ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में मोदी सरकार पर गंभीर आरोप

मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की ताजा वर्ल्ड रिपोर्ट 2024 में भारत के लिए बुरी खबर है। इस रिपोर्ट में मानवाधिकार के मोर्चे पर भारत की नीतियों को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट में भारत सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाया गया है। 740 पन्नों की अपनी ताज़ा रिपोर्ट में संगठन ने मणिपुर में हुए नस्लीय टकराव से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन और जम्मू-कश्मीर के हालात का ज़िक्र किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच क़रीब 100 देशों में मानवाधिकारों से जुड़ी नीतियों और कार्रवाई पर नज़र रखता है। इसी के आधार पर वो अपनी सालाना विश्व रिपोर्ट तैयार करता है। ताजा रिपोर्ट 11 जनवरी 2024 को जारी की गई है, जिसमें ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि पिछले साल भारत में मानवाधिकारों के दमन और उत्पीड़न की कई घटनाएं हुई हैं। मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए संगठन ने कहा है कि- बीते साल सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और सरकार के आलोचकों को गिरफ़्तार किया। इन लोगों पर आतंकवाद समेत राजनीति से प्रेरित आपराधिक आरोप लगाए गए।

 

रिपोर्ट के अनुसार,- “छापे मारकर, कथित वित्तीय अनियमितता के आरोप और ग़ैर-सरकारी संगठनों को मिल रही आर्थिक मदद के लिए बने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन क़ानून का इस्तेमाल कर पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आलोचकों को परेशान किया गया।”
संगठन की एशिया उप निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, “भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़ी है। इससे डर का माहौल बना है, सरकार की आलोचना करने वालों में डर पैदा हुआ है।”
संगठन ने अपने बयान में भारत में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को हिंदू राष्ट्रवादी सरकार कहा है।
बता दें कि वर्तमान मोदी सरकार पर लगातार मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगता रहा है। हालांकि मोदी सरकार ऐसी रिपोर्टों को खारिज करती रही है, लेकिन आंखें मूंद लेने से आरोप गलत नहीं हो जाते। ऐसे रिपोर्ट विश्व गुरु का दावा करने वाले भारत की छवि को दुनिया में कमतर तो करते ही हैं।

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