बॉक्स ऑफिस: वरुण आलिया के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बनी कलंक, तोड़े ये रिकॉर्ड

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मुम्बई। करण जौहर के प्रोडक्शन में बनी मल्टीस्टारर ने उम्मीद के मुताबिक़ ही बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन किया है. फिल्म ने 2019 में अब तक पहले दिन कमाई करने के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ वरुण धवन और आलिया भट्ट स्टारर ने भारतीय बाजार में पहले दिन यानी बुधवार को 21.60 करोड़ रुपये की कमाई की.

ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक़ कलंक ने एक और दिलचस्प रिकॉर्ड बनाया. ये फिल्म आलिया और वरुण धवन के करियर में अब तक पहले दिन कमाई करने वाली सबसे बड़ी फिल्म बन गई है. इस साल पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने का रिकॉर्ड करण जौहर के ही प्रोडक्शन में बनी अक्षय कुमार स्टारर केसरी के नाम था. केसरी ने पहले दिन 21.06 करोड़ रुपये कमाए थे. सर्वाधिक कमाई के मामले में तीसरे नंबर पर आलिया भट्ट और रणवीर सिंह की फिल्म गली बॉय (19.40 करोड़ रुपये) है. जबकि कॉमेडी ड्रामा टोटल धमाल (16.50 करोड़ रुपये) चौथे नंबर पर है.

लंबे वीकेंड का मिलेगा फायदा, सारे रिकॉर्ड तोड़ेगी

कलंक कलंक को बुधवार को महावीर जयंती की छुट्टी के मौके पर रिलीज किया गया था. कलंक भारत में करीब 4000 स्क्रीन्स पर है. माना जा रहा है कि फिल्म को पांच दिनों का लंबा वीकेंड मिलेगा. ये फिल्म अपने पहले वीकेंड में ही 100 करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार कर सकती है.

कलंक करण जौहर का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसका निर्देशन अभिशेल वर्मन ने किया है. फिल्म को लेकर क्रिटिक्स ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है. फिल्म में वरुण आलिया के अलावा संजय दत्त, माधुरी दीक्षित, आदित्य रॉय कपूर और सोनाक्षी सिन्हा भी अहम भूमिकाओं में हैं.

कौन हैं वो IAS अधिकारी, जिन्होंने ली PM मोदी के काफिले की तलाशी, सस्पेंड!

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चुनाव आयोग ने कर्नाटक के एक आईएएस अधिकारी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले की तलाशी लेने की कोशिश पर सस्पेंड कर दिया है. इस अधिकारी का नाम मोहम्मद मोहसिन है, उन्हें संबलपुर में जनरल ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया गया था. बताया जा रहा है कि मोहम्मद मोहसिन ने पीएम के काफिले के एक वाहन की तलाशी की कोशिश की थी.

दरअसल मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के संबलपुर में चुनावी दौरा किया था और उस वक्त कर्नाटक बैच के आईएएस अफसर मोहम्मद मोहसिन संबलपुर में जनरल ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त थे. उन्होंने पीएम मोदी के काफिले की तलाशी लेने की कोशिश की. इस बात को लेकर पीएमओ ने चुनाव आयोग से शिकायत की.

उसके बाद चुनाव आयोग को एसपीजी सुरक्षा के बावजूद तलाशी लेने की जानकारी मिली और चुनाव आयोग ने निर्देशों के उल्लंघन के आरोप में आईएएस मोहम्मद मोहसिन को सस्पेंड कर दिया. कहा जा रहा है कि निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों से अलग अधिकारी ने कार्रवाई की थी. एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को ऐसी जांच से छूट प्राप्त होती है.

मोहसिन साल 1996 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर हैं, जिन्हें जनरल ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया गया था. बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में सामान्य पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सके. पारदर्शिता और स्थानीय प्रशासन से दूरी सुनिश्चित करने के लिए ये हमेशा राज्य के बाहर के अधिकारी होते हैं.

कौन हैं आईएएस मोहम्मद मोहसिन?

मोहम्मद मोहसिन पटना के रहने वाले हैं और कर्नाटक सरकार में सचिव (सोशल वेलफेयर विभाग) हैं. वे कर्नाटक कैडर से आईएएस बने हैं. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से एम कॉम की पढ़ाई की है और साल 1994 में वो यूपीएससी सिविल सर्विसेज की पढ़ाई करने दिल्ली आए थे.

पहले अटेंप्ट में वो सिविल सर्विसेज प्री परीक्षा में सफल नहीं हो पाए और उसके बाद उन्होंने वापस तैयारी की. उसके बाद वो इस परीक्षा में सफल हुए, हालांकि उनके नंबर कम रह गए और वो आईएएस नहीं बन सके.

साल 1969 में जन्मे मोहम्मद मोहसिन ने फिर तैयारी की और 1996 बैच से आईएएस अधिकारी बने. उन्होंने उर्दू स्टडीज के साथ अपनी पढ़ाई की थी. उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार वो कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग और अन्य विभागों में अधिकारी रह चुके हैं. वो कर्नाटक में कई प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

वे शुरुआत में एसडीएम पद पर रहे और उसके बाद जिला पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में डेप्यूटी कमिश्नर आदि पदों पर कार्य कर चुके हैं.

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नक्सलियों ने ओडिशा में महिला मतदान अधिकारी की हत्या की

नक्सलियों ने ओडिशा में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के ठीक एक दिन पहले एक महिला मतदान अधिकारी की हत्या कर दी. इसके मतदान के लिए अपने बूथ की ओर जा रहे वाहन को आग लगा दी. पुलिस ने बताया कि दोनों घटनाएं नक्सल प्रभावित कंधमाल जिले में घटी. यहां पर नक्सलियों ने लोगों को चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दी है.

डीजीपी बीके शर्मा ने बताया कि सेक्टर ऑफिसर संजुक्ता दिगल चुनाव कराने के लिए एक बूथ की ओर मतदान कर्मियों के साथ जा रही थीं. जब उनकी गाड़ी गूदपाड़ा पुलिस स्टेशन के नजदीक बालंदपाड़ा के पास जंगल से गुजर रही थी तभी रास्ते में संदिग्ध वस्तु पड़े होने पर वह जांचने के लिए गाड़ी से उतरी तभी नक्सलियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. गाड़ी में सवार चार अन्य मतदानकर्मियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. यह घटना कंधमाल लोकसभा सीट के तहत फूलबनी विधानसभा क्षेत्र के तहत घटी. यहां पर बृहस्पतिवार को सुबह 7 बजे से मतदान होना है.

