नई दिल्ली। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने दलित समाज और बाबासाहेब आम्बेडकर को लेकर दूसरी जातियों के लोगों के मन में भरी नफरत फिर सामने ले आई है. दलित समाज के एक लड़के को पहले किडनैप करने और फिर उससे जबरन दलित समाज और बाबासाहेब को गाली दिलवाने के इस मामले से दलित समाज के लोग आक्रोशित हैं.
घटना 18 जुलाई को मेरठ की है. पीड़ित लवली दफ्तर से लौटे ही थे कि एक फोन आया और वो घर से निकल गया. इसके बाद लवली करीब 50 घंटे तक गायब रहा. पोस्ट ऑफिस में नौकरी करने वाले लवली के पिता सुरेन्द्र कुमार और मां ओंकारी देवी बेटे को ढूंढ़ने के लिए परेशान थे. बेटा तो नहीं आया, लेकिन इस बीच वायरल एक वीडियो ने लवली के माता-पिता को और परेशान कर दिया.
वीडियो में कुछ लोग लवली को मार-मारकर बाबासाहब आंबेडकर को भद्दी गालियां देने पर मजबूर कर रहे थे. साथ ही लवली को उसकी उपजाति का नाम लेकर गालियां देने को मजबूर कर रहे थे और जट्ट जिंदाबाद के नारे लगवा रहे थे.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, लवली ने बताया कि उसको इस बीच का कुछ याद नहीं है, सिवाए इसके कि कुछ लोगों ने उन्हें रिवॉल्वर की नोक पर नशे की हालत में उनके दलित समाज के सबसे बड़े आइकन भीमराव आंबेडकर को गाली देने पर मजूबर किया. लवली के लिए यह काफी पीड़ा दायक था. क्योंकि लवली का पूरा परिवार बाबासाहेब को मानने वाला अम्बेडकरवादी है. घर में मौजूद बाबासाहेब की कई तस्वीरें यह बताती भी है.
इस मामले में स्थानीय थाने में तीन लोगों के ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई है. लेकिन एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले से मामला लटका हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए थाने ने मामला उच्चअधिकारियों को भेज दिया है. एससी-एसटी एक्ट में आए बदलाव के बाद अनुसूचित जाति और जनजाति क़ानून के भीतर कोई भी केस दर्ज किए जाने से पहले सर्किल ऑफ़िसर स्तर के एक अधिकारी को उसकी जांच करना जरूरी है.
लवली से जुड़े लोगों का कहन है कि लवली बाबा साहब को मानने वाला लड़का है, वह लोगों को बाबासाहब से जोड़ता रहा है, उसे इसी की सज़ा दी गई है. चिंता की बात यह है कि अभी तक मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
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