स्वामी प्रसाद मौर्य के बहुजन समाज पार्टी से अलग होने के बाद मौर्या समाज को बसपा में जोड़े रखने की जिम्मेदारी फिर से पूर्व मंत्री पारसनाथ मौर्या पर आ गई है. स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने के बाद बसपा के भीतर और मौर्य समाज में क्या प्रभाव पड़ा है, इसको जानने के लिए पारसनाथ मौर्या से बात की सतनाम सिंह ने.
स्वामी प्रसाद मौर्य के बहुजन समाज पार्टी छोड़ने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
– उसने पार्टी साथ के भी घात किया है और अपने साथ भी घात किया है. उसने साथ ही साथ अपने मौर्य समाज के साथ भी घात किया है. इसलिए की मानववादी महापुरुषों के विचारों को जमीन पर उतारने का कार्य यदि किसी ने किया है तो वह बहन मायावती जी ने किया है. बहन जी ने मान्यवर कांशीराम जी के संघर्ष को आगे बढ़ाया. बाबासाहेब के मिशन को आगे बढ़ाया. इसके लिए बहन जी का बहुत बड़ा संघर्ष है. इसके लिए कहीं भी वो थकी नहीं, झुकी नहीं. आगे बढ़ती ही गईं. नोएडा से लेकर कुशीनगर तक स्मारकों की दुनिया बसाने का काम बहन जी ने किया, जिससे हमको बहुत प्रेरणा मिली है. काश स्वामी प्रसाद मौर्य भी उनसे प्रेरणा ले पाते.
मौर्य समाज में इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया है?
– मौर्य समाज इस घटना से रत्ती भर विचलित नहीं हुआ है. देखिए जब तक जाति के नाम पर सोच है. तब तक तो भावावेश में कुछ लोग उनका नाम ले सकते हैं. सेंटिमेंट में आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन जब इसके बारे में गंभीरता से सोचेंगे तो यह तय है कि शाक्य, मौर्य, कुशवाहा, सैनी, समाज का कोई भी व्यक्ति इधर-उधर जाने के बारे में नहीं सोचेगा. इस समाज का व्यक्ति बहन कुमारी मायावती जी और उनके नेतृत्व को समर्थन देगा. हर जगह संगठन के लोग भी बहन कुमारी मायावती के साथ हैं. पूरा मौर्य समजा बसपा से जुड़ा हुआ है. स्वामी प्रसाद मौर्य के चले जाने से बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि आम जनता में पार्टी की साख बढ़ी है कि बसपा किसी भी कीमत पर परिवारवाद को तरजीह नहीं देती.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती जी को दौलत की बेटी कहा था, इस पर आप क्या कहेंगे?
– कोई कहने के लिए कुछ भी कह ले लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह सब अभी तक क्यों नहीं कहा था? ठीक उसी दिन ही क्यों कहा? अभी तक दूसरों के लिए क्यों नहीं सिफारिश किया. दूसरे तमाम सीनियर लोग थे. तमाम एक से एक मिशनरी थे. लेकिन उनके लिए भी वे कभी नहीं बोले. जब तक उनकी शर्तें मानी जाती रहीं तब तक तो मायावती जी दलित की बेटी थी जब उनकी शर्तें नहीं मानी गईं तब वही बहन मायावती उनके लिए दौलत की बेटी हो गईं.
स्वामी जी ने आरोप यह भी लगाया था कि बसपा में पैसे लेकर टिकट दिया जाता है?
– यह उन्होंने क्यों नहीं सोचा की बड़ी पार्टियां बड़े उद्योगपति घरानों से पैसा लेती हैं. समाचारों में स्पष्ट आया की केवल बसपा ही एक मात्र पार्टी ऐसी है जो किसी भी उद्योगपति से एक भी पैसा नहीं लेती. तो इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्यों नहीं सोचा. पार्टी फण्ड के लिए चन्दा कौन पार्टी नहीं लेती. फिर यह आरोप भी उन्होंने पहले कभी क्यों नहीं लगाया? अभी ही क्यों लगाया?