दूसरी घटना में नक्सलियों ने मतदान अधिकारियों को ले जा रहे वाहन को आग के हवाले कर किया. यह घटना फिरिंगिया पुलिस स्टेशन के एक गांव में घटी. कंधमाल के जिला अधिकारी डी ब्रुंडा ने कहा कि हथियारों से लैस नक्सलियों ने आग लगाने से पहले मतदान कर्मियों को गाड़ी से नीचे उतरने को कहा था. पुलिस ने कहा कि सभी अधिकारी सुरक्षित हैं लेकिन ईवीएम समेत अन्य चुनाव सामग्री का क्या हुआ, यह पता नहीं चल पाया है.

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दूसरे चरण की वोटिंग: सबसे अधिक फायदा या नुकसान माया का, ‘मुस्लिम-दलित’ गठजोड़ का भी टेस्ट

मथुरा। लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान जारी है. यूपी की 8 सीटों पर मतदान हो रहे हैं और इसमें से 6 सीटें गठबंधन के लिहाज से बीएसपी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. खासकर ब्रज क्षेत्र में गठबंधन के लिए ‘मुस्लिम-दलित’ वोटरों के गठजोड़ का भी टेस्ट होगा. एसपी-बीएसपी के साथ आने से गठबंधन को इस वोट बैंक (मुस्लिम-दलित) को साथ रखने की उम्मीद है. बीएसपी चूंकि यहां 8 में से 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती उसी के सामने है. गठबंधन की सहयोगी एसपी हाथरस सीट से जबकि मथुरा की सीट से आरएलडी चुनाव लड़ रही है.

दरअसल, जिन 8 सीटों पर दूसरे चरण के तहत मतदान हो रहे हैं, उनमें से 5 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओें की संख्या 20 फीसदी से अधिक है. वहीं 8 में से 4 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं. आगरा को तो उत्तर भारत का दलित कैपिटल तक कहा जाता है. वहीं नगीना सीट की बात करें तो यहां दलित और मुस्लिम वोटर 60 फीसदी से अधिक हैं. इसी तरह अमरोहा में करीब 55 फीसदी जबकि आगरा और अलीगढ़ में करीब 50 फीसदी मतदाता दलित और मुस्लिम समाज से हैं. गठबंधन में मायावती को ये सीटें मिली थीं.

यही वजह है कि पिछले दिनों एक रैली में मायावती ने मुस्लिम वोटरों से सीधे-सीधे पार्टी को वोट देने और अपना वोट बंटने नहीं देने की अपील कर दी थी. हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाते हुए 48 घंटे तक उनके चुनाव प्रचार पर बैन लगा दिया था.

8 सीटों पर 85 प्रत्याशी आमने-सामने

दूसरे चरण के मतदान के तहत गुरुवार को बॉलिवुड के दो दिग्गज भी मैदान में हैं. मथुरा से हेमा मालिनी चुनावी मैदान में हैं तो फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर किस्मत आजमा रहे हैं. आठ सीटों पर कुल 85 प्रत्याशी मैदान में हैं. अगर 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो इन सभी आठ सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. हालांकि इस बार एसपी-बीएसपी और आरएलडी साथ हैं. उधर, कांग्रेस भी खोए जनाधार को वापस लाने के लिए चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटी है.

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चंद्रशेखर का ऐलान, नहीं लड़ेंगे वाराणसी से चुनाव

chandrashekharभीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने ऐलान किया है कि वे वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे. चंद्रशेखर ने चुनाव न लड़ने की वजह के बारे में भी खुलासा किया है. चंद्रशेखर का कहना है कि उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला इसलिए किया है कि क्योंकि वे महागठबंधन को कमजोर नहीं करना चाहते. उनके संगठन का साथ सपा-बसपा गठबंधन को मिलेगा. चंद्रशेखर ने हाल ही में ऐलान किया था कि वे वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनावों में उतरेंगे.

‘मिरर नाउ’ को दिए गए इंटरव्यू में चंद्रशेखर ने कहा, ‘पहले उम्मीद थी कि महागठबंधन मुझे समर्थन देगा लेकिन महागठबंधन का समर्थन न मिलने से मुझे निराशा हाथ लगी है. मेरा अंतिम उद्देश्य नरेंद्र मोदी को हराना है. बहुजन वोट मेरे लड़ने से बंट जाएगा. अगर फूट पड़ेगी तो लूट मचेगी.’

वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ न तो महागठबंधन ने किसी प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया है न ही कांग्रेस ने. हालांकि यह बहुत पहले साफ हो गया था कि भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की ओर से प्रधानमंत्री अपनी संसदीय सीट पर दोबारा चुनाव लड़ेगे.

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बैन खत्म होते ही मायावती ने चुनाव आयोग के खिलाफ खोला मोर्चा

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नई दिल्ली। चुनाव प्रचार पर बैन के 48 घंटे पूरे होने के बाद बसपा प्रमुख  मायावती ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया है. बसपा प्रमुख ने ट्वीट कर आयोग पर निशाना साधा है और सवाल खड़ा किया है। मायावती ने बैन की अवधि पूरा होते ही ट्विट कर पूछा कि “यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बैन के बाद मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और चुनावी लाभ ले रहे हैं. उन पर आयोग इतना मेहरबान क्यों है?”

मायावती ने आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा, चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करके यूपी के सीएम योगी शहर-शहर व मन्दिरों में जाकर एवं दलित के घर बाहर का खाना खाने आदि का ड्रामा करके तथा उसको मीडिया में प्रचारित/प्रसारित करवाके चुनावी लाभ लेने का गलत प्रयास लगातार कर रहे हैं किन्तु आयोग उनके प्रति मेहरबान है, क्यों?

बसपा प्रमुख ने सवाल उठाया कि-अगर ऐसा ही भेदभाव व बीजेपी नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी व गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र व निष्पक्ष होना असंभव है. इन मामलों मे जनता की बेचैनी का समाधान कैसे होगा? बीजेपी नेतृत्व आज भी वैसी ही मनमानी करने पर तुला है जैसा वह अबतक करता आया है?’

आज दूसरे चरण के लिए देश भर के 95 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिसमें यूपी की 8 और बिहार की पांच लोकसभा सीटें शामिल है। ऐसे मौके पर पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि आज दूसरे चरण का मतदान है और बीजेपी व पीएम मोदी उसी प्रकार से नर्वस व घबराए लगते हैं जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में हार के डर से कांग्रेस व्यथित व व्याकुल थी. इसकी असली वजह सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, किसानों के साथ-साथ इनकी दलित, पिछड़ा व मुस्लिम विरोधी संकीर्ण सोच व कर्म है.

दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देवबंद में रैली में मायावती के मुसलमान वोटरों से वोट की अपील पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने मायावती के प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक लगाई थी. ये बैन मंगलवार सुबह 6 बजे शुरू हुआ और 18 अप्रैल सुबह 6 बजे तक चला. इन 48 घंटे में मायावती कोई चुनावी सभा, रोड शो या राजनीतिक ट्वीट नहीं कर सकती थीं. गुरुवार को जैसे ही बैन की अवधि खत्म हुई बसपा प्रमुख ने आय़ोग के साथ ही भाजपा पर भी निशाना साधा. बैन हटने के बाद बहनजी आज 18 अप्रैल को उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बिहार के गोपालगंज जिले में बसपा प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रही हैं. हालांकि मायावती ने जो आरोप लगाया है, वह चुनाव आय़ोग पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

IRCTC पर काउंटर टिकट को भी ऑनलाइन कर सकते हैं कैंसिल और पा सकते हैं रिफंड

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नई दिल्ली। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आईआरसीटीसी) इंडियन रेलवे के काउंटर, स्टेशन, रिजर्वेशन ऑफिस और बुकिंग ऑफिस से बुक कराई गई टिकट को भी ऑनलाइन कैंसल करने की सुविधा देता है. यह सुविधा आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट www.irctc.co.in पर मिलती है.

इससे पहले यात्रियों को भारतीय रेलवे काउंटर और आरक्षण कार्यालयों के माध्यम से बुक किए गए ट्रेन टिकट को रद्द कराने के लिए रेलवे स्टेशन या बुकिंग काउंटर पर जाना ही होता था. भारतीय रेलवे उन यात्रियों से कैंसिलेशन शुल्क वसूलता है जो अपनी ट्रेन टिकट रद्द करना चाहते हैं.

जानिए आप काउंटर टिकट को कैसे ऑनलाइन कैंसिल करा सकते हैं-

स्टेप-1: आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट www.irctc.co.in पर जाइए. स्टेप-2: अब अपने माउस के कर्सर को ट्रेन ऑप्शन पर ले जाएं. यह ऑप्शन आपको होमपेज के सबसे ऊपर दिख जाएगा. स्टेप-3: अब अपने कर्सर को ड्राप डाउन मेन्यू में कैंसिल टिकट पर ले जाएं. स्टेप-4: अब काउंटर टिकट पर क्लिक करें. स्टेप 5: अब पीएनआर नंबर पर क्लिक करें, यह ट्रेन टिकट पर छपा हुआ होता है. स्टेप-6: अब कैप्चा को एंटर करें और चेक बॉक्स को कन्फर्म करें कि नियमों और प्रक्रिया को पूरी तरह पढ़ लिया गया है. स्टेप-7: अब सबमिट पर क्लिक करें. स्टेप-8: अब वन टाइम पासवर्ड को एंटर करें जो कि आपके मोबाइल पर भेजा गया है. ये वही नंबर है जिसे आपने बुकिंग के वक्त उपलब्ध कराया था. अब सबमिट पर क्लिक करें. स्टेप-9: ओटीपी वैलिडेट होने के बाद अपनी पीएनआर डिटेल को वेरिफाई करें. स्टेप-10: फुल टिकट कैंसिलेशन के लिए कैंसिल टिकट पर क्लिक करें. इसके बाद, रिफंड की राशि स्क्रीन पर दिखने लगेगी और यूजर को एक एसएमएस प्राप्त होगा जिसमें पीएनआर और रिफंड की जानकारी होगी.

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जेट एयरवेज ने भरी आखिरी उड़ान

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नई दिल्ली। वित्तीय संकट में फंसी जेट एयरवेज ने बुधवार रात से अस्थाई तौर पर अपनी सभी उड़ानों को सस्पेंड करने का फैसला किया क्योंकि कंपनी के पास कैश खत्म हो गया है और बैंकों ने उसे और कर्ज देने से इनकार कर दिया है. 26 साल से अपनी सेवाएं दे रही जेट एयरवेज ने आखिरकार अपनी उड़ाने रोक दी हैं. गौर करने वाली बात है कि जेट ने एक दिन में 650 फ्लाइट्स तक का परिचालन किया है. जेट की उड़ानें रुक जाने के बाद अब कंपनी के 16,000 स्थाई और 6,000 कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पिछले एक दशक में किंगफिशर के बाद कामकाज बंद करने वाली जेट दूसरी कंपनी बन गई है. विजय माल्या की किंगफिशर ने साल 2012 में कामकाज बंद किया था.

अब जेट की फ्लाइट्स दोबारा तभी उड़ान भर पाएंगी जबकि कंपनी को एक नया खरीददार मिले जो इसे नए सिरे से शुरू कर सके. जेट ने बुधवार रात अस्थाई तौर पर अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान करते हुए बीएसई की फाइलिंग में लिखा, ‘बैंकों या किसी अन्य जरिये से कोई इमरजेंसी फंडिंग नहीं आ रही है. हमारे पास कामकाज जारी रखने के लिए तेल खरीदने या किसी अन्य सेवा के लिए भुगतान करने लायक पैसा भी नहीं है. इसलिए जेट तुरंत अपनी सारी इंटरनेशनल और डोमेस्टिक फ्लाइट्स बंद करने पर मजबूर हो गई है. आखिरी फ्लाइट बुधवार को उड़ान भरेगी.’

जेट ने मंगलवार के अपनी उड़ानों का परिचालन जारी रखने के लिए एसबीआई की अगुआई वाले कर्जदाताओं से 983 करोड़ रुपये के इमरजेंसी फंड की मांग की थी.

एयर सहारा की महंगी डील से कभी नहीं उबर पाई जेट एयरवेज जेट की आखिरी फ्लाइट अमृतसर-मुंबई कई तरह से प्रतीकात्मक रही. यह उड़ान उसी मुंबई में खत्म हुई, जहां 5 मई, 1993 को जेट ने अपनी शुरुआत की थी. 5 मई, 1993 को ही मुंबई-अहमदाबाद के लिए जेट की पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी. इस प्लेन का नाम बोइंग 737 था. 2007 में 1,450 करोड़ रुपये की महंगी डील के साथ एयर सहारा खरीदने वाले नरेश गोयल ने कंपनी को जेटलाइट नाम दिया था. यही वह बेहद कीमती डील थी जिससे जेट कभी उबर नहीं पाई. आखिरकार कंपनी 20,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गई.

