक आरोपी की निशानदेही पर एक श्मशान घाट के एक खास स्थान की खुदाई की गई जहां से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है. गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा उछला था.

इस मामले की जांच सीबीआई को स्थानान्तरित की गई थी और एजेंसी ने ठाकुर सहित 21 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. सीबीआई ने कहा, ‘‘जांच के दौरान, जांच अधिकारियों और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं न्यूरो विज्ञान संस्थान द्वारा दर्ज पीड़ितों के बयान में 11 लड़कियों के नाम सामने आए हैं जिनकी आरोपी ब्रजेश ठाकुर तथा उसके सहयोगियों ने कथित रूप से हत्या कर दी थी.” सीबीआई ने एक आवेदन पर हलफनामा दायर करते हुए कहा, ‘‘गुड्डू पटेल नाम के एक आरोपी से पूछताछ के दौरान खुलासे वाले तथ्यों के आधार पर, आरोपी की निशानदेही पर श्मशान घाट में एक खास स्थान की खुदाई की गई और मौके से हड्डियों की एक पोटली बरामद हुई है.”

इस मामले में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की. पीठ ने कहा कि वह आवेदन पर सीबीआई को औपचारिक नोटिस जारी करेगी और एजेंसी चार सप्ताह के भीतर इसका जवाब दायर करेगी. पीठ ने संक्षिप्त दलीलों के बाद इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए छह मई की तारीख तय की.

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23 को सरकार तो 24 मई को होगा ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ के भाग्य का फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र बायोपिक’ को काफी विवादों के बाद अब नई रिलीज डेट मिल गई है. फिल्म लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट (23 मई) के एक दिन बाद 24 मई 2019 को रिलीज होगी. ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी.

तरण आदर्श ने ट्वीट कर लिखा- प्रोड्यूस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी बायोपिक के लिए नई रिलीज डेट… अब लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद 24 मई को रिलीज होगी फिल्म. फिल्म को ओमंग कुमार डायरेक्ट कर रहे हैं. विवेक ओबेरॉय फिल्म में पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका निभा रहे हैं.

बता दें कि विवेक ओबरॉय स्टारर मूवी पीएम नरेंद्र मोदी पहले 11 अप्रैल को रिलीज हो रही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते फिल्म की रिलीज डेट को खिसका दिया गया था. फिल्म को लेकर जबरदस्त माहौल बन गया था. मामला चुनाव आयोग तक चला गया था. चुनाव आयोग (EC) ने पीएम मोदी की बायोपिक पर लोकसभा चुनाव तक रोक लगा दी थी. EC ने चुनाव खत्म होने के बाद ही फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी थी.

चुनाव आयोग द्वारा बनाई गई कमेटी के अनुसार फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी एक राजनीति माहौल बनाती है. 135 मिनट की ये फिल्म में एक शख्स को सीन्स, स्लोगन और सिंबल के माध्यम से बहुत बड़े पद पर खड़ा करती है. फिल्म अंत में एक खास शख्स को संत का दर्जा देती है.

बताते चलें कि 19 मई को लोकसभा चुनाव खत्म हो रहे हैं और 23 मई को रिजल्ट आएगा. इसी के बाद फिल्म को रिलीज किया जाएगा. अब देखना होगा कि लंबे समय तक विवादों में रहने के बाद फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर कितनी सफलता मिलती है.

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तेज बहादुर का आरोप, वाराणसी से चुनाव न लड़ने को बीजेपी ने दिया था 50 करोड़ का ऑफर

वाराणसी। बीएसएफ के बर्खास्‍त जवान तेज बहादुर यादव ने गुरुवार को वाराणसी में बीजेपी पर सनसनीखेज आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों ने वाराणसी से चुनाव न लड़ने के लिए 50 करोड़ का ऑफर दिया और दबाव भी बनाया था.