क्या स्वामी प्रसाद मौर्य जी सच में अपने बेटे-बेटी को टिकट दिलाने के लिए अड़े हुए थे?
– अड़े हुए तो थे ही. यह तो जगजाहिर है. वे पहले से ही लड़ रहे थे. मुख्य बात यह है कि वे अपने लिए भी वो सीट मांग रहे थे जो बहन जी उन्हें नहीं देना चाहती थीं. जब मना कर दिया तो आपको मानना चाहिए अपने नेता की बात. जब 1999 में बहन जी ने हमें पार्लियामेंट्री सीट से लड़ने के लिए कहा जहां हमारे खिलाफ सोनिया गांधी आ गईं तो उसके लिए तो स्वामी प्रसाद ने हमें राय दिया की आप मना मत कीजिए स्वीकार कर लीजिए तो आपने अब अपनी सीट के लिए स्वीकार क्यों नहीं किया? जो राय हमें दी थी वो अपने लिए क्यों नहीं मानी. जब हमें अमेठी लड़ाया तो हमारे लिए राय दे दिया और खुद अब बहन जी की बात नहीं मान करके सीधे मुकर गए. ये तो दोहरी बात हो गई.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य हैं. वह मौर्य समाज को भाजपा से कितना जोड़ पाएंगे?
– उसका तो मैं नाम ही नहीं लूंगा. उसका कोई नाम ही नहीं है. कोई जिक्र नहीं है. कोई आधार नहीं है. उसे कोई नहीं जानता. उसे तो जबरन थोपा गया है. जिसका समाज के बीच कोई वजूद ही नहीं है उसकी बात क्या करें?
ऐसे खबरें आ रही है कि स्वामी प्रसाद भाजपा के संपर्क में थे?
– अभी हम इसे नहीं बता सकते कि कौन किसके साथ मिल रहा है. मैं इस बारे में नहीं बता सकता कि पहले से ही वह भाजपा के संपर्क में था या नहीं.
जब स्वामी प्रसाद ने पार्टी छोड़ने के लिए प्रेस कांफ्रेंस की तब तो आप भी उनके साथ ही बैठे थे?
– उन्होंने मुझसे घात किया. बसपा का विधानमण्डल दल का कार्यालय था. अब कार्यालय में जाकर बैठेंगे तो मालूम होगा कि बहन जी का कोई संदेश हो उसी मुद्दे पर बात करेंगे शायद. इसलिए हम लोग तमाम लोग बैठ गए थे. एक मैं ही नहीं. यह सुनने के लिए की बहन जी ने क्या कहा है तमाम लोग बैठ गए थे और इन्होंने घात करके अपनी पार्टी के कार्यालय में ही नैतिकता का सत्यनाश कर दिया. बताइए इनका नैतिक दायित्व कहां गया? ये समाज में जाकर कैसे बात करने लायक हैं.
इस बार बहुजन समाज पार्टी विधानसभा चुनावों में कितनी सीटें जीत पाएगी, क्या अनुमान है?
– देखिए ऐसा है मैं काउंट करके नहीं बता सकता. न मैं ज्योतिषाचार्य हूं और न ज्योतिष में विश्वास करता हूं. न तो मैं अटकलों पर ही यकीन करता हूं. मैं विश्वास करता हूं अपनी मेहनत पर. कितना हम दौड़ सकते हैं, कितना हम कर सकते हैं. कितने लोगों को हम सम्यक रीति से अपना बना सकते हैं. जब हम यह बात करने के लिए आगे चल रहे हैं. हमारा विचार बढ़ता जा रहा है. मैं तो इतना जानता हूं कि बसपा की सरकार बनेगी और इसको कोई रोक नहीं पाएगा. इसलिए की हमेशा परिवर्तन होता रहता है. परिवर्तन जब-जब होगा तब-तब उपेक्षितों का भला होगा. सरकार हमारी ही बनेगी. बहुमत आएगा ही. सीट कितनी मिलेगी यह आप प्रेस के लोग सोचिए.