लेकिन अभी भी जेट के दोबारा उड़ान भरने की उम्मीद है. जेट की इमर्जेंसी फंडिंग की अपील को कर्जदाताओं ने खारिज कर दिया लेकिन उन्होंने एयरलाइन से मंगलवार रात कहा, ‘ऐक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट हमें मिल चुका है और बोली के दस्तावेज योग्य प्राप्तकर्ताओं को जारी कर दिए गए हैं. बोली के दस्तावेज में कंपनी के जल्द इस संकट से उबरने का मजबूत प्लान बताया गया है. बोली की यह प्रक्रिया 10 मई, 2019 तक चलेगी. हम भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि बोली की प्रक्रिया के जरिए कंपनी की मुश्किल का कोई स्थाई हल ढूंढा जा सके.’

पिछले नवंबर तक जेट के पास बोइंग 777 और एयरबस ए330, सिंगल बी737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे. कंपनी हर दिन करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी. अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस में से एक थी.

मंगलवार को एयरलाइन के बोर्ड ने कर्जदाताओं से इमर्जेंसी फंड पाने की अंतिम कोशिश के बाद, सीईओ विनय दुबे को कंपनी की उड़ानों का परिचालन बंद करने का फैसला करने की अनुमति दे दी. बुधवार शाम कर्मचारियों को लिखे एक मेल में दुबे ने कहा, ‘कर्जदाताओं से इमर्जेंसी फंडिंग और किसी दूसरे सोर्स से कोई भी फंडिंग न मिलने के चलते कंपनी के लिए अब उड़ानें जारी रखने के लिए ईंधन और दूसरी सेवाओं का भुगतान करना मुश्किल संभव नहीं होगा. परिणामस्वरूप, हम सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को तत्काल प्रभाव से बंद करने पर मजबूर हैं.

दुबे ने अपने कर्मचारियों को सांत्वना दी और बताया, ‘बिक्री की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा और आने वाले समय में हमें कई और चुनौतियों का सामना करना होगा, जिनमें से कई का जवाब हमारे पास आज नहीं है. उदाहरण के लिए, हम अभी इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब नहीं जानते कि ‘बिक्री की प्रक्रिया के दौरान, हम कर्मचारियों का क्या होगा.’

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इन दो सेलिब्रिटी पर दिल्ली में दांव खेलने को तैयार कांग्रेस!

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2019 के तहत देश की राजधानी दिल्ली की सातों सीटों पर 12 मई को मतदान होना है, जबकि इसके लिए नामांकन 16 अप्रैल (मंगलवार) से ही शुरू हो चुका है. इस बीच खबर आ रही है कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन का इंतजार नहीं करते हुए बुधवार शाम तक सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर देगी.

मिली जानकारी के मुताबिक, वीआइपी सीट दक्षिणी दिल्ली पर चुनाव लड़ने के लिए अगर ओलंपियन सुशील कुमार राजी नहीं हुए तो पार्टी बॉक्सर विजेंद्र सिंह पर भी दांव लगा सकती है. सेलिब्रिटी उम्मीदवार के तौर पर पार्टी सुशील के साथ-साथ ओलंपियन विजेंद्र के नाम पर भी गंभीरता से विचार कर रही है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहलवान सुशील कुमार पश्चिमी दिल्ली से ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि पार्टी इस सीट से अपने इकलौते पूर्वांचली नेता महाबल मिश्र को उतारना चाहती.

वहीं, पार्टी की एक सोच यह भी है कि पश्चिमी दिल्ली से AAP उम्मीदवार बीएस जाखड़ और भाजपा के संभावित उम्मीदवार प्रवेश वर्मा भी जाट हैं. जबकि, सुशील कुमार भी जाट ही हैं. ऐसे में जाट वोट भी आपस में बंट सकता है. इसी समीकरण के तहत पार्टी सुशील को दक्षिणी दिल्ली से लड़वाना चाह रही है, मगर वह राजी नहीं हो रहे. पूर्व सांसद रमेश कुमार के नाम पर इस सीट से पहले ही ना हो चुकी है. वरिष्ठ पार्टी नेता ओमप्रकाश बिधूड़ी भी मना कर चुके हैं,वहीं चतर सिंह के नाम पर सहमति नहीं बन रही है.

ऐसे में मंगलवार को पार्टी के आला नेताओं में इस सीट से चुनाव लड़ाने के लिए बॉक्सर विजेंद्र सिंह के नाम पर भी चर्चा हुई. हालांकि, विजेंद्र सिंह ने इस बाबत फिलहाल अनभिज्ञता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि कल का तो कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन अभी तक उनसे किसी ने कोई संपर्क नहीं किया है.

वहीं, याद दिला दें कि पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर भी लोकसभा चुनाव से पहले पिछले महीने 21 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में दिल्ली में वह भाजपा में शामिल हुए. कयास लगाए जा रहे हैं कि वह मीनाक्षी लेखी की जगह नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ेंगे.

गौतम गंभीर एक जानामाना नाम है. वह दिल्ली में जन्मे, पढ़े और दिल्ली में हर स्तर पर उन्होंने क्रिकेट क्रिकेट खेला है. भाजपा में शामिल होने के दौरान गौतम गंभीर के चुनाव लड़ने के पूछे गए सवाल पर अरुण जेटली ने कहा कि था पार्टी जब भी कोई फैसला करेगी, सूचना दे दी जाएगी. अभी इसका फैसला नहीं किया गया है. वैसे यह कयाम कई महीने से लगाए जा रहे हैं कि गौतम गंभीर दिल्ली की किसी सीट से जरूर चुनाव लड़ेंगे. नई दिल्ली सीट कई समीकरणों के चलते गौतम गंभीर के मुफीद है, इसलिए उऩ्हें यहां से लड़ाया जा सकता है.

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आप 2 रुपये खर्च कर जान सकते हैं किसे दिया वोट

नई दिल्ली। मतगणना में गड़बड़ी की आशंका पर वीवीपैट को चैलेंज किया जा सकता है. इसके लिए वोटर को केवल दो रुपये खर्च करने होंगे, लेकिन शर्त यह भी है कि वीवीपैट को गलत चैलेंज करने पर संबंधित के खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी. चुनाव में पारदर्शिता लाने व पूर्व में मशीनों में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद निर्वाचन आयोग ने इस बार एडवांस एम-3 वीवीपैट मशीनों में यह नई व्यवस्था की है.

मतगणना के दौरान यदि कोई वोटर मशीन में गड़बड़ी का आरोप लगाता है और कहता है कि उसने वोट जिस दल को दिया था उसका वोट उस दल को नहीं पड़ा तो वह दो रुपये जमाकर वीवीपैट को चैलेंज कर सकता है. इसके बाद प्रशासन द्वारा वहां मौजूद एजेंटों के सामने संबंधित बूथ की वीवीपैट का ट्रॉयल किया जाएगा और उसकी सच्चाई को सामने लाया जाएगा. यदि आरोप गलत साबित होता है तो संबंधित के खिलाफ प्रशासन द्वारा एफआइआर दर्ज कराई जाएगी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में इवीएम पर राजनीतिक दलों ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सवाल खड़े किए थे. बाद में भी इवीएम पर लगातार आरोपों का सिलसिला जारी रहा. इसके बाद निर्वाचन आयोग ने एम-3 मशीन बनवाई और इसमें चैलेंज करने की व्यवस्था जारी की.

