अपनी घोषणा के मुताबिक हरियाणा के जींद में दलित समुदाय के पांच सौ लोगों ने धर्म परिवर्तन कर लिया. जब देश आजादी मना रहा था, ये लोग उस हिन्दू धर्म से आजाद हो गए जिसकी वजह से दलित समाज को शोषण का शिकार होना पड़ता है. दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के धरनास्थल पर 300 से ज्यादा दलित परिवारों के करीब 500 लोगों ने हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया. उत्तर प्रदेश और दिल्ली से आये छह बौद्ध भिक्षुओं ने धरनास्थल पर ही इन परिवारों को दीक्षा देकर धर्म परिवर्तन कराया.
दरअसल ये लोग पिछले तकरीबन छह महीनों (187 दिन) से दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी केबैनर तले अपनी मांगों को लेकर जींद के लघु सचिवालय में धरने पर बैठे थे. इनकी मांगों में कुरूक्षेत्र के एक गांव की दलित बेटी से हुई दरिंदगी की जांच कराना, हिसार के भटला में दलितों का सामाजिक बहिष्कार करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने और दलितों पर किए गए झूठे मामले खारिज करना, दलितों पर हो रहे अत्याचार पर अंकुश लगाना आदि शामिल हैं.
कमेटी के संयोजक और धरना संचालक दिनेश खापड़ का कहना है कि वे सरकार से कोई नई मांग नहीं मांग रहे बल्कि उन मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं, जिनके बारे में सरकार खुद पहले ही पूरा करने की घोषणा कर चुकी है. जब से देश और हरियाणा में भाजपा की सरकार बनी है तब से दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर है. सरकार ने हर मामले में दलितों की अनदेखी करके दलितों के साथ विश्वासघात किया है.
‘ लोकतंत्र का भविष्य समन्वय में है संघर्ष में नहीं ’
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