दिल्ली में भाजपा के अशोका रोड स्थित केंद्रीय पार्टी मुख्यालय सुना सा पड़ा है. ज्यादातर नेता गायब हैं. पूछने पर पता चलता है कि सब गुजरात गए हैं. यानि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तक सब गुजरात में हैं. अमित शाह इन दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बजाय गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष जैसा बर्ताव कर रहे हैं. कुल मिलाकर जो लोग पार्टी दफ्तर में मौजूद हैं, उनसे बात करने पर साफ पता चल जाता है कि शायद भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में हार मान ली है. उनकी हताशा साफ तौर पर दिख रही है.
भाजपा को कवर करने वाले पत्रकारों से बात करिए. कोई भी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि भाजपा गुजरात का चुनाव जीत सकती है, बल्कि सब यह मान कर चल रहे हैं कि भाजपा गुजरात में पक्का हार रही है. गुजरात के लोगों से भी बात करने पर यह साफ हो जा रहा है कि गुजरात के दलित और पाटीदार भाजपा को वोट देने के मूड में नहीं है. जी हां, भाजपा द्वारा तमाम पाटीदारों को टिकट दिए जाने के बावजूद पाटीदार समाज भाजपा को वोट नहीं देने जा रहा है. दलितों को उना में गौरक्षकों द्वारा डंडे से की गई पिटाई का दर्द शरीर से होकर उनके दिल में जा बसा है. रही सही कसर जीएसटी ने निकाल दी है.
आप गुजरात में मोदी जी का चुनाव प्रचार देखिए. वो क्या-क्या बोल रहे हैं अगर आप इस पर ध्यान देंगे तो उनकी हताशा साफ दिख जाएगी. कल तक ‘हर-हर मोदी घर-घर मोदी’ का नारा लगाने वालों के सर से मोदी का भूत उतर चुका है. गुजरात चुनाव बहुत कुछ कहने जा रहा है, इंतजार करिए.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।