वीवीपैट को गलत चैलेंज करने पर आयोग द्वारा दो अधिनियमों की धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज करने का प्रावधान रखा गया है. इसमें आइपीसी की धारा 177 के तहत रिपोर्ट दर्ज की जाएगी. इस धारा के अंतर्गत छह माह की कारावास के साथ एक हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जा सकता है. इसके साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 26 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी.

सुनील कुमार सिंह (एडीएम वित्त एवं राजस्व व उप जिला निर्वाचन अधिकारी) के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग द्वारा पूरी तरह से वीवीपैट का इस्तेमाल किया जा रहा है. गड़बड़ी की आशंका पर वीवीपैट को चैलेंज करने की व्यवस्था बनाई गई है. यदि किसी के द्वारा वीवीपैट को गलत तरीके से चैलेंज किया जाता है तो उसके खिलाफ प्रशासन द्वारा एफआइआर दर्ज कराई जाएगी.

मतदान के दौरान जब मतदाता बैलेट यूनिट पर बटन दबाता है तो वीवी पैट में दिए गए स्क्रीन पर दल का नाम व क्रम संख्या आठ सैकेंड तक प्रदर्शित होता है. इससे वोटर की पुष्टि होती है कि उसने जिस दल व प्रत्याशी को वोट देने के लिए बटन दबाया है, वोट उसी उम्मीदवार को गया है. इसके साथ संबंधित दल व प्रत्याशी की एक पर्ची पिंट्र होकर मशीन में गिर जाती है.

वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट एक तरह की मशीन होती है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ जोड़ा जाता है. इस व्यवस्था के तहत मतदाता द्वारा वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है. इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है. ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है. यह व्यवस्था इसलिए है ताकि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोटों के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके.

सबसे पहले इसका इस्तेमाल नगालैंड के विधानसभा चुनाव में 2013 में हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए. चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया अगले आम चुनाव यानी साल 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा.

चुनाव आयोग ने चिट्ठी लिख कर वीवीपैट के लिए केंद्र सरकार से 3174 करोड़ रुपये मांगे. बीईएल ने साल 2016 में 33,500 वीवीपैट मशीनें बनाईं. इसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में 2017 में किया गया. बीते दिनों में पांच राज्यों के चुनावों में चुनाव आयोग ने 52,000 वीवीपैट का इस्तेमाल किया.

कैसे काम करती है VVPAT?

जब आप EVM में किसी उम्मीदवार के सामने बटन दबाकर उसे वोट करते हैं तो VVPAT से एक पर्ची निकल आती है, जो बताती है कि आपका मत किस उम्मीदवार के हिस्से गया है. इस पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और उसका चुनाव चिन्ह छपा होता है. आपके और VVPAT से निकली पर्ची के बीच कांच की एक दीवार लगी होगी, मतदाता के रूप में आप 7 सेकेंड तक इस पर्ची को देख पाएंगे और फिर यह सीलबंद बॉक्स में गिर जाएगी, यह आपको नहीं मिलेगी. सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही इस VVPAT तक पहुंच सकते हैं. मतगणना के वक्त किसी भी तरह की असमंजस या डिस्प्यूट की स्थिति में इन पर्चियों की भी गणना हो सकती है.

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नोटबंदी के बाद भारत में 50 लाख लोगों ने गंवाई नौकरी

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद बीते दो सालों में 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं. एक नई रिपोर्ट के अनुसार, खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 लाख लोगों ने नोटबंदी के बाद अपना रोजगार खो दिया है. बेंगलुरु स्थित अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट (CSE) द्वारा मंगलवार को जारी ‘State of Working India 2019′ रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2016 से 2018 के बीच करीब 50 लाख पुरुषों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

सीएसई के अध्यक्ष और रिपोर्ट लिखने वाले मुख्य लेखक प्रोफेसर अमित बसोले ने हफिंगटनपोस्ट से कहा कि, इस रिपोर्ट में कुल आंकड़े हैं. इन आंकड़ों के हिसाब से 50 लाख रोजगार कम हुए हैं. कहीं और नौकरियां भले ही बढ़ी हों लेकिन ये तय है कि पचास लाख लोगों ने अपना नौकरियां खोई हैं. यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है. बसोले ने आगे बताया कि कि डेटा के अनुसार, नौकरियों में गिरावट नोटबंदी के आसपास हुई (सितंबर और दिसंबर 2016 के बीच चार महीने की अवधि में) और दिसंबर 2018 में अपने स्थिरांक पर पहुंची.

रिपोर्ट कॉपी

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा किए जाने के आसपास ही नौकरी की कमी शुरू हुई, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर इन दोनों के बीच संबंध पूरी तरह से स्थापित नहीं किया जा सकता है. यानी रिपोर्ट में यह साफ तौर पर बेरोजगारी और नोटबंदी में संबंध नहीं दर्शाया गया है.

‘सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्लॉयमेंट’ की ओर से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी नौकरी खोने वाले इन 50 लाख पुरुषों में शहरी और ग्रामीण इलाकों के कम शिक्षित पुरुषों की संख्या अधिक है. इस आधार पर रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि नोटबंदी ने सबसे अधिक असंगठित क्षेत्र को ही तबाह किया है.

‘2016 के बाद भारत में रोजगार’ वाले शीर्षक के इस रिपोर्ट के 6ठे प्वाइंट में नोटबंदी के बाद जाने वाली 50 लाख नौकरियों का जिक्र है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 के बाद से कुल बेरोजगारी दर में भारी उछाल आया है. 2018 में जहां बेरोजगारी दर 6 फीसदी थी. यह 2000-2011 के मुकाबले दोगुनी है.

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मौसम का कहर: मध्य प्रदेश में 16 और राजस्थान में 6 की ली जान, फसल को भारी नुकसान

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के कई जिलों में मंगलवार रात तेज आंधी और बारिश से बड़ी तबाही हुई. बिजली गिरने से पूरे राज्य में अलग-अलग इलाकों में 10 लोगों के मौत की खबर है. हालांकि न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक 16 लोगों की मौत हुई है. बारिश और तूफान की वजह से हुए जानमाल के नुकसान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए दुख जताया. उन्होंने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये देने का ऐलान किया है. कई जगह पर ओले पड़ने से खेतों में फसल भी खराब हो गई है. खेतों में खड़ी और काट कर रखी फसलों के अलावा मंडियों में खरीद के बाद खुले में रखा सैकड़ों क्विंटल गेहूं और लहसुन भींग गया. मौसम विभाग के मुताबिक, अगले दो दिनों में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी मप्र में आंधी के साथ ही हल्की बारिश की स्थिति बन सकती है. भोपाल में फिर से बूंदाबांदी हो सकती है.

