जातिवाद समाज के भीतर कितनी गहराई से बैठा है, यह मध्यप्रदेश में घटी एक घटना से पता चलता है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव में 20 परिवारों को एक दलित व्यक्ति से प्रसाद लेने के कारण सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। परिवार का आरोप है कि यह फरमान गांव के सरपंच संतोष तिवारी ने जारी किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना छतरपुर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर अटरार गांव की है।
गांव के जगत अहिरवार ने मनोकामना पूरी होने पर 20 अगस्त, 2024 को तलैया हनुमान मंदिर में विशेष भोग ‘मगज लड्डू’ चढ़ाया था। प्रसाद मंदिर के पुजारी रामकिशोर अग्निहोत्री ने चढ़ाया और वहां मौजूद लोगों को बांटा। यह प्रसाद विभिन्न जातियों के ग्रामीणों को दिया गया। इसमें ब्राह्मण सहित अन्य कथित ऊंची जातियों के लोग भी शामिल थे। गांव में यह बात फैलने पर कि ‘ऊंची जातियों’ के लोगों ने एक दलित व्यक्ति का प्रसाद लिया है, तो सरपंच ने इन परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का आदेश दे दिया। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें तब से सामाजिक आयोजनों, जैसे शादियों और अन्य समारोहों से बाहर कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले के अतटाट गांव से धीटेंद्र शास्री ने "हिन्दू एकता रैली" निकली थी।
आज अतटाट गांव के लोगों ने शिकायत कि है कि दलित के पैसे का प्रसाद खाने कि वजह कर गाँव के सरपंच ने 20 परिवारों का पिछले 6 माह से बहिष्कार किया हुआ है।
दरअसल,… pic.twitter.com/uGkV2iLbPm
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) January 11, 2025
अब गांव के कई लोग उन्हें ‘लड्डू वाले’ कहकर चिढ़ाते हैं। उन्होंने जिला अधिकारियों से संपर्क किया और एसपी के पास शिकायत दर्ज कराई। स्थानीय अधिकारियों द्वारा हाल में सुलह कराने की कोशिशों के बावजूद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। स्थानीय एसपी का कहन है कि ‘हमें दोनों पक्षों से शिकायतें मिली हैं। मामले की जांच की जा रही है और वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है।’
इस घटना से साफ है कि अगर समाज के कुछ लोग ऊंच-नीच और जाति प्रथा जैसी बातों से आगे निकलकर दलितों के साथ एकता बनाने की वकालत करते हैं तो जातिवादी उनके खिलाफ भी खड़े हो जाते हैं।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।