धर्म के नाम पर युवाओं की लड़ाई में जीत किसकी

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 हिन्दुत्व का झंडा बुलंद करने वाले राजनीतिक दल अपने एजेंडे में सफल होते दिख रहे हैं. देश में हिन्दुत्व के एजेंडे की सफलता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी दिखी, जब एक दलित युवक द्वारा दलितों के घरों से देवी-देवताओं के पोस्टर हटाकर उनकी जगह डॉ. अम्बेडकर और रविदास जी की फोटो लगाने से नाराज कुछ युवकों ने युवक को लाठी डंडे से पीटा.

 यही नहीं हिन्दुत्व का झंडा बुलंद किए युवकों ने दलित युवक से ‘जय माता दी’ के नारे लगवाएं. मामला तब सामने आया जब इस घटना से जुड़ा एक वीडियो वाइरल हो गया. वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने पिटाई करने वाले युवकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 295 ए (किसी की भी धार्मिक भावनाओं का अपमान) और एससी / एसटी अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.

घटना के बारे में एसएसपी अनंत देव का कहना है कि पुखराजी में रहने वाले चार युवकों ने इस घटना को अंजाम दिया. उन्हें पकड़ने के लिए टीमें भेजी गई हैं. आरोपियों का संबंध मुख्यमंत्री योगी के संगठन हिंदू युवा वाहिनी से है.

यहां बड़ा सवाल यह है कि अपना भविष्य बेहतर बनाने की उम्र में दोनों पक्ष के युवा धर्म को लेकर एक-दूसरे पर हमलावर हैं. वो न साथ आकर इस देश की गरीबी पर लड़ते हैं न ही नासूर बने जातिवाद पर. न तो खराब शिक्षा व्यवस्था पर और न स्वास्थ सिस्टम पर. फिलहाल युवाओं की लड़ाई धर्म को लेकर है, जिसकी एक इंसान की बेहतरी में कोई भूमिका नहीं होती है. जाहिर सी बात है कि यह उन लोगों की जीत है, जो सालों से धर्म के नाम पर राजनीति करते आ रहे हैं और इसी के बूते भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का दम भरते हैं.

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