बात करें अन्य राज्यों की तो राजस्थान में तेज आंधी और बारिश की वजह से 6 लोगों के मौत की खबर है. यहां मंगलवार को मौसम खुशनुमा रहा, लेकिन शाम तक धूलभरी आंधी, तेज बारिश व बिजली की वजह से 6 लोगों की मौत हुई. यह जानकारी एएनआई ने दी. वहीं देश की राजधानी दिल्ली में बीती रात हुई हल्की बारिश और आंधी-तूफान के बाद मौसम मंगलवार सुबह सुहावना रहा. यहां का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 20.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. सोमवार को न्यूनतम तापमान 25.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो कि सामान्य के औसत से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था.

भारत के अलावा पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में भीषण तूफान और बारिश के कारण कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई और 135 अन्य लोग घायल हो गए. मीडिया रपटों में मंगलवार को यह जानकारी दी गई. पछुआ हवाओं के चलते आयी भारी बारिश एवं तूफान से सोमवार को देश के विभिन्न हिस्सों में पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा. पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि खैबर-पख्तूनवा में 13, बलूचिस्तान में 11, पंजाब में 10 और सिंध में पांच लोगों की मौत हुई है.

जयंती विशेष : वंचितों के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहे महात्मा फुले

ओमप्रकाश राजभर ने उतारे 39 प्रत्याशी, उठने लगा यह सवाल

फाइल फोटोः सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर
लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। कथित तौर पर भाजपा से नाराज चल रहे पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने प्रदेश भर में 39 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।  भाजपा से सीटें नहीं मिलने से नाराज सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने 5वें 6वें और 7वें चरण की सीटों से 39 प्रत्याशियों की सूची जारी की। राजभर ने वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ में भी प्रत्याशी उतारा है। उनका दावा है कि वह किसी को हराने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए मैदान में हैं। हालांकि बीच चुनावी मंझधार में ओमप्रकाश राजभर का यह फैसला चौंकाने वाला है। वह भाजपा से नाराज होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जिन 39 लोकसभा सीटों के लिए अपने जिन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वह किसी और कहानी की ओर इशारा कर रही है। गठबंधन के नेताओं का आरोप है कि राजभर भाजपा से झूठी नाराजगी दिखा रहे हैं। असल में वह अपने प्रत्याशी उतार कर महागठबंधन का वोट काटने का काम करेंगे ताकि भाजपा को फायदा हो सके। उनका यह भी आरोप है कि इसके लिए भाजपा और ओमप्रकाश राजभर के बीच सांठ गांठ हुई है। ऐसे में देखना यह है कि उत्तर प्रदेश के मतदाता क्या फैसला लेते हैं।

शत्रुध्न सिन्हा की पत्नी सपा में शामिल, यहां से लड़ेंगी चुनाव

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लखनऊ। भाजपा से अलग होने के बाद शत्रुध्न सिन्हा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया तो वहीं दूसरी ओर उनकी पत्नी पूनम सिन्हा आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई हैं. पूनम सिन्हा के लखनऊ से चुनाव लड़ने की खबर है. इससे पहले यह माना जा रहा था कि पूनम सिन्हा अपने पति की ही तरह कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगी, लेकिन आखिर में उन्होंने सपा का दामन थाम लिया. पूनम 18 अप्रैल को नामांकिन दाखिल कर सकती हैं.

बीते दिनों 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी के 39वें स्थापना दिवस के मौके पर भाजपा नेतृत्व से खफा शॉटगन शत्रुध्न सिन्हा ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था.  जहां तक लखनऊ की बात है तो लोकसभा चुनावों में इस सीट से 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जीते थे. 2009 में लाल जी टंडन और 2014 में राजनाथ सिंह ने इस सीट से भारी मतों से बाजी मारी थी. इस बार बीजेपी ने फिर राजनाथ सिंह को लखनऊ से उतारा है.

आगरा में मायावती ने उतारा भतीजा आकाश

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आगरा में गठबंधन की रैली में मौजूद आकाश

नई दिल्ली। आगरा में महागठबंधन की प्रस्तावित संयुक्त रैली के ठीक पहले बसपा प्रमुख मायावती पर चुनाव आयोग द्वारा बैन लगाने के बाद मायावती ने बड़ा दांव चलते हुए अपने भतीजे आकाश आनंद को लांच कर दिया. आगरा में आकाश ने पहली बार लोगों के सामने अपनी बुआ मायावती का संदेश पढ़ा. अपने पांच मिनट के छोटे से लिखित भाषण में आकाश ने लोगों से गठबंधन के प्रत्याशियों को जीताने की अपील की.

चुनाव आयोग ने बसपा प्रमुख मायावती पर 16 अप्रैल के सुबह 6 बजे से 48 घंटे तक प्रचार करने पर रोक लगाई है, जिसकी वजह से वह रैली को संबोधित नहीं कर सकती थीं. इसी को बहुजन समाज पार्टी ने भुनाने की कोशिश की और मायावती के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले उनके भतीजे आकाश को लॉन्च किया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा में हुई महागठबंधन की इस जनसभा में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह भी मौजूद रहें तो वहीं आकाश के साथ बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा मौजूद थे, लेकिन हर किसी की नज़रें आकाश आनंद पर थीं.

आकाश ने अपना संबोधन ‘जय भीम’ से शुरू किया. उन्होंने रैली में आए समर्थकों से कहा कि उनकी बुआ आज नहीं आ सकी हैं, इसलिए वह उनका संदेश लेकर सामने आए हैं. बुआ का संदेश है कि आप उनके उम्मीदवारों को बड़े अंतर से जिताएं और विरोधियों की जमानत जब्त करवाएं. आकाश ने कहा कि यही हमारा मुख्य चुनाव आयोग को सही जवाब होगा.

सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर मोदी के खिलाफ होगी जांच

नई दिल्ली। बीते 11 अप्रैल को तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों सहित 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा भाजपा और पीएम मोदी की शिकायत की एक चिट्ठी सामने आई थी. इस चिट्ठी में इन सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने सेना के राजनीतिकरण का मामला उठाया था. देश की सुरक्षा में लगे पूर्व दिग्गज सैनिकों ने अपनी चिट्ठी में शिकायत की थी कि सत्ताधारी दल सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सेना के ऑपरेशन का श्रेय ले रही है. और देश की सेना को मोदी जी की सेना के तौर पर बताया जा रहा है.

