नई दिल्ली। बीते 11 अप्रैल को तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों सहित 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा भाजपा और पीएम मोदी की शिकायत की एक चिट्ठी सामने आई थी. इस चिट्ठी में इन सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने सेना के राजनीतिकरण का मामला उठाया था. देश की सुरक्षा में लगे पूर्व दिग्गज सैनिकों ने अपनी चिट्ठी में शिकायत की थी कि सत्ताधारी दल सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सेना के ऑपरेशन का श्रेय ले रही है. और देश की सेना को मोदी जी की सेना के तौर पर बताया जा रहा है.
अभी इस चिट्ठी से उठा बवाल शांत भी नहीं हुआ था कि इंडियन नेवी के पूर्व कमोडोर और व्हिसिलब्लोअर लोकेश बत्रा ने भाजपा द्वारा सेना से संबंधित होर्डिंग्स लगाकर वोट मांगने पर कड़ी आपत्ति जताई है. चुनाव आयोग को लिखे ओपन लेटर में रिटायर्ड कमोडोर लोकेश बत्रा ने कहा है कि-
‘मैं चुनाव आयोग द्वारा जारी उन निर्देशों की याद दिलाना चाहता हूं, जिनमें साफ-साफ कहा गया है कि कोई भी पार्टी चुनावी फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेना के कार्यों का उपयोग नहीं कर सकती हैं, लेकिन कई इलाकों में ऐसे होर्डिग लगाए गए हैं जो आयोग के निर्देशों का साफ-साफ उल्लंघन है. इन होर्डिंग की वजह से लोगों में भ्रामक संदेश भी जा रहा है”.
यह मुद्दा उठाकर लोकेश बत्रा ने इस मामले में चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग के निर्देशों का पूरी तरह उल्लंघन है. चुनाव आयोग को इस मामले में सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए. चुनाव आयोग ने लोकेश बत्रा की शिकायत पर जांच शुरू कर दी है और स्क्रूटनी जारी है.
जाहिर है कि यह मोदी के लिए बुरी खबर है। हालांकि जब चुनाव में सेना के इस्तेमाल पर बहस चल रही है तो वहीं पीएम मोदी ने यह कह कर नई बहस को जन्म दे दिया है कि जब किसानों की मौत चुनाव में मुद्दा है तो फिर जवानों की मौत क्यों नहीं. गौरतलब है कि मोदी देश भर में चुनावी कार्यक्रम के दौरान मतदाताओं से सेना के नाम पर और सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर वोट मांग रहे हैं. जिस पर विपक्ष सहित सेना के तमाम अधिकारियों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
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