भाजपा वाले कह रहे हैं कि हम 60 प्रतिशत सीटें जीतेंगे?
– उनका तो यही धंधा है. गणित लगाना. गलत-सलत प्रचार करना. ये खाली प्रचार-तंत्र बनाते हैं; प्रजातंत्र नहीं बनाते. इनके यहां कोई विचार है ही नहीं और न ही प्रजातंत्र है बस प्रचार-तंत्र है. ये झूठा ढोल पीट रहे हैं.
आप कांशीराम जी के साथ रहे हैं, क्या मायावती जी साहब कांशीराम जी की विचारधारा को आगे बढ़ा रही हैं?
– हमारी नेता बहन कुमारी मायावती जी मान्यवर की विचारधारा को लेकर बखूबी आगे बढ़ रही हैं. यह जानने के लिए मूल बात यह है कि बहुजन जाग रहा है कि नहीं. बहुजन बढ़ रहा है कि नहीं. आज बहन मायावती जी अपने गुरु साहब कांशीराम जी के आंदोलन को बहुत ही कुशलता से आगे बढ़ा रही हैं.
लोग ऐसा आरोप लगाते हैं कि बहन जी ने साहब कांशीराम जी के समय के सभी सीनियर लोगों को किनारे कर दिया है?
– देखिए, ये रणनीति होती है कि कैसे हम असली लोगों को बचाते रहें और जो नकली लोग हैं उनको निकालना ही पड़ता है. तथा जो काबिल लोग हैं उन्हें सत्ता का आश्रय देकर आगे लाना ही पड़ता है. जो ज्ञानी हैं वो ज्ञान की ही बात करेगा जो अज्ञानी है वह अज्ञान की ही बात करेगा. गहराई में डुबकी लगाकर कोई ज्ञानी ही जानता है कि किस सकारात्मक रणनीति के तहत बसपा में फेर बदल किए गए हैं. बहन जी बखूबी जानती हैं कि समाज हित में उन्हें क्या करना है और वे जो भी फेर बदल करती हैं सब बसपा के हित में करती हैं. बहुजन समाज के हित में करती हैं. पूरे प्रजातांत्रिक तरीके से ही निर्णय लेती हैं.
जैसे की आपने बताया की आप बसपा बनने से पहले से ही साहब कांशीराम के संपर्क में थे तो क्या आप बसपा में अपनी स्थिति से संतुष्ट हैं?
– मैं तो संतुष्ट हूं ही इसलिए कि मैं तो केवल विचार को ही देख रहा हूं कि विचार आगे बढ़ रहा है. हर पल दिन और रात बहुजन समाज का निर्माण हो रहा है. विस्तार हो रहा है क्षण-क्षण हो रहा है. इसलिए मैं संतुष्ट हूं. मैं गदगद हूं. पार्टी की विचारधारा की उन्नति से. मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं बसपा में अपनी स्थिति से.
यदि चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी को आगे कर देती है तो क्या बसपा पर इसका असर पड़ेगा?
– बड़ी-बड़ी ऊख में लवाही (कहावत). लवाही किसे कहते हैं जो जला हुआ है. मरा हुआ है. यह बड़ी-बड़ी ऊख में लवाही वाली बात है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का क्या वजूद है? कौन जानता है उसे? प्रियंका का कोई असर नहीं होने वाला. भाई ने दलितों के घरों में रहकर देख लिया कोई असर नहीं हुआ. अब बहन भी आगे आकर देख लें, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. यू.पी. में बहन कुमारी मायावती के कद का कोई चेहरा ही नहीं है. सभी बौने हैं.
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