अभी इस चिट्ठी से उठा बवाल शांत भी नहीं हुआ था कि इंडियन नेवी के पूर्व कमोडोर और व्हिसिलब्लोअर लोकेश बत्रा ने भाजपा द्वारा सेना से संबंधित होर्डिंग्स लगाकर वोट मांगने पर कड़ी आपत्ति जताई है. चुनाव आयोग को लिखे ओपन लेटर में रिटायर्ड कमोडोर लोकेश बत्रा ने कहा है कि-

‘मैं चुनाव आयोग द्वारा जारी उन निर्देशों की याद दिलाना चाहता हूं, जिनमें साफ-साफ कहा गया है कि कोई भी पार्टी चुनावी फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेना के कार्यों का उपयोग नहीं कर सकती हैं, लेकिन कई इलाकों में ऐसे होर्डिग लगाए गए हैं जो आयोग के निर्देशों का साफ-साफ उल्लंघन है. इन होर्डिंग की वजह से लोगों में भ्रामक संदेश भी जा रहा है”.

यह मुद्दा उठाकर लोकेश बत्रा ने इस मामले में चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग के निर्देशों का पूरी तरह उल्लंघन है. चुनाव आयोग को इस मामले में सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए. चुनाव आयोग ने लोकेश बत्रा की शिकायत पर जांच शुरू कर दी है और स्क्रूटनी जारी है.

जाहिर है कि यह मोदी के लिए बुरी खबर है। हालांकि जब चुनाव में सेना के इस्तेमाल पर बहस चल रही है तो वहीं पीएम मोदी ने यह कह कर नई बहस को जन्म दे दिया है कि जब किसानों की मौत चुनाव में मुद्दा है तो फिर जवानों की मौत क्यों नहीं. गौरतलब है कि मोदी देश भर में चुनावी कार्यक्रम के दौरान मतदाताओं से सेना के नाम पर और सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर वोट मांग रहे हैं. जिस पर विपक्ष सहित सेना के तमाम अधिकारियों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.

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सलमान खान ने Bharat Trailer से पहले बनाया ये बड़ा प्लान

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मुंबई। सलमान खान की फिल्म भारत को लेकर इन दिनों जमकर चर्चा है. सलमान ने फिल्म का प्रमोशन भी शुरू कर दिया है. पहले बुढ़ापा दिखाया और फिर जवानी भी लेकिन ये तो अभी शुरुआत है. भारत का ट्रेलर आने से पहले भारत से अलग अलग लुक के तीन पोस्टर और एक मोशन पोस्टर लाने की योजना है.

फिल्म भारत की कहानी 1947 के समय शुरू होती है जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो रहा था. ये कहानी वहीं से शुरू होगी, जो देश(भारत) और भारत नाम के आदमी की जर्नी होगी. कोरियन फिल्म भी 1950 के इस विभाजन काल की है जब लोग अपना देश छोड़ कर जा रहे थे. तब बंटवारे में बिछड़ रहे एक पिता ने अपने बेटे योन डेक सू से कहा था कि अगर वो वापस न आये तो बेटे को ही मुखिया बन कर परिवार की देखभाल करनी होगी. जानकारी के मुताबिक अली अब्बास और उनकी टीम ने कोरियन फिल्म की कहानी में कुछ बदलाव किये हैं ताकि कहानी को इंडिया के परिपेक्ष्य से पेश किया जाए. फिल्म चूंकि एक आदमी के 50 साल में हुई घटनाओं को दिखाएगी इसलिए हर दस साल के बाद सलमान का लुक बदला जाएगा. एक लुक में सलमान खान का किरदार मॉडर्न भी दिखेगा जिसमें उसे कटरीना के किरदार से प्यार होगा और बाद में दोनों की शादी हो जायेगी.

‘जानते हो मेरे मां बाबा ने मेरा नाम भारत क्यों रखा था?’ सलमान खान के इस सवाल के साथ ही फिल्म के प्रमोशन को आगे बढ़ाने की योजना है. लेकिन फिल्म से जुड़े लोगों ने साफ़ कर दिया है कि ये फिल्म पीरियड ड्रामा नहीं है बल्कि बैक ड्रॉप में पूरी कहानी होगी. फिल्म की कहानी के मुताबिक सलमान खान को अपने परिवार की देखभाल करने के लिए सर्कस में काम करना पड़ता है, जहां वो ‘खतरों का कुआँ’ में मोटरसाईकिल के करतब दिखाते हैं. उनके साथ दिशा पटानी भी उसी सर्कस में ट्रिपिज़ आर्टिस्ट हैं और ख़ूब सारी कलाबाजियां दिखाती हैं. माल्टा के बाद आबू धाबी, स्पेन, पंजाब और दिल्ली में भारत की शूटिंग की गई है.

जैकी श्रॉफ इस फिल्म में सलमान खान के पिता का रोल निभाएंगे. दोनों आठ साल पहले फिल्म वीर में साथ थे. सलमान खान ने ही जैकी को इस फिल्म में पिता का रोल देने के लिए कहा था. भारत सलमान के बहनोई अतुल अग्निहोत्री के प्रोडक्शन में बन रही है. इस फिल्म में पहले प्रियंका चोपड़ा को सलमान खान की पत्नी का रोल दिया गया है. प्रियंका इसके लिए राज़ी भी हो गई थीं लेकिन अचानक ही प्रियंका ने इस फिल्म से अपना नाम वापस ले लिया. इसी कारण फिल्म में उनकी जगह कटरीना को शामिल किया गया.

अली अब्बास ज़फर के निर्देशन में बनी भारत के प्रमोशन को भी यूनिक बनाने की योजना है. इस ईद के मौके पर पांच जून को रिलीज़ हो रही फिल्म भारत का ट्रेलर 24 अप्रैल को रिलीज़ किया जा रहा है. ये फिल्म एक परिवार, उसके मुखिया और साथ साथ देश के बढ़ने की कहानी है. सलमान खान फिल्म को अलग अंदाज़ में पेश करना चाहते हैं जिसके लिए वो पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं. कोरियन फिल्म ओड टू माय फादर के इस हिंदी एडाप्टेशन में सलमान खान के अलावा कटरीना कैफ, दिशा पाटनी, तब्बू, जैकी श्रॉफ और सुनील ग्रोवर भी हैं. वरुण धवन भी एक स्पेशल भूमिका में होंगे इसी फिल्म में वरुण धवन भी एक स्पेशल भूमिका में होंगे.खबर है कि वरुण को फिल्म में धीरू भाई अम्बानी का रोल प्ले करते हुए दिखाया जायेगा.

