मध्यप्रदेश के सागर जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में 100 करोड़ लगाकर सतगुरु रविदास जी की प्रतिमा का शिलान्यास किया, उसके चंद दिन बाद ही समाज में दलितों को लेकर सोच सामने आ गई। मध्य प्रदेश के विदिशा में एक दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले सरपंच ने आरोप लगाया है कि उनकी जाति की वजह से उन्हें 15 अगस्त को झंडा नहीं फहराने दिया गया। घटना विदिशा जिले के सिरोंज में भगवंतपुर ग्राम पंचायत की है।
ग्राम पंचायत के सरपंच बारेलाल अहिरवार का आरोप है कि स्कूल की प्रिंसिपल उनके अनुसूचित जाति का होने के कारण चिढ़ती हैं। सरपंच का आरोप है कि प्रिंसिपल कहती हैं कि तुम दलित हो, तुम क्या जानो। दलित समाज के सरपंच ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता दिवस पर मुझे स्कूल में नहीं बुलाया और किसी और से तिरंगा झंडा फहरवा दिया गया। इस घटना से आहत सरपंच बारेलाल ने कहा कि यह मेरे पद और जाति का अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में ऐसा आम हो गया है, जब दलितों के साथ अन्याय होता है। उनको उनका हक नहीं मिल पा रहा है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद स्थानीय एसडीएम हर्षल चौधरी ने मामले की जांच करवाने और कार्रवाई करने की बात कही है। जबकि स्कूल की प्रिंसिपल ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने आपको फोन किया था, लेकिन आपने फोन नहीं उठाया।
दरअसल पंचायती राज अधिनियम के मुताबिक सरपंच को स्कूलों में झंडा फहराने का अधिकार दिया गया है। लेकिन अक्सर हर साल स्वतंत्रता दिवस के दूसरे दिन देश के किसी न किसी हिस्से से दलित समाज के सरपंच को तिरंगा फहराने से रोकने की घटना सामने आ ही जाती है।
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