एक बार हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि हमारे देश का संविधान ही पवित्र ग्रंथ है. संविधान से बढ़कर और कोई पवित्र ग्रंथ नहीं है. लेकिन कुछ मनवादियों ने 9 अगस्त, 2018 को दिल्ली में उस महान पवित्र ग्रंथ को ही जला दिया तथा उस महापुरूष बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर के फोटो का अपमान किया. उन गुण्डों का नारा था कि रिर्जेवेशन बन्द करो तथा संविधान जलाओ और मनुस्मृति लाओ. बाबा साहब अम्बेडकर को ऐसी अशंका थी कि मनुवादी एक दिन संविधान से जरूर छेड़छाड़ करेंगे क्योंकि संविधान में सबको बराबर के अधिकार दिए हैं. जो मनुवादियों को पसन्द नहीं हैं क्योंकि वो दलितों को, पिछड़े वर्ग को तथा स्त्रियों को गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं. जैसा कि मनुस्मृति में हैं.
आगे उन्होंने कहा कि जब तक संविधान सम्प्रदायिकता से उपर है तब तक देश की रक्षा हो सकती है, दलितों की रक्षा हो सकती है, पिछड़ों की रक्षा हो सकती है तथा देश के हर नागरिक की रक्षा हो सकती है. मगर जिस दिन सम्प्रदायिकता संविधान से उपर होगी तब न संविधान बच सकता है, न देश बच सकता है और न देश में रहने वाला गरीब वर्ग बच सकता है. अतः संविधान की रक्षा करना देश के हर नागरिक का कर्तव्य बनता है. अगर संविधान बचाने में किसी की जान भी जाती है तो जान की चिंता मत करना. मगर किसी भी तरह संविधान को बचा कर रखना क्योंकि जब तक संविधान बचा है तब तक तुम सब बचे हो. अतः किसी भी सूरत में संविधान को मिटने नहीं देना है.
पहली महत्वपूर्ण घटना 20 मार्च 2018 को हुई. जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के प्रभाव को निष्क्रिय कर दिया. इस घटना से प्रभावित होकर एससी-एसटी समाज ने 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद कर दिया, जिसमें हजारों बेकसूर बच्चों को तथा लोगों को सरकार ने जेल में बंद कर दिया और बहुत से बच्चे आज भी जेल में बन्द हैं. मगर बगैर किसी नेता के एक ऐतिहासिक घटना रही जिसे एस सी / एस टी के लोगों ने पहली बार अपने अधिकारों के लिए करके दिखाया. इस बंद के कारण दबाव में आई सरकार को एससी-एसटी एक्ट को लेकर संशोधन बिल पास करना पड़ा. बिल के पार्लियामेंट में पास होने के बाद कुछ संस्थाओं ने 9 अगस्त 2018 को भारत बंद में भाग नहीं लिया. लेकिन कुछ संस्थाओं द्वारा जारी रखा गया. क्योंकि हजारों दलितों को जेल से नहीं छोड़ा था. जिन्होंने 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद में मुख्य भूमिका निभाई थी तथा चन्द्रशेखर आजाद रावण एडवोकेट को भी जेल से नहीं छोड़ा था. जिसको एन. एस. ए (रासुका) के अन्तर्गत बंद करके रखा है.
इस बीच संविधान जलाने की घटना पुलिस के सामने की गई. इस शर्मसार करने वाली घटना ने पूरे देश को हिला दिया. भीम आर्मी सेना ने उसी दिन पर्लियामेन्ट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. दलित एवं सरकार के बीच लड़ाई जारी है. दलित संविधान बचाने में लगे हैं तथा अपने अधिकारों को बचाने में लगे हैं तथा अपने आप को बचाने में लगे हैं. मगर सरकार संविधान को मिटाने में लगी है तथा दलितों के अधिकार छीनने में लगी है. दोनों में लड़ाई जारी है. अन्तर इतना ही है कि सरकार के पास सारी शक्तियां है. मगर दलितों के पास वोट शक्ति है और वोट शक्ति से ही सारी शक्तियां प्राप्त की जाती है. दलितों की वोट शक्ति समझने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी के नेता दलितों के विरोध में बेतुका तथा बेवकूफी जैसा ब्यान देते है. जैसे कि भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े 26-12-2017 को संविधान के बारे में बेतुका तथा शर्मसार करने वाला जवाब दिया कि भारतीय जनता पार्टी भारत का संविधान बदलने के लिए सत्ता में आई है. विश्व हिन्दू परिषद् की केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल की सदस्या साध्वी सरस्वती ने 15-06-2017 को कहा कि हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र बनाने से कोई ताकत रोक नहीं सकती.
बी.जे.पी की महिला विंग की मधु मिश्रा ने कहा कि जो आज हमारे ऊपर राज कर रहे हैं वो संविधान की वजह से कर रहे हैं, यही लोग कल तक हमारे जूते साफ किया करते थे. अतः हम संविधान को ही बदल देंगे. भारतीय जनता पार्टी की मिनिस्टर साध्वी रंजन ज्योति ने कहा कि देश में रामजादे ही राज करेंगे, हरामजादे नहीं.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक के प्रमुख मोहन भगवत ने कहा कि हम सब हिन्दुस्तान में रहने वाले हैं, अतः हिन्दुस्तान को 2025 तक हिन्दू, राष्ट्र घोषित कर देंगे. जबकि बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने संविधान में भारत लिखा है हिन्दुस्तान कहीं लिखा ही नहीं है. क्योंकि हिन्दुस्तान शब्द न वेद शास्त्र में है, न गीता में और न रामायण में है. हमारा देश तो धर्म निष्पक्ष देश है. यहां सभी धर्मों की समान मान्यता है.
बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने अपने लोगों को समझाते हुए कहा था कि मैंने तुम्हारे अधिकारों की रक्षा संविधान में कर दी है. अतः इस संविधान की रक्षा करना, अगर संविधान की रक्षा हेतु जान भी जाय तो भी परवाह मत करना. मगर किसी भी तरह से संविधान को बचा कर रखना हैं क्योंकि मैं तभी तक जिन्दा हूं जब तक देश का संविधान जिन्दा है. इस संविधान के खातिर तथा तुम्हारी स्वतंत्रता के लिए मैंने अपने चार-चार बच्चों को बलि चढ़ाया है. आगे उन्होंने कहा कि खतरा मुझे अपने समाज के उन लोगों से है जो आरक्षण से पढ़ लिखकर नौकरी पाकर विधायक बनकर मंत्री बन कर दुश्मनों के तवले चाटते हैं और अपने समाज को धोखा देते हैं.
अतः वे परम्पराएँ जिन्होंने हमें गरीब बनाया हमारी गुलामी का कारण बनी, जिससे हमारा शोषण हुआ, उत्पीड़न हुआ, हमारा मनोबल टूटा, जो हमारी प्रगति में बाधक बनी, तोड़ो इन परम्पराओं को अपनी आजादी के लिए, अपनी उन्नति के लिए तथा अपने मान सम्मान की जिन्दगी जीने के लिए. मान सम्मान की जिन्दगी बौद्ध धर्म में ही मिल सकती है. हिन्दू धर्म में नहीं क्योंकि हिन्दू धर्म में दलितों के लिए समानता नहीं बल्कि गुलामी की जिन्दगी जीने को मजबूर किया जाता है.
एक कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए, काम ऐसा करो कि पहचान बन जाए,
यहाँ जिन्दगी तो सभी जी लेते है,
मगर जिन्दगी ऐसी जीयो कि सबके लिए मिसाल बन जाए.
इंजी. आर. सी. विवेक
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