वाराणसी संसदीय सीट से एसपी-बीएसपी गठबंधन के प्रत्‍याशी के रूप में पर्चा खारिज होने के बाद तेज बहादुर गुरुवार को मीडिया के सामने आए. उन्होंने बताया कि पहले निर्दल प्रत्‍याशी के तौर पर नामांकन करने के बाद जब घर गए पहुंचे तो वहां आए बीजेपी के लोगों ने 50 करोड़ का ऑफर दिया था. ऑफर देने वालों का नाम उन्‍होंने बताने से इनकार करते हुए कहा कि वे शातिर लोग हैं. नाम खोलने पर उनकी हत्‍या कराई जा सकती है. नामांकन खारिज होने पर कहा कि पहले से ही आशंका थी कि पर्चा खारिज कराने के लिए बीजेपी सारे हथकंडे अपनाएगी. इसलिए ही मेरे साथ शालिनी यादव ने गठबंधन प्रत्‍याशी के रूप में नामांकन किया था.

‘पीएम मोदी ने बर्खास्‍त कराया’ तेज बहादुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने ही मुझे बर्खास्‍त कराया है. मेरे बेटे की हत्‍या की जाती है और उसकी जांच तक नहीं होती है. बेटे की मौत के समय ही पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की प्रतिज्ञा की थी. नामांकन खारिज होने जाने के बाद ही वह समाजवादी पार्टी उम्‍मीदवार शालिनी यादव के समर्थन में पीएम मोदी के खिलाफ प्रचार करेंगे. नकली चौकीदार के खिलाफ असली चौकीदार की लड़ाई जारी रहेगी.

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पुण्यतिथि: राज्यसभा जाने, पद्मश्री व फ़िल्मफेयर अवॉर्ड पाने वाली पहली अभिनेत्री थीं नरगिस

मुंबई। 3 मई को अपने दौर की चहेती अदाकारा नरगिस की पुण्यतिथि Nargis Dutt Death Anniversary मनाई जाती है! हिंदी सिनेमा को शुरूआती दौर में जिन अभिनेत्रियों ने एक अलग उंचाई दी है उनमें एक नाम उस दौर की खूबसूरत एक्ट्रेस नरगिस का भी है. क्या आप जानते हैं नरगिस राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं.

नरगिस के अभिनय का जादू कुछ ऐसा था कि साल 1968 में जब बेस्ट एक्ट्रेस के लिए पहले फ़िल्मफेयर अवॉर्ड देने की बारी आई तो उन्हें ही चुना गया. आइये जानते हैं इस कमाल की अभिनेत्री के बारे में और भी कुछ दिलचस्प बातें..

बेबी नरगिस के नाम से हुईं मशहूर

नरगिस के बचपन का नाम फातिमा राशिद था. उनका जन्म 1 जून 1929 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर में हुआ था. नरगिस के पिता उत्तमचंद मोहनदास एक जाने-माने डॉक्टर थे. उनकी मां जद्दनबाई मशहूर नर्तक और गायिका थी. मां के सहयोग से ही नरगिस फ़िल्मों से जुड़ीं और उनके करियर की शुरुआत हुई फ़िल्म ‘तलाश-ए-हक’ से. जिसमें उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया. उस समय उनकी उम्र महज 6 साल की थी. इस फ़िल्म के बाद वो बेबी नरगिस के नाम से मशहूर हो गयीं. इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्में की.

राज कपूर से बढ़ी नजदीकियां

1940 से लेकर 1950 के बीच नरगिस ने कई बड़ी फ़िल्मों में काम किया. जैसे ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘दीदार’ और ‘श्री 420’. तब राज कपूर का दौर था. नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फ़िल्में की और ज़्यादातर फ़िल्में सफल साबित हुईं. इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया. लेखिका मधु जैन की किताब ‘द कपूर्स’ के मुताबिक – “जब बरसात बन रही थी, नरगिस पूरी तरह से राज कपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं. यहां तक कि जब स्टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नरगिस ने अपनी सोने की चूड़ियां तक बेचीं. उन्होंने दूसरे निर्माताओं की फ़िल्मों में काम करके आर.के फ़िल्म्स की खाली तिजोरी को भरने का काम किया.”

