बहुजन नेताओं और एक्टिविस्ट ने सरकार को घेरा
नई दिल्ली। भाजपा नित केन्द्र सरकार और देश के न्यायिक संस्थान ‘आरक्षण व्यवस्था’ पर चौतरफा हमला कर शिक्षा व रोजगार में पिछड़े दलित और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व खत्म करने पर आमादा है। इन सब के बीच एक ताजा रिपोर्ट में यह सामने आया है कि भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्रालयों व विभागों में पिछड़े दलित और आदिवासियों के 1 लाख 51 हजार से ज्यादा पद खाली है। बैकलॉग के इन पदों को भरा नहीं जा रहा है। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद बहुजन नेताओं और एक्टिविस्ट ने सरकार के खिलाफा मोर्चा खोल दिया है।
बैकलॉग के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति (2023-24) द्वारा लोकसभा में पेश रिपोर्ट में भारत सरकार के द्वारा 72 विभागों में पोस्टेड अधिकारी और कर्मचारियों के विवरण से ये खुलासा हुआ है कि केवल केंद्र सरकार के विभागों में ही वर्ग के 1,51,000 ( एक लाख 51 हजार) से ज्यादा पदों का बैकलॉग खाली पड़ा है। सरकार से मांग करता हूं कि तत्काल “विशेष भर्ती” अभियान द्वारा पद निकालकर बैकलॉग पूरा किया जाए। बैकलॉग भर्ती के लिए संसद से लेकर सड़क तक आवाज बुलंद करके इसको पूरा कराके ही दम लूंगा।
समिति ने फरवरी में संसद में पेश की थी रिपोर्ट
पिछड़े वर्ग कल्याण संसदीय समिति अध्यक्ष सांसद टीआर बालू ने गत 8 फरवरी 2024 को संसद के दोनों सदनों में रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्र सरकार के अधीन पदों और सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े समुदायों को अखिल भारतीय स्तर पर खुली प्रतियोगिता के माध्यम से सीधी भर्ती पर क्रमशः 15, 7.5 और 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अनुसार 72 केन्द्रीय मंत्रालयों व विभागों में पिछड़े, दलित व आदिवासियों के लिए आरक्षित पदों में ओबीसी के 1 लाख 30 हजार 215, एसटी के 14 हजार 62 व दलितों के 6 हजार 960 पद रिक्त है। यह बैकलॉग रिक्तियां अभी तक भरी नहीं गई हैं।
बैक लॉग भरे केन्द्र सरकार
दलित दस्तक से नैकडोर संस्थापक सदस्य अशोक भारती ने कहा- “भारत बंद के दौरान हमारी संस्था ने ओबीसी, एससी व एसटी के केन्द्र व राज्यों में खाली पड़े बैकलॉग पदों को भरने की मांग की थी। हालांकि केन्द्र सरकार ने इस मामले में अब तक कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की है।”
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने कहा- “सरकार को बैकलॉग रिक्त पदों पर प्राथमिकता से भर्ती करनी चाहिए। देखा गया है कि ‘नॉट फाउंड सुइटेबल’ बताकर जानबूझकर आरक्षित पदों को खाली रखा जाता है, जिन्हें बाद में सामान्य पदों में बदल दिया जाता है।
कार्मिक मंत्री का संसद में जवाब
तात्कालिक कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गत 24 जुलाई 2024 को संसद में एक लिखित उत्तर में कहा था कि रिक्तियों का होना और उनका भरा जाना तथा बैकलॉग आरक्षित रिक्तियां एक सतत प्रक्रिया है। सभी केन्द्रीय सरकारी मंत्रालयों और विभागों को बैकलॉग आरक्षित रिक्तियों की पहचान करने और उन्हें विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से भरने के लिए एक आंतरिक समिति बनाने के निर्देश दिए गए है।
10 लाख पद खाली!
केंद्रीय मंत्री सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 9.79 लाख से अधिक पद खाली हैं। इसमें सबसे ज्यादा 2.93 लाख पद रेलवे में खाली हैं। विभिन्न विभागों में खाली पड़े इन पदों को भरने की योजना पर काम किया जा रहा है।
‘दलित दस्तक’ में डिजिटल कंटेंट एडिटर अरुण कुमार वर्मा पिछले 15 सालों से सक्रिय पत्रकार हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता करने के बाद अरुण वर्ष 2008 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। हिंदी दैनिक अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत करने के पश्चात राजस्थान पत्रिका व द मूकनायक जैसे प्रिंट व डिजिटल मीडिया संस्थानों में बतौर रिपोर्टर और एडिटर काम किया है। अरुण को 2013 में पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए ‘पण्डित झाबरमल पत्रकारिता पुरस्कार’ व वर्ष 2015 में प्रतिष्ठित ‘लाडली मीडिया पुरस्कार’ जीता है। अरुण उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मूल निवासी है।