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UP Board Result 2019: जानिए कब आ रहा है यूपी बोर्ड का रिजल्ट?

नई दिल्ली। UP Board की परीक्षाओं का रिजल्ट जल्द ही जारी कर दिया जाएगा. बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने NDTV से बातचीत में कहा, ”10वीं और 12वीं के रिजल्ट जारी करने की तिथि अभी तय नहीं हुई है, लेकिन बोर्ड इस महीने के आखिरी सप्ताह में रिजल्ट जारी कर देगा.” 10वीं और 12वीं की परीक्षा के रिजल्ट का इंतजार करीब 58 लाख स्टूडेंट्स को है. रिजल्ट से संबंधित जानकारी के लिए स्टूडेंट्स UP Board की ऑफिशियल वेबसाइट upmsp.edu.in चेक करते रहे. इसके साथ ही रिजल्ट से जुड़ी हर अपडेट के लिए NDTV Khabar के साथ बने रहे. हम आप तक सबसे पहले हर अपडेट पहुंचाने का प्रयास करेंगे. स्टूडेंट्स यूपी बोर्ड की परीक्षाओं का रिजल्ट upmsp.edu.in और upresults.nic.in पर चेक कर पाएंगे. यूपी बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं 7 फरवरी से 28 फरवरी तक आयोजित की गई थी, जबकि कक्षा 12वीं की परीक्षाएं 7 फरवरी से शुरू हुईं और 2 मार्च को समाप्त हुई थी.

UP Board Result 2019 यूं कर पाएंगे चेक स्टेप 1: रिजल्ट के लिए आपको वेबसाइट upmsp.edu.in या upresults.nic.in पर जाना होगा. स्टेप 2: वेबसाइट पर दिए गए रिजल्ट के लिंक पर क्लिक करना होगा. स्टेप 3: अब नया पेज खुलने पर अपना रोल नंबर सबमिट करना होगा. स्टेप 4: अब आप अपना रिजल्ट देख पाएंगे. स्टेप 5: भविष्य के लिए आप अपने रिजल्ट का प्रिंट ऑफट ले पाएंगे.

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भाजपा और योगी ने दिया प्रवीण निषाद को झटका

नई दिल्ली। पूर्वांचल में भाजपा का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. सपा छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के सांसद बेटे प्रवीण निषाद को भाजपा ने झटका दे दिया है. माना जा रहा था कि भाजपा सपा के टिकट पर उपचुनाव जीतकर गोरखपुर के सांसद बनने वाले प्रवीण निषाद को टिकट देगी, लेकिन आखिरी वक्त में पार्टी ने गोरखपुर से फिल्म अभिनेता रवि किशन को मैदान में उतार दिया है.

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पूर्वांचल की आठ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करते हुए योगी आदित्यनाथ ने अपने गृह जनपद गोरखपुर लोकसभा सीट पर एक बार फिर ब्राह्मण दांव खेला है. बीजेपी ने आठ प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है. इसमें प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्ता, अंबेडकर नगर से मुक्त बिहारी, संतकबीर नगर से प्रवीण निषाद, गोरखपुर से रवि किशन, देवरिया से रमापति राम त्रिपाठी, जौनपुर से केपी सिंह और भदोही से रमेश बिंद के नाम शामिल हैं.

दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी ने संतकबीर नगर सीट से मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया है. हालांकि पार्टी ने उनकी जगह उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया सीट से प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा अंबेडकर नगर सीट से मौजूदा सांसद हरिओम पांडेय का टिकट काटकर मुक्त बिहारी को उतारा है. भदोही सीट के मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को पहले ही पार्टी बलिया से उतार चुकी है. ऐसे में भदोही से रमेश बिंद को उतारा है. इसके अलावा प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पिछले चुनाव में अपना दल के पास थी. इस बार अपना दल के संगम लाल गुप्ता कमल के निशान पर चुनावी मैदान में उतरेंगे. संगम लाल गुप्ता फिलहाल प्रतापगढ़ सदर से अपना दल के विधायक हैं. संगम लाल अनुप्रिया के करीबियों में शामिल हैं, जबकि 2014 में अपना दल से हरिवंश सिंह प्रतापगढ़ से सांसद चुने गए थे.

गोरखपुर लोकसभा सीट बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती थी. लेकिन योगी आदित्यनाथ के यूपी के सीएम बनने के बाद लोकसभा सदस्यता से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इसके 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उपेंद्र दत्त शुक्ला को मैदान में उतारा था और सपा ने प्रवीण निषाद पर दांव लगाया. बसपा के समर्थन से सपा के प्रवीण निषाद ने बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला को मात देकर कब्जा जमाया. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रवीण निषाद ने सपा का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं.

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अब खुलकर मायावती के खिलाफ भीम आर्मी ने खोला मोर्चा

नई दिल्ली। भीम आर्मी भारतीय एकता मिशन के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने मायावती और बसपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हाल में हर हाल में बसपा को समर्थन देने की बात कहने वाले चंद्रशेखर ने 14 अप्रैल को बाबासाहेब डॉ. अम्बडेकर की जयंती के दिन मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. लोकसभा चुनावों के बीच बाबासाहेब की जयंती के मौके पर उनकी जन्मस्थली महू (मध्यप्रदेश) पहुंचे चंद्रशेखर ने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि बसपा दलितों की शुभचिंतक नहीं है.

बाबासाहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर की 128वीं जयंती के अवसर पर उनकी जन्मस्थली महू में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने आये चंद्रशेखर ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘बाबा साहेब ने कुछ बड़े-बड़े सपने देखे थे, जो अब तक पूरे नहीं हुए हैं. इसलिए मैं यहां पर आया हूं और मैं उनके इन सपनों को पूरा करूंगा.’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मायावती की पार्टी दलितों के हितों की रक्षा नहीं करती है. असलियत में समूचे देश में दलितों की शुभचिंतक मेरी पार्टी (भीम आर्मी) है, न कि बसपा.’’

भीम आर्मी और उसके प्रमुख चंद्रशेखर का इस तरह बसपा और उसकी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ खुलकर आने के बाद दलित राजनीति दिलचस्प हो गई है. चंद्रशेखर ने यह बयान तब दिया है जब दूसरे चरण का चुनाव होना है. देखना होगा कि भीम आर्मी के समर्थक जो कि बहुजन समाज पार्टी के वोटर हैं, वो चंद्रशेखर के इस बयान को कैसे देखते हैं.

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