राज कपूर से ब्रेक-अप

समय अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था. राज कपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए. कहते हैं यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नरगिस इंडिया लौट आईं. 1956 में आई फ़िल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राज कपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी. वादे के मुताबिक, राज कपूर की फ़िल्म ‘जागते रहो’ में भी नरगिस ने अतिथि कलाकार की भूमिका निभाई थी. यहां से दोनों के रास्ते बदल गए. दोनों के बीच कितना गहरा रिश्ता था इस बारे में ऋषि कपूर ने अपनी किताब ‘खुल्लम खुल्ला ऋषि कपूर uncensored’ में भी विस्तार से लिखा है.

सुनील दत्त से प्यार और शादी

राज कपूर से अलग होने के ठीक एक साल बाद नरगिस ने 1957 में महबूब ख़ान की ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग शुरू की. मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई. सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया. मार्च 1958 में दोनों की शादी हो गई. दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता. अपनी किताब ‘द ट्रू लव स्टोरी ऑफ़ नरगिस एंड सुनील दत्त’ में नरगिस कहती हैं कि राज कपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं, लेकिन उन्हें सुनील दत्त मिल गए,जिन्होंने उन्हें संभाल लिया. नरगिस कहती हैं कि उन्होंने अपने और राज कपूर के बारे में सुनील दत्त को सब-कुछ बता दिया था. सुनील दत्त पर नरगिस को काफी भरोसा था और दुनिया जानती है यह जोड़ी ताउम्र साथ रही.

सोशल सर्विस

नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका थीं. उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया. उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर ‘अजंता कला सांस्कृतिक दल’ बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे. गौरतलब है कि कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से जूझते हुए नरगिस कोमा में चली गयीं. 3 मई 1981 को मुंबई में उनका निधन हुआ.

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Cyclone Fani : तूफान से घबराएं नहीं, ध्यान रखें इन बातों का

नई दिल्ली। चक्रवाती तूफ़ान फानी धीरे-धीरे ओडिशा की ओर बढ़ रहा है. अगले कुछ घंटों में यह ओडिशा के पुरी तट से टकराएगा. इस वक्त ये तूफ़ान पुरी से 80 किमी और गोपालपुर से 65 किमी दूर है, जब ये तट से टकरायाएगा तब इसकी रफ़्तार 170 से 200 किलोमीटर/घंटा हो सकती है. तेज़ हवाओं के साथ हल्की बारिश हो रही है. गंभीर नुक़सान की आशंका को देखते हुए आपदा प्रबंधन की टीमें हाई अलर्ट पर हैं. नेवी की टीम भी ओडिशा पहुंच गई है. क़रीब 10 लाख लोगों को तटीय इलाक़ों से हटाकर सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. हालात को देखते हुए रात 1 बजे से भुवनेश्वर एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है. 100 से ज़्यादा ट्रेनें रद्द हैं. राज्य के सभी स्कूल-कॉलेज और दफ़्तरों को बंद रखा गया है, लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है. ओडिशा के अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी फ़ोनी तूफ़ान की वजह से अलर्ट है. वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में भी इसका पड़ने की आशंका है. किसानों की सलाह दी गई है कि वह अपनी फसल को सुरक्षित स्थान पर रखें 3 मई को 40 से 50 किलोमीटर प्रतिघंटा रफ्तार से हवा और बारिश हो सकती है.

ध्यान रखने योग्य बातें-
  • जहां तक हो सके घर से बाहर निकलें. घर में सभी जरूरी सामान टॉर्च, रस्सी, जरूरी दवाइयां और पीने का पानी अपने साथ रखें.
  • खाने-पीने की जरूरी चीजों को एक जगह सुरक्षित रख लें क्योंकि हो सकता है तूफान के बाद कुछ घंटों तक आवाजाही बंद रहे.
  • अगर घर से बाहर हैं तो मौसम खराब होने पर किसी पक्के मकान में शरण लें और जब तक मौसम पूरी तरह से ठीक न हो जाए न निकलें.
  • मौसम खराब होने पर पेड़, बिजली के खंबे के पास बिलकुल न खड़े हों.
  • अगर आप कार ड्राइव कर रहे हैं तो कोशिश करें किसी सुरक्षित स्थान में जाएं. पुल पर बिलकुल न रुकें और कार के सभी शीशे खोल दें.
  • घर में बिजली के सभी उपकरण स्विच ऑफ कर दें और आग बिलकुल न जलाएं.
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